न्यायिक प्रक्रिया और जघन्य अपराध का खुलासा
उत्तर प्रदेश के उरई क्षेत्र में घटित इस भयावह अपराध ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी। अभियुक्त शोभराज उर्फ नीलू ने अपने ममेरे साले कमलेश का अपहरण कर उसे धारदार हथियार से आठ टुकड़ों में काट दिया। उसके पश्चात शव के टुकड़े प्लास्टिक और जूट की बोरियों में भर कर रेलवे ट्रैक के पास फेंक दिए गए। इस क्रूरता ने पूरे समुदाय को हिला कर रख दिया।
उरई कोतवाली के अनुसार, घटना 26 मई 2009 की थी। कमलेश के पिता चतुर्भुज प्रशांत, जो महोबा जनपद में बिजली विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी थे, ने पुलिस को इस अपहरण की सूचना दी। अभियुक्त ने फिर अपने तीन साथियों के साथ मिलकर कमलेश की हत्या की।
घटनाक्रम का विस्तार
आरोपी ने अपने साले को पहले बुलाने का बहाना किया और गाड़ी खराब होने का झूठा प्रलोभन देकर अपहरण किया। अगले दिन फोन कर 15 लाख रुपये की फिरौती मांगी। जब पुलिस इस मामले में सक्रिय हुई, तो अभियुक्त ने क्रूर निर्णय लिया और कमलेश को आठ टुकड़ों में काट डाला।
पुलिस ने 30 मई 2009 को महर्षि विद्या मंदिर इंटरकालेज के पास खेतों में शव के टुकड़े बरामद किए। अपराध स्थल और बरामदगी की प्रकिया ने जांचकर्ताओं को मामले की गंभीरता का एहसास कराया।
कानूनी प्रक्रिया और मुकदमे का विस्तार
अभियुक्त शोभराज के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। 1 जून 2009 को उसे गिरफ्तार किया गया और हत्या में प्रयुक्त हथियार भी पुलिस ने बरामद कर लिया। चार्जशीट 16 जून 2009 को न्यायालय में दाखिल की गई। इस मामले में कुल चार आरोपी थे, जिनमें तीन नाबालिग थे। नाबालिगों के मामले किशोर न्याय बोर्ड में चल रहे हैं।
2014 में वादी चतुर्भुज प्रशांत की मृत्यु के पश्चात उनके छोटे पुत्र वीपी राहुल इस मुकदमे के वादी बने। 16 वर्षों तक चले मुकदमे के दौरान अधिवक्ताओं ने साक्ष्य प्रस्तुत किए। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट सुरेश चंद्र गुप्ता ने अंतिम निर्णय सुनाते हुए दोषी शोभराज को आजीवन कारावास और एक लाख 15 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
समाज पर प्रभाव और सुरक्षा चिंता
इस जघन्य अपराध ने स्थानीय समाज में सुरक्षा के प्रति गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है। नागरिकों ने पुलिस प्रशासन से अपराधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं, न्यायालय की कड़ी सजा ने यह संदेश भी दिया कि कानून के हाथ लंबी अवधि तक न्याय दिलाने में सक्षम हैं।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में इस तरह की हिंसक घटनाएं समुदाय और परिवार के लिए गहन पीड़ा का कारण बनती हैं। यह मामला यह भी दर्शाता है कि अपराध चाहे कितना भी भयानक क्यों न हो, कानून अंततः दोषियों को न्याय की जड़ तक पहुंचाता है।