पुलिस विभाग में कार्यरत रहते हुए मृत हुए एक पुलिसकर्मी की बेटी के बेटे का नाम अनुकंपा आधार पर प्रतीक्षा सूची में शामिल कर नियम के अनुसार नौकरी देने का आदेश महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण (मैट) ने एक मामले में राज्य सरकार को दिया है। इस आदेश से संजुषा दिनेश पटेल और गौरव दिनेश पटेल को राहत मिली है।
संजुषा के पिता ज्ञानेश्वर हरिभाऊ मसाले रेलवे पुलिस विभाग में कार्यरत थे। सेवा के दौरान 15 सितंबर 2010 को उनका निधन हो गया। इसके बाद मसाले की पत्नी ने अपनी चार संतानों में से बेटी संजुषा का नाम अनुकंपा आधार पर नौकरी के लिए प्रस्तावित किया था। इसके अनुसार रेलवे पुलिस विभाग ने उनका नाम अनुकंपा प्रतीक्षा सूची में शामिल किया, लेकिन अब तक उन्हें कोई नौकरी नहीं मिली।
इस कारण संजुषा पटेल ने अपने स्थान पर बेटे गौरव पटेल का नाम अनुकंपा प्रतीक्षा सूची में शामिल कर उसे नौकरी देने की मांग की थी। लेकिन रेलवे पुलिस ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके चलते उन्होंने अधिवक्ता नाजिया मोह. सलीम पठान के माध्यम से मैट में याचिका दायर की।
उनकी याचिका पर मैट के उपाध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति मुरलीधर गिरटकर की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधिकरण ने आदेश दिया कि संजुषा पटेल का नाम अनुकंपा प्रतीक्षा सूची से हटाकर वहां उनके बेटे गौरव पटेल का नाम शामिल किया जाए और नियमों के अनुसार उसे नौकरी दी जाए। पटेल की ओर से अधिवक्ता नाजिया मोह. सलीम पठान ने पक्ष रखा।