भारतीय रेलवे ने उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक और धार्मिक शहर वाराणसी से दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के विभिन्न शहरों के बीच 7 नई विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया है। यह पहल काशी तमिल संगमम 4.0 के आयोजन को ध्यान में रखते हुए की गई है। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हजारों लोग तमिलनाडु से वाराणसी की यात्रा करेंगे, जिसके लिए रेलवे ने खास इंतजाम किए हैं।
रेल मंत्रालय ने बताया कि तमिलनाडु के तीन प्रमुख शहरों – कन्याकुमारी, चेन्नई और कोयंबटूर से वाराणसी के बीच ये विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य त्योहारी सीजन में बढ़ी हुई यात्री मांग को पूरा करना और दोनों राज्यों के बीच आसान तथा निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करना है।
तमिलनाडु से वाराणसी जाने वाली विशेष ट्रेनें
रेलवे ने तमिलनाडु के तीन अलग-अलग शहरों से कुल 7 विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। इन ट्रेनों का विवरण इस प्रकार है:
पहली विशेष ट्रेन – कन्याकुमारी से वाराणसी
29 नवंबर 2025 को कन्याकुमारी से पहली विशेष ट्रेन रवाना की गई। यह ट्रेन सैकड़ों यात्रियों को लेकर वाराणसी पहुंची। इस ट्रेन में भारी संख्या में तीर्थयात्री, छात्र और सांस्कृतिक कार्यकर्ता सवार थे।
दूसरी विशेष ट्रेन – चेन्नई से वाराणसी
2 दिसंबर 2025 को चेन्नई से दूसरी विशेष ट्रेन रवाना हुई, जो 3 दिसंबर को वाराणसी पहुंची। यह ट्रेन भी पूरी क्षमता के साथ चली और यात्रियों को सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिला।
तीसरी से सातवीं ट्रेन का शेड्यूल
3 दिसंबर को कोयंबटूर से तीसरी ट्रेन, 6 दिसंबर को चेन्नई से चौथी ट्रेन, 7 दिसंबर को कन्याकुमारी से पांचवीं ट्रेन, 9 दिसंबर को कोयंबटूर से छठी ट्रेन और 12 दिसंबर को चेन्नई से सातवीं और अंतिम ट्रेन का संचालन किया जा रहा है।
वाराणसी से तमिलनाडु की वापसी यात्रा
यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने वाराणसी से तमिलनाडु के विभिन्न शहरों के लिए भी 7 वापसी ट्रेनों की व्यवस्था की है। इनका शेड्यूल इस प्रकार है:
5 दिसंबर को वाराणसी से कन्याकुमारी के लिए पहली ट्रेन, 7 दिसंबर को चेन्नई के लिए, 9 दिसंबर को कोयंबटूर के लिए, 11 दिसंबर को फिर से चेन्नई के लिए अतिरिक्त सेवा, 13 दिसंबर को कन्याकुमारी के लिए, 15 दिसंबर को कोयंबटूर के लिए और 17 दिसंबर को चेन्नई के लिए अंतिम विशेष सेवा का संचालन होगा।
काशी तमिल संगमम 4.0 की खासियत
इस वर्ष काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण आयोजित किया जा रहा है। इस बार की थीम ‘आइए तमिल सीखें-तमिल करकलम’ रखी गई है। यह कार्यक्रम दो प्राचीन सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच सेतु का काम करता है।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण
वाराणसी के विभिन्न स्कूलों में तमिल भाषा का शिक्षण शुरू किया गया है। इसके अलावा तमिलनाडु स्टडी टूर का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें उत्तर भारत के छात्र तमिलनाडु की संस्कृति और परंपराओं को समझेंगे।
ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान
तेनकाशी से काशी तक ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान इस संगमम का एक विशेष आकर्षण है। यह अभियान प्राचीन ऋषि अगस्त्य की यात्रा को याद करता है, जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान किया था।
सरकारी भागीदारी और साझेदारी
इस कार्यक्रम में 10 केंद्रीय मंत्रालयों की सीधी भागीदारी है। IIT मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय इसके प्रमुख ज्ञान साझीदार हैं। इससे शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिल रहा है।
यात्रियों के लिए इन ट्रेनों का महत्व
लंबी दूरी की यात्रा में आसानी
वाराणसी और तमिलनाडु के बीच लगभग 2000 किलोमीटर से अधिक की दूरी है। इन विशेष ट्रेनों के जरिए यात्रियों को बिना बदलाव के सीधी यात्रा की सुविधा मिल रही है। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है।
सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं के लिए सुविधा
काशी तमिल संगमम में भाग लेने के लिए युवा, छात्र, कारीगर, विद्वान और सांस्कृतिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में वाराणसी आ रहे हैं। इन विशेष ट्रेनों से उन्हें सुविधाजनक कनेक्टिविटी मिल रही है।
भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा
ट्रेनों के चरणबद्ध संचालन से भीड़ का प्रबंधन बेहतर तरीके से हो रहा है। यात्रियों को समय पर आगमन और प्रस्थान की सुविधा मिल रही है। साथ ही सुरक्षा के भी पूरे इंतजाम किए गए हैं।
दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक सेतु
प्राचीन संबंधों को नई ऊर्जा
तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंध रहे हैं। कई तमिल संतों ने काशी की यात्रा की और यहां की महिमा का गुणगान किया। ये विशेष ट्रेनें इसी प्राचीन रिश्ते को नई ऊर्जा दे रही हैं।
भाषाई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
रेलवे की यह पहल केवल परिवहन तक सीमित नहीं है। यह दोनों राज्यों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रही है। यात्रियों को एक दूसरे की संस्कृति को समझने और सराहने का अवसर मिल रहा है।
रेलवे की केंद्रीय भूमिका
भारतीय रेलवे इस सांस्कृतिक-भाषाई साझेदारी को मजबूत करने में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। रेलवे का कहना है कि इन विशेष ट्रेनों के जरिए यात्रियों को सुरक्षित, सुविधाजनक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यात्रा अनुभव दिया जा रहा है।
वाराणसी और तमिलनाडु के बीच चलने वाली ये 7 विशेष ट्रेनें काशी तमिल संगमम 4.0 की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह पहल न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता को भी प्रदर्शित करती है। रेलवे की इस सराहनीय पहल से दोनों राज्यों के लोगों को एक दूसरे के करीब आने और अपनी समृद्ध विरासत को साझा करने का अवसर मिल रहा है।