Diesel Price Today: भारत की सड़कों पर दौड़ता हर ट्रक, बस और मालवाहक वाहन केवल एक साधन नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की धड़कन है। लेकिन जब यही धड़कन डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण भारी पड़ने लगती है, तो इसका असर केवल परिवहन क्षेत्र तक सीमित नहीं रहता। आज देश का परिवहन क्षेत्र डीजल की महंगाई से जूझ रहा है और इसका सीधा प्रभाव व्यवसाय, रोजगार और आम जनता की जेब पर पड़ रहा है।
पिछले कुछ समय से डीजल की कीमतों में लगातार ऊंचे स्तर बने रहने से उन उद्योगों की परिचालन लागत बढ़ गई है, जो पूरी तरह डीजल वाहनों पर निर्भर हैं। ट्रक चालकों से लेकर बस संचालकों और छोटे माल ढुलाई व्यवसायियों तक, हर कोई इस बढ़ती लागत का दबाव महसूस कर रहा है।
डीजल की कीमतें और परिवहन क्षेत्र का सीधा संबंध
भारत में परिवहन व्यवस्था का बड़ा हिस्सा डीजल पर आधारित है। लंबी दूरी की माल ढुलाई हो या अंतरराज्यीय बस सेवाएं, डीजल ही मुख्य ईंधन है। ऐसे में डीजल की कीमतों में थोड़ी सी बढ़ोतरी भी पूरे तंत्र को प्रभावित कर देती है।
परिवहन कंपनियों के लिए ईंधन लागत कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा होती है। जब डीजल महंगा होता है, तो उन्हें या तो किराया बढ़ाना पड़ता है या फिर मुनाफे में कटौती करनी पड़ती है। दोनों ही स्थितियां अंततः आम उपभोक्ता को प्रभावित करती हैं।
भारत में राज्यवार डीजल कीमत
| राज्य / केंद्र शासित प्रदेश | डीजल कीमत (₹ प्रति लीटर) | कीमत में बदलाव |
|---|---|---|
| अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह | ₹78.05 | कोई बदलाव नहीं |
| आंध्र प्रदेश | ₹97.47 | कोई बदलाव नहीं |
| अरुणाचल प्रदेश | ₹80.21 | ₹0.28 की कमी |
| असम | ₹89.50 | ₹0.06 की कमी |
| बिहार | ₹91.96 | ₹0.30 की बढ़ोतरी |
| चंडीगढ़ | ₹82.45 | कोई बदलाव नहीं |
| छत्तीसगढ़ | ₹93.39 | कोई बदलाव नहीं |
| दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव | ₹87.87 | कोई बदलाव नहीं |
| दिल्ली | ₹87.67 | कोई बदलाव नहीं |
| गोवा | ₹88.36 | ₹0.67 की कमी |
| गुजरात | ₹90.47 | ₹0.14 की कमी |
| हरियाणा | ₹88.40 | कोई बदलाव नहीं |
| हिमाचल प्रदेश | ₹87.36 | कोई बदलाव नहीं |
| जम्मू एवं कश्मीर | ₹83.41 | ₹0.58 की कमी |
| झारखंड | ₹92.97 | ₹0.35 की बढ़ोतरी |
| कर्नाटक | ₹90.99 | कोई बदलाव नहीं |
| केरल | ₹96.48 | कोई बदलाव नहीं |
| लद्दाख | ₹87.72 | कोई बदलाव नहीं |
| लक्षद्वीप | ₹95.71 | कोई बदलाव नहीं |
| मध्य प्रदेश | ₹91.89 | कोई बदलाव नहीं |
| महाराष्ट्र | ₹90.03 | कोई बदलाव नहीं |
| मणिपुर | ₹85.26 | ₹0.10 की कमी |
| मेघालय | ₹87.81 | कोई बदलाव नहीं |
| मिजोरम | ₹88.64 | ₹0.51 की बढ़ोतरी |
| नागालैंड | ₹88.99 | ₹0.14 की बढ़ोतरी |
| ओडिशा | ₹92.69 | कोई बदलाव नहीं |
| पुडुचेरी | ₹86.47 | ₹0.06 की कमी |
