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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन और एनडीए में सीटों पर संघर्ष, वोट ट्रांसफर में फँस सकता है पेच

Bihar Election 2025
Bihar Election 2025 सीटों के बंटवारे में खींचतान, महागठबंधन और एनडीए के बीच वोट ट्रांसफर पर असर
अक्टूबर 17, 2025

प्रमुख सीटों पर गठबंधन में तनाव

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Assembly Election 2025) में महागठबंधन और एनडीए दोनों ही प्रमुख राजनीतिक गठबंधनों के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर गंभीर खींचतान देखने को मिल रही है। राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी जैसे दलों के बीच कई सीटों पर आपसी दावेदारी का तनाव बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि महागठबंधन में सबसे अधिक उथल-पुथल जाले, वैशाली, लालगंज और वारसलिगंज जैसी सीटों पर देखी जा रही है। कांग्रेस और राजद दोनों ही दल इन सीटों पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं। वहीं, सिमरी-बख्तियारपुर की सीट को लेकर राजद और वीआईपी आमने-सामने हैं। यह वही सीट है, जिसे पिछली बार राजद ने जीता था, लेकिन उस समय वीआईपी को एनडीए में रहते हुए यह सीट दी गई थी।

वामदल भी इन सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन से असहमति जता रहे हैं। बहादुरपुर पर राजद और बछवाड़ा तथा राजगीर में कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश कर रही है। इस तरह महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान नहीं दिख रहा है।

एनडीए में भी तनाव

एनडीए में सीटों का बंटवारा तो लगभग तय हो गया है, लेकिन वहां भी आंतरिक संघर्ष के संकेत हैं। भाजपा, जदयू, लोजपा (रा), हम और रालोमो ने अपनी-अपनी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।

हालांकि, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच तनातनी अभी भी जारी है। खासकर मांझी ने मखदुमपुर और बोधगया सीट पर चिराग के उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है। एनडीए का शीर्ष नेतृत्व इस मामले को सुलझाने के लिए लगातार प्रयासरत है, ताकि गठबंधन की ताकत चुनावी मैदान में बनाए रखी जा सके।

वोट ट्रांसफर में समस्याएँ

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधनों के भीतर सीटों पर खींचतान का असर वोट ट्रांसफर पर भी पड़ सकता है। जिन सीटों पर आपसी टकराव है, वहां किसी दल के समर्थक दूसरे दल के उम्मीदवार को वोट देना मुश्किल समझ सकते हैं। यह स्थिति खासकर महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होगी।

यदि वोट ट्रांसफर सही ढंग से नहीं हो पाया, तो कई सीटों पर गठबंधनों की जीत की संभावनाएँ कमजोर हो सकती हैं। चुनावी समीकरण में यह स्थिति अप्रत्याशित बदलाव ला सकती है और प्रत्याशियों को जमीनी स्तर पर अपनी रणनीति दोबारा तैयार करनी पड़ सकती है।

विशेषज्ञों का विश्लेषण

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीट शेयरिंग के मामलों का हल निकालना दोनों गठबंधनों के लिए अहम होगा। विशेष रूप से महागठबंधन को राजद, कांग्रेस, वामदल और वीआईपी के बीच तालमेल बनाए रखना होगा। एनडीए के लिए भी चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच विवाद को हल करना जरूरी है, अन्यथा कई सीटों पर मतदान प्रभावित हो सकता है।

वोट ट्रांसफर का मुद्दा चुनावी रणनीति को प्रभावित करेगा और यह देखने योग्य होगा कि गठबंधन अपनी ताकत को कितनी कुशलता से इस्तेमाल कर पाते हैं।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दोनों ही प्रमुख गठबंधन महागठबंधन और एनडीए के लिए सीट बंटवारा और वोट ट्रांसफर का मसला अहम चुनौती बने हुए हैं। यह चुनावी संघर्ष केवल राजनीतिक दलों की आंतरिक सियासत तक सीमित नहीं रह जाएगा, बल्कि यह जमीनी वोटिंग पैटर्न और चुनावी परिणामों पर भी महत्वपूर्ण असर डालेगा।

बिहार के मतदाता इस बार राजनीतिक दलों के भीतर जारी तनाव और सीटों के बंटवारे की लड़ाई को बारीकी से देख रहे हैं। यह चुनाव साबित करेगा कि गठबंधनों का आंतरिक तालमेल कितनी निर्णायक भूमिका निभाता है।


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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.

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