आरके सिंह के विवादित बयान
पूर्व मंत्री आरके सिंह ने बिहार के डिप्टी मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जेडीयू नेता अनंत सिंह और आरजेडी नेता सूरजभान सिंह को खुलेआम “हत्या के आरोपी” बताया। उन्होंने कहा कि राज्य की राजनीति में अपराधीकरण बढ़ाने वाले ये लोग जनप्रतिनिधि बनने के योग्य नहीं हैं।
सिंह ने यह भी कहा कि जनता को ऐसे नेताओं को वोट देने से बचना चाहिए और उन्होंने अपने बयान में तीखी आलोचना करते हुए कहा कि भ्रष्ट नेताओं को वोट देना जनता के हित में नहीं है।
बिजली घोटाले का आरोप
आरके सिंह ने नीतीश सरकार पर अडाणी समूह के साथ हुए बिजली खरीद समझौते में भारी वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया। उनका दावा है कि सरकार ने प्रति यूनिट 6.75 रुपये की दर से बिजली खरीदने का निर्णय लिया जबकि मौजूदा बाजार दर इससे काफी कम है।
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब यह परियोजना एनटीपीसी द्वारा लगाई जानी थी और केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा हो चुकी थी, तो अचानक इसे निजी हाथों में क्यों सौंप दिया गया। सिंह ने सोशल मीडिया पर दस्तावेज साझा करते हुए कहा कि एनटीपीसी मॉडल में प्रति यूनिट फिक्स चार्ज 2.32 रुपये आता था, लेकिन सरकार ने इसे 4.16 रुपये मंजूर किया। इससे प्रति यूनिट 1.84 रुपये का अतिरिक्त बोझ जनता पर डाला गया।
भाजपा का उत्तर
भाजपा का कहना है कि आरके सिंह की बयानबाजी पार्टी की छवि और गठबंधन नेतृत्व को नुकसान पहुंचाने वाली थी। पार्टी ने स्पष्ट किया कि पार्टी लाइन के खिलाफ बार-बार बयानबाजी और आरोप लगाने के कारण उनकी सदस्यता समाप्त की गई।
सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा—“चोरी और सीना जोरी साथ नहीं चल सकती। भ्रष्टाचार पर चुप रहना हमारे संस्कार में नहीं है।” भाजपा ने इसे गंभीर अनुशासनहीनता माना और तत्काल कार्रवाई की।BJP Suspends
राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव
चुनावी जीत के उत्साह के बीच इस घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नया तनाव उत्पन्न कर दिया है। विपक्षी दलों ने इसे भाजपा में असंतोष और आंतरिक विवाद के रूप में देखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना आगामी विधानसभा सत्र और लोकल बॉडी चुनावों में भी राजनीतिक चर्चा का प्रमुख विषय बनेगी।
सिंह के आरोप और पार्टी की कड़ी कार्रवाई ने बिहार की राजनीति में विवाद और चर्चाओं की नई लहर पैदा कर दी है। यह स्थिति अगले कुछ हफ्तों में राजनीतिक रणनीतियों और गठबंधन संतुलन पर बड़ा असर डाल सकती है।