विभागीय सुधारों का असर गाँव तक पहुँचाना मुख्य लक्ष्य
राजस्व विभाग में चल रहे सुधारों को अब गाँव-स्तर तक सरल और प्रभावी तरीके से पहुँचाने पर जोर दिया जा रहा है। अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खारगे ने नागपुर में आयोजित समीक्षा बैठक में कहा कि सरकार द्वारा लागू किए गए नए बदलाव तभी सफल माने जाएंगे जब हर नागरिक को उनका लाभ सहज रूप से मिल सके।
बैठक में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव लाना होगा, ताकि जनता को सुशासन का वास्तविक अनुभव मिल सके। उनके अनुसार, राजस्व विभाग का कार्य सीधे लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ा होने के कारण पारदर्शिता और समयबद्धता सबसे महत्वपूर्ण है।
राजस्व विभाग में चल रहे मुख्य सुधार
जमीन स्वामित्व की प्रक्रिया को आसान बनाना
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि जमीन के स्वामित्व, पानंध रास्ते, टुकड़ेबंदी कानून और हर घर को प्रॉपर्टी कार्ड देने जैसे कार्यों को सरकार लगातार सरल बना रही है। इन सुधारों का उद्देश्य लोगों को उनके अधिकारों से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज आसानी से उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हर स्तर का कर्मचारी इन बदलावों को समझे और इन्हें लागू करने में पूरी जिम्मेदारी निभाए।
1996 से पहले के अतिक्रमणों के नियमितीकरण की प्रक्रिया
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार 1996 से पहले के अतिक्रमणों का नियमितीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। इस निर्णय से बड़े पैमाने पर नागरिकों को राहत मिल सकती है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि सभी अधिकारी इस प्रक्रिया में तेजी लाएं और तकनीक का उपयोग कर बिना देरी के मामले निपटाएं।
विकास खारगे ने कहा कि यह कार्य संवेदनशील है और इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने की पूरी जिम्मेदारी विभाग की है।
ई-फेरफार प्रणाली से पारदर्शिता बढ़ाना
सरकार ने ई-फेरफार जैसी तकनीकी व्यवस्था लागू की है, जिससे भूमि अभिलेखों में संशोधन की प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो सके। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि कर्मचारी डिजिटल प्रक्रियाओं को अपनाएं, ताकि नागरिकों को बार-बार दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें।
विभागीय कार्यक्षमता पर जोर
विभागों के बीच समन्वय
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली भूमि अभिलेख, स्वामित्व और राजस्व वसूली जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी है। इसलिए विभागों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है। उन्होंने बताया कि जब तक संबंधित विभाग एक दूसरे के साथ संवाद नहीं करेंगे, तब तक सुधारों का पूरा लाभ जनता तक नहीं पहुँच पाएगा।
क्षेत्रभ्रमण और नागरिक संवाद
अधिकारियों से कहा गया कि वे ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रभ्रमण करें और स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा नागरिकों से संवाद करें। इससे जमीनी समस्याओं को समझना आसान होगा और उन पर तेजी से काम किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था तभी मजबूत होती है जब अधिकारी जनता से सीधे प्रतिक्रिया प्राप्त कर सुधारों को लागू करते हैं।
जनसंपर्क और सेवा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
प्रमाणपत्रों और योजनाओं से जुड़ी सेवाएँ
विकास खारगे ने बताया कि जनता का सबसे ज्यादा संपर्क राजस्व विभाग से होता है। चाहे संजय गांधी निराधार योजना हो या विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र, नागरिक अक्सर इसी विभाग के पास आते हैं।
इसलिए हर कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वह अपनी सेवा से जनता का विश्वास बढ़ाए और समय पर समाधान दे।
लंबित मामलों पर कड़ी नजर
उन्होंने निर्देश दिया कि कोई भी प्रकरण एक सप्ताह से ज्यादा लंबित नहीं रहना चाहिए। लंबी देरी से जनता में असंतोष पैदा होता है और विभाग की छवि खराब होती है।
नागपुर जिलाधिकारी डॉ. विपीन इटनकर द्वारा किए जा रहे सुधारों की उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि इसी प्रकार की सक्रियता अन्य जिलों में भी दिखाई देनी चाहिए।
सुशासन की दिशा में आगे बढ़ता राजस्व विभाग
राजस्व विभाग में सुधारों का उद्देश्य सिर्फ प्रक्रियाओं को तेज करना नहीं है, बल्कि जनता को विश्वास और सुरक्षा देना भी है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुँचे और कोई भी नागरिक दस्तावेजों के लिए परेशानी न झेले।
विकास खारगे ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य है कि हर नागरिक को यह महसूस हो कि सरकार उसके साथ है और उसकी समस्याएँ गंभीरता से सुनी जा रही हैं।
राजस्व विभाग का कार्यभार बहुत बड़ा है, लेकिन तकनीक, पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ काम किया जाए तो सुधारों का असर गाँव तक पहुँच सकता है। सरकार अब यही सुनिश्चित करना चाहती है कि बदलाव सिर्फ कागजों पर न रहें, बल्कि जमीन पर दिखें और लोगों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाएँ।