Silver Rate Today: सोने के साथ-साथ चांदी भी इन दिनों निवेश और महंगाई की बहस के केंद्र में आ चुकी है। लगातार नए रिकॉर्ड बनाती चांदी की कीमतों ने बाजार में हलचल पैदा कर दी है। कभी तेज उछाल, तो कभी हल्की गिरावट—चांदी का यह उतार-चढ़ाव केवल आंकड़ों की कहानी नहीं है, बल्कि इसके पीछे निवेशकों की सोच, वैश्विक हालात और घरेलू मांग का पूरा गणित छिपा है।
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के अनुसार शुक्रवार को बाजार बंद होने तक चांदी की कीमत घटकर 2,00,067 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई। चूंकि शनिवार और रविवार को सर्राफा बाजार बंद रहता है, इसलिए इन दोनों दिनों के लिए यही भाव मान्य रहेगा। इससे ठीक पहले अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार गुरुवार को दिल्ली में चांदी 2,07,600 रुपये प्रति किलोग्राम के नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई थी।
चांदी में रिकॉर्ड तेजी
इस साल चांदी ने निवेशकों को चौंका दिया है। 1 जनवरी को जहां चांदी की कीमत 90,500 रुपये प्रति किलोग्राम थी, वहीं अब यह करीब 1,17,100 रुपये की बढ़त के साथ 129.4 प्रतिशत तक उछल चुकी है। यह बढ़ोतरी अपने आप में ऐतिहासिक है और बताती है कि चांदी अब केवल औद्योगिक धातु नहीं, बल्कि मजबूत निवेश विकल्प के रूप में उभर रही है।
यह तेजी आम निवेशक के लिए एक तरह का अलार्म भी है और अवसर भी। जहां एक ओर मुनाफे की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर अचानक गिरावट का जोखिम भी बना रहता है।
दिल्ली बाजार में क्या रहा हाल
पिछले कारोबारी दिन दिल्ली में चांदी की कीमत रिकॉर्ड स्तर से नीचे फिसल गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के मुताबिक स्टॉकिस्टों और फुटकर विक्रेताओं की बिकवाली के चलते चांदी 3,500 रुपये टूटकर 2,04,100 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई।
इससे एक दिन पहले ही चांदी 1,800 रुपये की छलांग लगाकर 2,07,600 रुपये प्रति किलोग्राम के शिखर पर पहुंची थी। यह साफ दिखाता है कि बाजार में मुनाफावसूली का दौर भी उतना ही तेज है, जितनी तेजी कीमतों में देखने को मिल रही है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर
चांदी की कीमतें केवल घरेलू मांग से तय नहीं होतीं। अंतरराष्ट्रीय बाजार भी इसमें बड़ी भूमिका निभाता है। विदेशी व्यापार में हाजिर चांदी 0.56 प्रतिशत बढ़कर 65.85 डॉलर प्रति औंस पर रही।
डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं की स्थिति, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और ब्याज दरों को लेकर चिंताएं—ये सभी कारक चांदी की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं। जब वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ती है, तो निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख करते हैं, जिसमें चांदी भी शामिल है।
आम खरीदार और निवेशक की दुविधा
चांदी की इस तेजी ने आम खरीदार को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आभूषण खरीदने वाले ग्राहकों के लिए यह कीमतें भारी पड़ सकती हैं। वहीं निवेशक इस दुविधा में हैं कि क्या यह सही समय है मुनाफा निकालने का या फिर आगे और तेजी का इंतजार करने का।
एक आम नागरिक के तौर पर यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या चांदी अब आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है। शादी-ब्याह और पारंपरिक खरीदारी में चांदी का महत्व हमेशा रहा है, लेकिन बढ़ती कीमतें बजट पर असर डाल रही हैं।
आगे क्या हो सकता है रुख
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी में उतार-चढ़ाव का दौर आगे भी जारी रह सकता है। औद्योगिक मांग, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर सेक्टर में उपयोग, कीमतों को सहारा दे रही है। वहीं मुनाफावसूली और वैश्विक संकेतों के कारण बीच-बीच में गिरावट भी संभव है।
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