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कफ सिरप मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई, उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड में पड़ी रेड

Cough Syrup Case
कफ सिरप मामले में ईडी की बड़ी कार्रवाई
ईडी ने अवैध कफ सिरप कांड में उत्तर प्रदेश, झारखंड और गुजरात के कई ठिकानों पर छापेमारी की। मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल विदेश भाग चुका है, जबकि 32 लोग अब तक गिरफ्तार हो चुके हैं। पिछले दो महीनों में हजारों करोड़ रुपये का अवैध कारोबार उजागर हुआ है।
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Cough Syrup Case: अवैध कफ सिरप कांड बीते कुछ महीनों से उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों में सुर्खियों का प्रमुख विषय बना हुआ है। इसी क्रम में आज शुक्रवार की सुबह इस पूरे मामले में एक बड़ी हलचल दिखी, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) लखनऊ यूनिट की टीम ने मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल से जुड़े कई राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की। कफ सिरप से हुई संदिग्ध मौतों, करोड़ों के काले कारोबार और अंतरराज्यीय सप्लाई के चलते यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर अपराध की श्रेणी में गिना जाने लगा है।

किन-किन जगहों पर हुई छापेमारी?

सूत्रों की माने तो ईडी ने शुक्रवार सुबह उत्तर प्रदेश के लखनऊ, सहारनपुर, जौनपुर और वाराणसी में बने ठिकानों पर एकसाथ छापे मारे। इसी के साथ गुजरात के अहमदाबाद और झारखंड की राजधानी रांची में भी जांच टीमों ने दस्तक दी। जानकारी यही बताती है कि इन स्थानों पर अवैध कफ सिरप के भारी स्टॉक छिपाकर रखे जाते थे और यहीं से आसपास के जिलों, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में सप्लाई का नेटवर्क चलाया जा रहा था।

पिछले दो महीनों में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक ही तरह की कफ सिरप की हजारों बोतलें बरामद हुईं, जो कोडीन फॉर्मुले पर तैयार की जाती थीं। ऐसे उत्पाद प्रतिबंधित वर्ग में आते हैं और बिना लाइसेंस व निगरानी के इनकी बिक्री कानूनन अपराध है। लेकिन इस पूरे गिरोह ने इसे करोड़ों का धंधा बना दिया।

जांच कैसे शुरू हुई?

यह पूरा मामला तब जोर पकड़ गया, जब कई जिलों में बच्चों की संदिग्ध मौतों और गंभीर बीमारियों के मामलों में एक ही कंपनी की कफ सिरप का ज़िक्र सामने आया। पुलिस को संदेह हुआ कि इस सिरप में निर्धारित मात्रा से अधिक कोडीन या अन्य हानिकारक तत्व मिलाए गए थे। लगातार मिले इन संकेतों के बाद पुलिस ने 30 से अधिक एफआईआर दर्ज कीं, और फिर प्रवर्तन निदेशालय इस पूरे नेटवर्क की आर्थिक जाँच में शामिल हो गया।

मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल

शुभम जायसवाल को इस पूरे गोरखधंधे का मुख्य संचालक माना जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्टें बताती हैं कि शुभम ने कई फर्जी लाइसेंस और शेल कंपनियों के माध्यम से इस अवैध व्यापार को बढ़ाया। उसके सहयोगी आलोक सिंह और अमित सिंह इस नेटवर्क को जमीनी स्तर पर संभालते थे। आलोक की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है, जबकि अमित की तलाश अब भी जारी है।

सूत्रों का दावा है कि जब मामले ने तूल पकड़ा, तब शुभम जायसवाल देश छोड़कर दुबई भाग गया। वहीं, उसके पिता भोला प्रसाद समेत 32 लोगों को पुलिस और ईडी ने अब तक गिरफ्तार किया है। यह पूरा नेटवर्क अलग-अलग राज्यों में फैला हुआ था, जो इसे और भी जटिल और खतरनाक बनाता है।

अवैध कारोबार का स्तर

पिछले दो महीनों में जिन जिलों में कफ सिरप का अवैध भंडारण मिला है, उनमें लखनऊ, वाराणसी, सहारनपुर, सोनभद्र और गाजियाबाद जैसे बड़े जिले शामिल हैं। शुरुआती जांच में यह अनुमान है कि लगभग हजारों करोड़ रुपये का व्यापार इस गैर-कानूनी नेटवर्क द्वारा संचालित किया गया था। कई जगहों पर ऐसे गोदाम मिले, जिनमें सामान्य दुकानों से कई गुना अधिक स्टॉक भरकर रखा गया था।

मामले में सरकार और एजेंसियों की कार्रवाई

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को गंभीर मानते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है। ईडी और एसआईटी दोनों समानांतर जांच कर रहे हैं और कई नई परतें अभी खुलनी बाकी हैं। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या इस नेटवर्क के तार दवा कंपनियों, सप्लाई एजेंटों या किसी बड़े व्यापारी समूह से जुड़े हुए थे।\

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।