प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार लगातार तकनीक के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। अब देश एक और बड़ी उपलब्धि की ओर बढ़ रहा है। फरवरी 2026 में भारत की राजधानी नई दिल्ली में भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 का आयोजन होगा। यह पहली बार है जब वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन की श्रृंखला किसी विकासशील देश में आयोजित की जाएगी। यह आयोजन भारत की बढ़ती तकनीकी ताकत और वैश्विक मंच पर इसकी बढ़ती साख का प्रमाण है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह शिखर सम्मेलन 16 से 20 फरवरी 2026 तक चलेगा। इस आयोजन से भारत की वैश्विक एआई चर्चाओं में भूमिका और मजबूत होगी।
भारत का एआई के प्रति समावेशी दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा से तकनीक को आम लोगों तक पहुंचाने पर जोर दिया है। सरकार का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी एआई का उपयोग केवल बड़ी कंपनियों या अमीर देशों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसे आम लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। चाहे वह स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, शिक्षा हो, कृषि हो या फिर रोजगार, हर जगह एआई का लाभ मिलना चाहिए।
भारत सरकार ने एआई से जुड़े नियम और कानून बनाते समय दुनिया के विभिन्न देशों के अनुभवों का अध्ययन किया है। साथ ही देश के विभिन्न हितधारकों से भी विस्तार से चर्चा की गई है। इस प्रक्रिया से तैयार हुई भारत की एआई रणनीति संतुलित और व्यावहारिक है। यह न तो बहुत सख्त है और न ही बहुत ढीली। इसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देना है और साथ ही लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
पहली बार विकासशील देश में वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन
अब तक वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन केवल विकसित देशों में ही आयोजित होते रहे हैं। ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया, फ्रांस जैसे देशों में इस तरह के आयोजन हुए हैं। भारत ने पेरिस एआई एक्शन शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता भी की थी। लेकिन 2026 का शिखर सम्मेलन खास है क्योंकि यह पहली बार किसी विकासशील देश में आयोजित हो रहा है।
यह बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि अब वैश्विक एआई चर्चा में विकासशील देशों की आवाज को भी महत्व दिया जा रहा है। भारत जैसे देश जो तेजी से तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें भी मंच मिल रहा है। यह एक समावेशी वैश्विक एआई संवाद की दिशा में बड़ा कदम है।
सात चक्र: शिखर सम्मेलन के मुख्य विषय
इस शिखर सम्मेलन को सात मुख्य विषयों के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है, जिन्हें सात चक्र कहा जा रहा है। ये चक्र शिखर सम्मेलन के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हैं और चर्चा की दिशा तय करते हैं।
मानव पूंजी का विकास
पहला चक्र मानव पूंजी पर केंद्रित है। एआई के युग में लोगों को नए कौशल सीखने की जरूरत है। शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से लोगों को एआई के साथ काम करने के लिए तैयार करना होगा। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और लोग तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर सकेंगे।
समावेशन और सबके लिए एआई
दूसरा चक्र समावेशन पर आधारित है। एआई का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचना चाहिए। गरीब, अमीर, शहरी, ग्रामीण, सभी को एआई की सुविधाएं मिलनी चाहिए। भारत की डिजिटल इंडिया पहल इसी सोच का प्रतिनिधित्व करती है।
सुरक्षित और विश्वसनीय एआई
तीसरा चक्र एआई की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है। एआई सिस्टम सुरक्षित होने चाहिए और लोग उन पर भरोसा कर सकें। डेटा की सुरक्षा, गोपनीयता की रक्षा और पारदर्शिता जरूरी है। लोगों को यह पता होना चाहिए कि एआई कैसे काम कर रहा है और उनके डेटा का क्या उपयोग हो रहा है।
लचीलापन और अनुकूलन क्षमता
चौथा चक्र लचीलेपन के बारे में है। तकनीक तेजी से बदल रही है। एआई सिस्टम को इन बदलावों के साथ तालमेल बिठाने की क्षमता होनी चाहिए। साथ ही किसी भी चुनौती या खतरे का सामना करने के लिए तैयार रहना जरूरी है।
नवाचार और दक्षता
पांचवां चक्र नवाचार और दक्षता को बढ़ावा देने पर आधारित है। एआई के जरिए नए समाधान खोजे जा सकते हैं और काम को ज्यादा कुशलता से किया जा सकता है। व्यवसाय, सरकार और समाज सभी स्तरों पर दक्षता बढ़ाने में एआई की भूमिका महत्वपूर्ण है।
एआई संसाधनों का लोकतंत्रीकरण
छठा चक्र एआई संसाधनों को सभी के लिए उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। बड़ी कंपनियों और सरकारों के पास एआई के साधन हैं, लेकिन छोटे उद्यमी, स्टार्टअप और शोधकर्ताओं को भी इन संसाधनों तक पहुंच मिलनी चाहिए। ओपन सोर्स तकनीक और सार्वजनिक डेटा सेट इसमें मदद कर सकते हैं।
आर्थिक विकास और सामाजिक भलाई
सातवां और अंतिम चक्र आर्थिक विकास और सामाजिक भलाई के लिए एआई के उपयोग पर आधारित है। एआई से केवल कंपनियों को ही फायदा नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे समाज का समग्र विकास होना चाहिए। गरीबी कम करना, स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाना, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना जैसे लक्ष्यों में एआई का योगदान होना चाहिए।
नियमों की बजाय सिफारिशें
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य तुरंत कड़े नियम बनाना नहीं है। बल्कि इसका लक्ष्य ऐसी सिफारिशें तैयार करना है जिन्हें लागू किया जा सके। ये सिफारिशें दीर्घकालिक एआई शासन के लिए मार्गदर्शन करेंगी। इससे देशों को अपनी परिस्थितियों के अनुसार एआई नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार
यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर है। दुनिया के विभिन्न देशों के प्रतिनिधि, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग जगत के नेता और नीति निर्माता भारत आएंगे। वे भारत की तकनीकी प्रगति को देखेंगे और समझेंगे। इससे भारत में निवेश बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के नए अवसर खुलेंगे।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल भुगतान, आधार, डिजिटल इंडिया जैसी पहलों से दुनिया को दिखा दिया है कि तकनीक को बड़े पैमाने पर कैसे लागू किया जा सकता है। अब एआई के क्षेत्र में भी भारत नेतृत्व की भूमिका निभाने को तैयार है।
भारत-एआई प्रभाव शिखर सम्मेलन 2026 केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की बदलती वैश्विक छवि का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल तकनीक का उपभोक्ता नहीं बल्कि तकनीकी नीतियों और मानकों को तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए गौरव का क्षण होगा और देश को तकनीक के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।