वंदे मातरम् की गूंज और देश की एकता
लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब अंग्रेज भारत को कमजोर करने की पूरी कोशिश कर रहे थे, तब वंदे मातरम् ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधे रखा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल को दो हिस्सों में बाँट दिया था। अंग्रेजों को लगता था कि यदि बंगाल टूट गया, तो भारत भी टूट जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वंदे मातरम् उस कठिन समय में देश की हिम्मत बनकर खड़ा रहा।
अंग्रेजों की योजना और बंगाल को चुनने का कारण
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेज समझ गए थे कि भारत में उनका टिके रहना आसान नहीं है। इसलिए उन्होंने यह रास्ता चुना कि भारत को बांटकर राज किया जाए। अंग्रेजों का मानना था कि यदि भारत के लोग एक-दूसरे से लड़ेंगे, तो वे लंबे समय तक राज कर सकेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेजों ने बंगाल को इसलिए चुना क्योंकि उस समय बंगाल देश का बौद्धिक केंद्र था। बंगाल की सोच, बंगाल की शक्ति और बंगाल की प्रेरणा पूरे भारत को दिशा देती थी। अंग्रेज इसी शक्ति को कमजोर करना चाहते थे।
Speaking in the Lok Sabha. https://t.co/qYnac5iCTB
— Narendra Modi (@narendramodi) December 8, 2025
1905 का विभाजन और वंदे मातरम् की भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया। यह कदम भारत की एकता पर चोट था। लेकिन वंदे मातरम् उस समय एक चट्टान की तरह खड़ा रहा। गली-गली, गाँव-गाँव और शहर-शहर में वंदे मातरम् का स्वर गूंजता रहा।
वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं था, बल्कि भारत की आत्मा की आवाज था। लोगों ने इसे केवल गाने के रूप में नहीं, बल्कि अपने संघर्ष और अपने आत्मविश्वास का प्रतीक बना लिया था।
स्वदेशी आंदोलन और देश की नई चेतना
प्रधानमंत्री ने कहा कि बंगाल विभाजन के बाद पूरे देश में एक बड़ा स्वदेशी आंदोलन खड़ा हुआ। यह आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ एक शांत लेकिन मजबूत जवाब था। लोग विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने लगे। स्थानीय चीजों को अपनाने लगे। इस परिवर्तन ने अंग्रेजों पर दबाव बढ़ाया।
वंदे मातरम् इस पूरे आंदोलन की प्रेरणा बना रहा। यह गीत लोगों को साहस देता था। युवाओं को आगे बढ़ने का हौसला मिलता था। महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में इस आंदोलन का नेतृत्व किया और इतिहास में खास जगह बनाई।
अंग्रेजों का डर और वंदे मातरम् पर रोक
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंग्रेज वंदे मातरम् की शक्ति को समझ गए थे। बंकिमचंद्र चटर्जी, जिन्हें बंकिम बाबू कहा जाता है, ने यह गीत रचा। यह गीत बंगाल से उठकर पूरे भारत में फैल गया और अंग्रेजों की नीतियों को चुनौती देने लगा।
अंग्रेज इतने घबरा गए कि उन्होंने वंदे मातरम् पर कानूनी रोक लगा दी। गाने पर सजा, छापने पर सजा और यहां तक कि बोलने पर भी सजा का कानून बना दिया गया। यह दिखाता है कि इस गीत ने अंग्रेजों को किस हद तक परेशान किया था।
पीएम मोदी ने कहा कि यह गीत भारत की आजादी के संघर्ष में एक मजबूत शक्ति बन चुका था। महिलाएं भी बड़ी बहादुरी से आगे आईं। प्रधानमंत्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अनेक महिलाएं केवल वंदे मातरम् के लिए जेल जाने को तैयार थीं।
वंदे मातरम्: एकता का सूत्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् ने भारत की एकता को मजबूती दी। अंग्रेज जहां देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे, वहीं वंदे मातरम् ने लोगों को जोड़ने का काम किया।
उन्होंने कहा कि यह गीत केवल आजादी के समय की स्मृति नहीं है, बल्कि आज भी यह गीत देश की एकता और शक्ति का प्रतीक है।
आगे राज्यसभा में चर्चा
लोकसभा में इस विषय पर 10 घंटे की चर्चा तय की गई है। मंगलवार को राज्यसभा में भी राष्ट्रगीत पर चर्चा होगी, जिसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे।
यह पूरा कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि वंदे मातरम् ने देश को सदा एकजुट रखा और आज भी वही भावना देश के अंदर जीवित है।