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दिल्ली की साँसें थमीं: प्रदूषण का कहर बढ़ा, नौ स्टेशन रेड जोन में पहुँचे, दीवाली से पहले हवा में ज़हर घुला

Delhi Air Pollution AQI Report
Delhi Air Pollution AQI Report – दिल्ली में हवा फिर जहरीली, नौ स्टेशन रेड जोन में दीवाली से पहले बढ़ा संकट (File Photo)
अक्टूबर 18, 2025

दिल्ली की साँसें थमीं: प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ की ओर

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुकी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आँकड़ों के अनुसार, लगातार पाँचवें दिन दिल्ली की हवा ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई है। दीवाली से पहले ही नौ मॉनिटरिंग स्टेशन रेड जोन में पहुँच चुके हैं, जिससे हालात चिंताजनक बन गए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, आगामी तीन दिनों तक प्रदूषण में राहत के कोई आसार नहीं हैं।


दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 268 दर्ज, स्थिति चिंताजनक

सीपीसीबी द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार को दिल्ली का औसत AQI 268 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। शुक्रवार को यह आंकड़ा 254 था, यानी महज़ 24 घंटों में 13 अंकों की वृद्धि हुई। वहीं आनंद विहार का एक्यूआई 389 तक पहुँच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी (400 से ऊपर) से सिर्फ 11 अंक दूर है।


प्रदूषण के प्रमुख कारण: वाहन, धूल और औद्योगिक उत्सर्जन

इस समय दिल्ली में प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत स्थानीय हैं — वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण स्थलों की धूल और औद्योगिक उत्सर्जन। हालांकि, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से उत्पन्न धुआं भी कुछ हद तक योगदान दे रहा है, लेकिन इस वर्ष अब तक इसकी हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।


वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान: सुधार की उम्मीद नहीं

केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की “वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली” ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में भी दिल्ली-एनसीआर की हवा में कोई खास सुधार नहीं होगा।
“डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS)” के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को कुल प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक (15.66%) दर्ज किया गया।


दिल्ली-एनसीआर के शहरों का AQI (शनिवार तक)

शहर एक्यूआई (AQI)
दिल्ली 268
गुरुग्राम 258
ग्रेटर नोएडा 248
गाज़ियाबाद 324
फरीदाबाद 190
नोएडा 293

दिल्ली के प्रमुख इलाकों में सर्वाधिक AQI

स्थान एक्यूआई (AQI)
आनंद विहार 389
सीरीफोर्ट 307
द्वारका सेक्टर-8 313
जहांगीर पुरी 310
विवेक विहार 306
ओखला फेज-दो 303
वजीरपुर 351
बवाना 309

पराली का प्रभाव सीमित, पर स्थानीय प्रदूषण चरम पर

इस साल अब तक पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर उतना नहीं बढ़ा जितना पिछले वर्षों में देखा गया था। लेकिन स्थानीय स्तर पर धूल, वाहन उत्सर्जन और औद्योगिक धुआं, हवा की गुणवत्ता को बिगाड़ रहे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तुरंत कदम नहीं उठाए गए तो दीवाली तक वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुँच सकती है।


प्रशासन की चुनौतियाँ और नियंत्रण के उपाय

दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए ‘ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)’ के तहत कई कदम उठाए हैं — जैसे निर्माण कार्यों पर रोक, पानी का छिड़काव और वाहनों की जांच। बावजूद इसके प्रदूषण में कमी नहीं आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक समाधान तभी संभव है जब दिल्ली और आस-पास के राज्यों में संयुक्त कार्रवाई की जाए।


जनस्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, बच्चों और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर पड़ता है। खाँसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। चिकित्सक लोगों को सलाह दे रहे हैं कि वे मास्क पहनें, बाहर निकलने से बचें और घरों में वायु शोधक (Air Purifier) का उपयोग करें।


दीवाली से पहले हवा में बढ़ता ज़हर

दिल्ली की हवा एक बार फिर अपनी सबसे खराब स्थिति में पहुँचती दिख रही है। पराली, वाहनों का धुआं, और निर्माण कार्य मिलकर शहर को गैस चैंबर में बदल रहे हैं। यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो दीवाली पर राजधानी का आसमान धुएँ की चादर में लिपट जाएगा।

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