| पंजाब | ₹88.09 | कोई बदलाव नहीं |
| राजस्थान | ₹90.21 | कोई बदलाव नहीं |
| सिक्किम | ₹90.45 | कोई बदलाव नहीं |
| तमिलनाडु | ₹92.39 | ₹0.10 की कमी |
| तेलंगाना | ₹95.70 | कोई बदलाव नहीं |
| त्रिपुरा | ₹86.62 | ₹0.19 की बढ़ोतरी |
| उत्तर प्रदेश | ₹87.67 | ₹0.14 की कमी |
| उत्तराखंड | ₹88.17 | कोई बदलाव नहीं |
| पश्चिम बंगाल | ₹92.02 | कोई बदलाव नहीं |
रसद उद्योग पर बढ़ता दबाव
रसद और माल परिवहन उद्योग सबसे पहले डीजल की महंगाई का असर झेलता है। ट्रक मालिकों के लिए हर किलोमीटर की लागत बढ़ जाती है। छोटे ट्रांसपोर्ट कारोबारी, जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
परिणामस्वरूप, जरूरी सामानों की ढुलाई महंगी हो जाती है। अनाज, सब्जी, फल, सीमेंट और अन्य निर्माण सामग्री की कीमतों पर इसका असर साफ दिखाई देता है। यह महंगाई की एक ऐसी श्रृंखला बन जाती है, जो हर घर तक पहुंचती है।
सार्वजनिक परिवहन की बढ़ती मुश्किलें
बस सेवाएं, जो आम आदमी की जीवनरेखा मानी जाती हैं, डीजल की बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। सरकारी और निजी दोनों ही बस संचालकों के लिए किराया स्थिर रखना मुश्किल हो जाता है।
जब किराया बढ़ता है, तो इसका सीधा असर दफ्तर जाने वाले कर्मचारियों, छात्रों और रोजमर्रा की यात्राओं पर निर्भर लोगों पर पड़ता है। कई बार किराया न बढ़ाने की स्थिति में सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ती है।
माल वितरण सेवाओं पर असर
ई-कॉमर्स और होम डिलीवरी सेवाओं के बढ़ते दौर में माल वितरण सेवाएं देश की जरूरत बन चुकी हैं। लेकिन डीजल की महंगाई से इन सेवाओं की लागत भी बढ़ रही है।
डिलीवरी शुल्क में वृद्धि या उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में यह बोझ उपभोक्ता तक पहुंचता है। एक आम ग्राहक के तौर पर यह महसूस किया जा सकता है कि रोजमर्रा की वस्तुएं धीरे-धीरे महंगी होती जा रही हैं।
छोटे कारोबारियों की बढ़ती चिंता
डीजल की कीमतों का असर सबसे ज्यादा छोटे और मध्यम कारोबारियों पर पड़ता है। जिनकी आमदनी सीमित होती है, उनके लिए परिवहन लागत का बढ़ना सीधा घाटा बन जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और छोटे व्यापारी अपनी उपज मंडियों तक पहुंचाने के लिए डीजल वाहनों पर निर्भर रहते हैं। डीजल महंगा होने से उनकी लागत बढ़ती है, लेकिन उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
महंगाई और आम आदमी की जेब
डीजल की कीमतें बढ़ने का असर अंततः महंगाई के रूप में सामने आता है। परिवहन महंगा होने से हर वस्तु की कीमत पर असर पड़ता है। यह स्थिति उस आम आदमी के लिए सबसे ज्यादा कठिन होती है, जिसकी आय पहले से सीमित है।
एक नागरिक के तौर पर यह महसूस करना आसान है कि डीजल केवल ईंधन नहीं, बल्कि जीवन की कई जरूरतों से जुड़ा हुआ है। जब इसकी कीमतें बढ़ती हैं, तो हर स्तर पर असंतुलन पैदा होता है।