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Petrol Price Today: भारत में पेट्रोल कीमतें स्थिर, 10 महीनों से नहीं हुआ कोई बदलाव — अंतरराष्ट्रीय तेल दरों और कर संरचना ने थाम रखी कीमतों की रफ्तार

Petrol Price in India Today 27th Oct 2025: भारत में 10 महीनों से स्थिर पेट्रोल दरें, जानिए किन कारणों से नहीं बढ़ी कीमतें
Petrol Price in India Today 27th Oct 2025: भारत में 10 महीनों से स्थिर पेट्रोल दरें, जानिए किन कारणों से नहीं बढ़ी कीमतें
अक्टूबर 27, 2025

भारत में पेट्रोल की कीमतें स्थिर, 10 महीनों से नहीं हुआ कोई बदलाव

भारत में पेट्रोल की कीमतें पिछले 10 महीनों से पूरी तरह स्थिर बनी हुई हैं। मुंबई में पेट्रोल का दाम ₹103.50 प्रति लीटर है, जबकि दिल्ली में यह ₹94.77 प्रति लीटर पर कायम है। इस दर में 1 दिसंबर 2024 से अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह स्थिरता भारत की ईंधन नीति, कर ढांचे और वैश्विक तेल बाजार की परिस्थितियों के संयुक्त प्रभाव को दर्शाती है।

भारतीय मेट्रो शहरों में पेट्रोल की कीमत (27 अक्टूबर 2025)

City Price Price Change
New Delhi ₹94.77 0.00
Kolkata ₹105.41 0.00
Mumbai ₹103.50 0.00
Chennai ₹100.80 0.00
Gurgaon ₹95.26 0.00
Noida ₹94.77 0.00
Bangalore ₹102.92 0.00
Bhubaneswar ₹101.35 +0.32
Chandigarh ₹94.30 0.00
Hyderabad ₹107.46 0.00
Jaipur ₹104.72 +0.03
Lucknow ₹94.69 0.00
Patna ₹105.60 +0.37
Thiruvananthapuram ₹107.48 -0.01

इनमें से किसी भी शहर में पिछले एक माह में कोई बदलाव दर्ज नहीं किया गया है। यह स्थिति उस समय बनी है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हलचल जारी है।


कर और विनिमय दरें: स्थिर कीमतों के पीछे मुख्य कारण

सरकारी कर संरचना का प्रभाव

भारत में पेट्रोल की खुदरा कीमत का लगभग 55% हिस्सा केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए करों से बनता है। केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में प्रति लीटर ₹21 वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें वैट जोड़ती हैं, जो राज्यों के अनुसार बदलता है।

यह कर ढांचा कीमतों को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। सरकारें जब चाहें तो करों में मामूली बदलाव कर उपभोक्ताओं को राहत या भार दे सकती हैं।

डॉलर-रुपया विनिमय दर का असर

भारत कच्चे तेल का लगभग 85% आयात करता है। डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती या कमजोरी पेट्रोल की अंतिम कीमत को प्रभावित करती है। हाल में रुपया स्थिर रहा है, जिससे आयात लागत में विशेष वृद्धि नहीं हुई।


वैश्विक कच्चे तेल बाजार की स्थिति

अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतें $65 प्रति बैरल के आसपास हैं, जो 2024 की तुलना में कम हैं। हालांकि, मध्य पूर्व और यूरोप में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से वैश्विक तेल दरों में अस्थिरता बनी हुई है। भारत ने इस अस्थिरता के बीच अपने रणनीतिक भंडार और व्यापार समझौतों का सही उपयोग कर कीमतों को नियंत्रण में रखा है।


घरेलू खपत और बढ़ती मांग

भारत में 2023 में लगभग 220 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का उपभोग हुआ। उत्सवों और वाहन बिक्री में तेज़ी के चलते पेट्रोल की मांग लगातार बढ़ रही है। रिपोर्टों के अनुसार, देश में बेचे गए वाहनों में 80% से अधिक पेट्रोल इंजन पर आधारित हैं।

हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और लागत के कारण पेट्रोल आधारित वाहनों की मांग में अभी भी कमी नहीं आई है।


पेट्रोल दरों पर असर डालने वाले प्रमुख तत्व

1. घरेलू मांग और आपूर्ति

वाहन बिक्री में बढ़ोतरी सीधे पेट्रोल की मांग को प्रभावित करती है। यदि आपूर्ति बाधित होती है या आयात लागत बढ़ती है, तो दरें ऊपर जा सकती हैं।

2. सरकारी नीति और चुनावी प्रभाव

अक्सर सरकारें चुनावी वर्ष में दरें स्थिर रखती हैं ताकि जनता को राहत महसूस हो। इस बार भी दिसंबर 2024 से दरें यथावत हैं, जो संभवतः एक नीतिगत रणनीति का हिस्सा है।

3. लॉजिस्टिक्स और भौगोलिक अंतर

पेट्रोल की कीमतें हर राज्य में समान नहीं होतीं। परिवहन दूरी, डिपो से दूरी और राज्य कर दरों के कारण अलग-अलग शहरों में थोड़ी भिन्नता रहती है। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली की तुलना में मुंबई में पेट्रोल लगभग ₹9 महंगा है।


करों की भूमिका और भविष्य की संभावना

भारत में पेट्रोल पर टैक्स संरचना सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। केंद्र और राज्य सरकारें सालाना अरबों रुपये पेट्रोलियम उत्पादों से कमाती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि एक्साइज ड्यूटी में थोड़ी कटौती की जाए, तो आम उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है।

हालांकि, फिलहाल सरकार कीमतों को स्थिर रखकर मुद्रास्फीति पर नियंत्रण बनाए हुए है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की दरें अचानक बढ़ती हैं, तो आने वाले महीनों में मामूली संशोधन संभव है।

भारत में पेट्रोल की कीमतों का स्थिर रहना एक आर्थिक संतुलन का संकेत है। जहां एक ओर यह उपभोक्ताओं को राहत देता है, वहीं सरकार के लिए यह एक राजनीतिक और आर्थिक रणनीति भी है। अंतरराष्ट्रीय तेल दरें, कर नीति, मुद्रा विनिमय दर और घरेलू मांग जैसे तत्व आने वाले महीनों में इस स्थिरता को बनाए रख पाएंगे या नहीं — यह देखने योग्य होगा।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com

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