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‘परेशान किशोर की धन सुराज’: टिकट बंटवारे पर फूटा जनाक्रोश, गायघाट में जन सुराज कार्यकर्ताओं का सामूहिक इस्तीफा

Prashant Kishor Dhan Suraj Controversy
Prashant Kishor Dhan Suraj Controversy – जन सुराज में टिकट बंटवारे पर असंतोष, गायघाट में सामूहिक इस्तीफा (File Photo)
अक्टूबर 16, 2025

जन सुराज में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष चरम पर

मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट प्रखंड क्षेत्र में जन सुराज पार्टी के अंदर मचा असंतोष अब खुलकर सामने आ गया है। टिकट वितरण में भेदभाव और मनमानी के आरोपों के बीच पार्टी कार्यकर्ताओं ने सामूहिक रूप से इस्तीफा देकर प्रशांत किशोर के नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

वकील सहनी के नेतृत्व में हुआ जोरदार विरोध प्रदर्शन

जारंग बलुआहां गांव में जन सुराज के संभावित प्रत्याशी वकील सहनी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन किया। नाराज कार्यकर्ताओं ने पार्टी के सदस्यता कार्ड, पारिवारिक लाभ कार्ड और अन्य दस्तावेजों में आग लगाकर अपना विरोध जताया। यह विरोध प्रदर्शन पार्टी के अंदर गहराती नाराजगी और टूटती एकजुटता की ओर इशारा करता है।

“जन सुराज नहीं, धन सुराज है” – वकील सहनी का तंज

प्रदर्शन के दौरान वकील सहनी ने प्रशांत किशोर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “जन सुराज नहीं, यह धन सुराज है।” सहनी का कहना है कि प्रशांत किशोर बिहार को सुधारने नहीं बल्कि “बिगाड़ने” आए हैं। उन्होंने खुलासा किया कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर 2,000 से अधिक लोगों से प्रत्याशी बनने के नाम पर ₹21,000 सदस्यता शुल्क लिया गया था।

सहनी ने कहा कि टिकट वितरण की आधी प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, पार्टी ने दूसरे दलों के नेताओं को टिकट दे दिया, जिससे पुराने कार्यकर्ताओं के साथ खुला धोखा हुआ। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “प्रशांत किशोर नहीं, परेशान किशोर हैं।”

“हमसे पैसे लेकर टिकट दूसरों को दिया गया” – कार्यकर्ताओं का आरोप

वकील सहनी के साथ प्रदर्शन में शामिल रहे पूर्व प्रत्याशी सीताराम साह, सुरेंद्र कुमार शोले और बबलू यादव ने भी पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को महीनों तक प्रचार और संगठनात्मक कार्यों में झोंकने के बाद, टिकट बाहरी नेताओं को दे दिए गए।

सहनी ने बताया कि गायघाट विधानसभा से पार्टी ने पहले सात संभावित प्रत्याशियों की सूची जारी की थी, लेकिन अंतिम क्षण में किसी अन्य दल के नेता को टिकट दे दिया गया। इस निर्णय से क्षेत्र के स्थानीय कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष फैल गया है।

संगठन के अंदर गहराता संकट

इस घटना से जन सुराज संगठन के अंदर की खींचतान और असंतोष की स्थिति एक बार फिर उजागर हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बगावत आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है।
कई स्थानों से मिल रही असंतोष की सूचनाएं यह संकेत दे रही हैं कि जन सुराज की नींव अब हिलने लगी है।

प्रशांत किशोर की रणनीति पर उठे सवाल

प्रशांत किशोर, जिन्होंने जन सुराज को “जनता के बीच से उठे आंदोलन” के रूप में प्रचारित किया था, अब उन्हीं जनता के बीच से उठे विरोध का सामना कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि “जन सुराज की छवि एक पारदर्शी और जनता-आधारित संगठन की थी, लेकिन टिकट बंटवारे की प्रक्रिया ने इस छवि को धक्का पहुंचाया है।”

पार्टी से पलायन की आशंका

गायघाट में हुए इस सामूहिक इस्तीफे से यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले दिनों में जन सुराज के अन्य जिलों से भी पार्टी छोड़ने की लहर चल सकती है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि पार्टी अब अपने मूल उद्देश्य से भटक चुकी है और टिकट वितरण में धनबल और बाहरी प्रभाव हावी हैं।

जन सुराज के लिए बड़ा झटका

वकील सहनी और उनके समर्थकों के इस्तीफे ने प्रशांत किशोर की राजनीतिक योजनाओं को गहरी चोट पहुंचाई है। बिहार की राजनीति में जन सुराज को एक नई सोच के प्रतीक के रूप में पेश करने की कोशिश अब सवालों के घेरे में है।


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