चुनाव आयोग की चेतावनी: एसआईआर प्रक्रिया में चूक पर नहीं बख्शे जाएंगे अधिकारी
कोलकाता में आयोजित एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक के दौरान चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। आयोग ने यह स्पष्ट किया कि मतदाता सूची लोकतांत्रिक आधार का मूल दस्तावेज है, इसलिए इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती ने कोलकाता में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसआईआर की प्रगति, उसकी निष्पक्षता, डिजिटल प्रक्रिया और फार्म वितरण से संबंधित कई बिंदुओं पर चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मतदाता सूची में संशोधन, नामांकन और आपत्तियों के निवारण की प्रक्रिया को पूरी सटीकता और समयबद्धता के साथ पूरा किया जाए।
मतदाता सूची के पुनरीक्षण में क्यों आवश्यक है सख्ती?
मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की आधारशिला मानी जाती है। यह सुनिश्चित करती है कि सभी पात्र नागरिक मतदान कर सकें और किसी भी असंगति या त्रुटि से लोकतांत्रिक अधिकार प्रभावित न हों। इसीलिए चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अपडेट करने, मृत और स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाने, नए मतदाताओं को जोड़ने और पते में बदलाव दर्ज करने के लिए अपनाई जाती है। यदि इस प्रक्रिया में त्रुटि होती है, तो इसका सीधा प्रभाव चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता पर पड़ता है।
अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें
कोलकाता में हुई समीक्षा बैठक में मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल सहित उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना तथा कोलकाता उत्तर एवं दक्षिण लोकसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी मौजूद रहे।
इन अधिकारियों ने उप चुनाव आयुक्त को एसआईआर प्रक्रिया की विस्तृत रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में फार्म वितरण, डिजिटलीकरण और आपत्तियों के निपटान की स्थिति शामिल थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बैठक के दौरान आयोग ने अपना कड़ा रुख रखते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर ढिलाई या गड़बड़ी मिलने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
फार्म वितरण और डिजिटलीकरण की स्थिति
चुनाव आयोग द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, शाम छह बजे तक राज्य में 7.63 करोड़ गणना फार्म वितरित किए जा चुके हैं, जो कुल लक्ष्य का 99.66 प्रतिशत है। यह दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर कार्य काफी तेजी से चल रहा है।
वहीं, 1.09 करोड़ प्रपत्रों का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है, जो वितरित कुल प्रपत्रों का 14.24 प्रतिशत है। डिजिटलीकरण की धीमी गति को देखते हुए आयोग ने इसके लिए भी विशेष निर्देश जारी किए हैं, ताकि शेष कार्य निर्धारित समय के भीतर पूरा किया जा सके।
नदिया और मुर्शिदाबाद में भी समीक्षा
कोलकाता में हुई बैठकों के बाद चुनाव आयोग की टीम नदिया और मुर्शिदाबाद पहुंची, जहां वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की गई। इन बैठकों में जिलेवार प्रगति का आकलन किया गया और मौजूद चुनौतियों तथा समाधान को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
आयोग ने इन जिलों में भी तेज कार्यवाही और पूर्ण पारदर्शिता का निर्देश दिया है।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए सटीक मतदाता सूची आवश्यक
चुनाव आयोग के इस कदम को लोकतंत्र की मजबूती के लिए अहम माना जा रहा है। यदि मतदाता सूची में त्रुटियाँ होती हैं, तो कई पात्र नागरिक मतदान से वंचित हो सकते हैं और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित होती है।
इसलिए मतदाता सूची की शुद्धता को सुनिश्चित करना प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ संवैधानिक दायित्व भी है।