नागपुर से शुरू हुआ ओबीसी समुदायों का संघर्ष
महाराष्ट्र के पिछड़े वर्ग के समुदायों के लिए एक बड़ा सवाल पिछले डेढ़ साल से लंबित है। राज्य के 27+6 ओबीसी समुदायों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र ओबीसी कृती समिति ने दिल्ली में तीन दिवसीय दौरा किया। यह दौरा 16 से 20 दिसंबर 2025 तक चला, जिसमें विभिन्न समाज संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों और अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी मांगों को रखा।
इस पूरे मामले की शुरुआत साल 2024 में हुई थी जब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और अन्य पिछड़ा वर्ग मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त सुनवाई की थी। इस सुनवाई के बाद 2 अक्टूबर 2024 को पहले चरण में 15 जाति और उपजातियों की रिपोर्ट केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को भेजी गई थी। बाद में शेष 12 ओबीसी जाति और उपजातियों की रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेज दी गई।
केंद्रीय कैबिनेट में अटकी रिपोर्ट
लगभग 15 महीने बीत जाने के बाद भी यह रिपोर्ट केंद्रीय कैबिनेट में प्रस्तुत नहीं की गई है। इस देरी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हजारों विद्यार्थियों को भारी नुकसान हो रहा है। इन विद्यार्थियों को केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनका भविष्य दांव पर लग गया है।
महाराष्ट्र ओबीसी कृती समिति के सदस्यों को जानकारी मिली कि इस मामले में आगे बढ़ने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सिफारिश आवश्यक है। इसी वजह से समिति ने दिल्ली दौरे की योजना बनाई और विभिन्न केंद्रीय नेताओं से संपर्क किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात
इस दौरे के दौरान सबसे महत्वपूर्ण मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई। डॉ. नामदेव राऊत और श्रावण फरकाडे के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने अमित शाह से भेंट कर इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें बताया कि यह मामला महाराष्ट्र के 32 ओबीसी समाजों की लगभग 3 करोड़ जनता से जुड़ा हुआ है।
समिति के सदस्यों ने गृह मंत्री को समझाया कि इस फैसले में देरी से न केवल विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है, बल्कि पूरे समुदाय में निराशा का माहौल फैल रहा है। उन्होंने अमित शाह से अनुरोध किया कि वे इस मामले में अपनी सिफारिश जल्द से जल्द दें ताकि केंद्रीय कैबिनेट में यह प्रस्ताव पेश हो सके।
अन्य केंद्रीय मंत्रियों से भी मिले
महाराष्ट्र ओबीसी कृती समिति के प्रतिनिधियों ने केवल गृह मंत्री से ही नहीं, बल्कि अन्य कई केंद्रीय मंत्रियों से भी मुलाकात की। इनमें केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रक्षा खडसे, और रामदास आठवले प्रमुख हैं। सभी मंत्रियों को इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत कराया गया और शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया गया।
इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न सांसदों और सरकारी अधिकारियों से भी मुलाकात की। हर मुलाकात में एक ही मांग रखी गई कि 27+6 ओबीसी जातियों को जल्द से जल्द केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाए।
विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा नुकसान उन विद्यार्थियों का हो रहा है जो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल न होने के कारण इन विद्यार्थियों को आईआईटी, एनआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अन्य केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
कई विद्यार्थी ऐसे हैं जो प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक लाने के बावजूद आरक्षण न मिलने के कारण अच्छे संस्थानों में प्रवेश नहीं पा रहे हैं। इससे उनके करियर पर बुरा असर पड़ रहा है और कई विद्यार्थी निराश होकर पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
3 करोड़ लोगों का सवाल
यह केवल कुछ विद्यार्थियों का मामला नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र के 32 ओबीसी समाजों की लगभग 3 करोड़ जनता से जुड़ा हुआ सवाल है। इन समुदायों में किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी और अन्य पेशे से जुड़े लोग शामिल हैं। इन्हें शिक्षा और रोजगार में आरक्षण का लाभ मिलना उनके विकास के लिए बेहद जरूरी है।
महाराष्ट्र सरकार ने इन समुदायों को राज्य स्तर पर ओबीसी का दर्जा दे रखा है, लेकिन केंद्रीय सूची में शामिल न होने के कारण उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं और संस्थानों में आरक्षण नहीं मिल पाता। इससे एक बड़ी आबादी विकास की मुख्य धारा से वंचित रह जाती है।
समाज संगठनों की एकजुटता
इस दौरे की खास बात यह रही कि विभिन्न समाज संगठन एकजुट होकर इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं। महाराष्ट्र ओबीसी कृती समिति के नेतृत्व में सभी संगठनों ने मिलकर एक मजबूत प्रतिनिधिमंडल बनाया और दिल्ली में अपनी मांगों को रखा। यह एकजुटता इस बात का संकेत है कि समुदाय अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है और अपनी मांगों के लिए संघर्ष करने को तैयार है।
आगे की राह
अब सभी की नजरें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं। महाराष्ट्र ओबीसी कृती समिति और अन्य समाज संगठनों को उम्मीद है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों से हुई मुलाकातों का सकारात्मक असर होगा। समिति के सदस्यों का मानना है कि जल्द ही यह मामला केंद्रीय कैबिनेट में पेश होगा और सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
अगर यह मांग पूरी हो जाती है तो महाराष्ट्र के लाखों विद्यार्थियों को केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। इससे न केवल उनका भविष्य संवर सकेगा बल्कि पूरे समुदाय का विकास होगा। यह मांग सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।