म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश के समय आम लोगों द्वारा की जाने वाली गलतियां
नई दिल्ली, 18 नवंबर – आज के समय में म्यूचुअल फंड एसआईपी (Systematic Investment Plan) के माध्यम से निवेश करना एक आम बात हो गई है। लोगों को इसमें 12 से 14 प्रतिशत तक का न्यूनतम अनुमानित रिटर्न मिलता है। हालांकि, यह रिटर्न पूरी तरह से शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। लेकिन कई निवेशकों को लगता है कि एसआईपी निवेश करना एक बेहद आसान काम है और इसमें कोई गलती की गुंजाइश नहीं है। लेकिन वास्तविकता यह है कि निवेशक अक्सर कुछ सामान्य गलतियां करते हैं जो उनके रिटर्न को काफी हद तक कम कर देती हैं।
एसआईपी में लोकप्रियता बढ़ने के पीछे के कारण
विगत कुछ सालों में म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करने की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि एसआईपी एक लचीला और सुविधाजनक तरीका है छोटी-छोटी रकम को बिना बहुत परेशानी के निवेश करने का। साथ ही, इसमें मिलने वाले आकर्षक रिटर्न भी लोगों को आकर्षित करते हैं। लेकिन जब लोग एसआईपी में निवेश करना शुरू करते हैं, तो वे कई मिथ्स (भ्रांतियों) का शिकार हो जाते हैं जो उनकी निवेश यात्रा को बाधित करते हैं।
पहली गलती: बाजार गिरावट के दौरान एसआईपी रोक देना
यह एक बहुत ही आम गलती है जो निवेशकों द्वारा की जाती है। जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तो लोग डर जाते हैं और सोचते हैं कि अगर हम इसी समय निवेश करेंगे तो नुकसान होगा। इसी सोच से वे अपनी एसआईपी को रोक देते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से एक गलत निर्णय है। शेयर बाजार में गिरावट का समय वास्तव में एसआईपी निवेश के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सुनहरा समय होता है।
जब बाजार नीचे की ओर जाता है, तो म्यूचुअल फंड की यूनिटों के दाम गिरते हैं। इस समय अगर आप निवेश करते हैं, तो आप कम कीमत पर अधिक यूनिटें खरीद सकते हैं। जब बाजार फिर से ऊपर की ओर जाता है, तो आपकी वही यूनिटें मुनाफा देती हैं। इसे डॉलर कॉस्ट एवरेजिंग कहा जाता है। यह एक ऐसी रणनीति है जो लंबे समय में बहुत अच्छे रिटर्न देती है।
इसलिए, जब बाजार गिरता है, तो एसआईपी को रोकने की जगह आप अपना निवेश जारी रखें। यह लंबे समय में आपके लिए बेहद लाभकारी साबित होगा। याद रखें कि शेयर बाजार का इतिहास बताता है कि जो निवेशक बाजार की गिरावट के दौरान घबराते नहीं हैं, वे सबसे बड़े मुनाफे कमाते हैं।
दूसरी गलती: किसी भी परिस्थिति में एसआईपी नहीं रोकना
पहली गलती के विपरीत, कुछ निवेशक यह सोचते हैं कि उन्हें किसी भी परिस्थिति में अपनी एसआईपी नहीं रोकनी चाहिए। वे मानते हैं कि चाहे जो भी हो, एसआईपी निरंतर चलनी चाहिए। लेकिन यह भी एक भ्रांति है। वास्तविकता यह है कि जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ आते हैं जहां आपको वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ता है।
घर खरीदना, शादी, बड़ी मेडिकल खर्च, नौकरी चले जाना, या कोई अन्य आपातकालीन स्थिति आ सकती है। ऐसी परिस्थितियों में निरंतर एसआईपी करना न केवल असंभव होता है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी हानिकारक हो सकता है। आप कर्ज लेकर एसआईपी नहीं कर सकते क्योंकि इससे आपके ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ जाएगा।
सौभाग्यवश, म्यूचुअल फंड एसआईपी एक बहुत ही लचीली योजना है। आप अपनी एसआईपी को कुछ महीनों के लिए रोक सकते हैं। आप एसआईपी की राशि को अस्थायी रूप से कम या ज्यादा कर सकते हैं। आप अपनी आवश्यकताओं और आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार एसआईपी को संशोधित कर सकते हैं। यह एसआईपी को अन्य निश्चित निवेश योजनाओं की तुलना में बहुत अधिक सुविधाजनक बनाता है।
तीसरी गलती: सोचना कि कोई भी फंड सही है
निवेशकों द्वारा की जाने वाली एक और बहुत ही आम गलती यह है कि वे यह सोचते हैं कि किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। उन्हें लगता है कि सभी फंड समान हैं और एक जैसे रिटर्न देते हैं। लेकिन यह बिल्कुल सही नहीं है। म्यूचुअल फंड बाजार में कई तरह के फंड मौजूद हैं, और हर फंड हर निवेशक के लिए सही नहीं होता।
फंडों को विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है – इक्विटी फंड, डेट फंड, बैलेंस्ड फंड, लार्जकैप फंड, मिडकैप फंड, स्मालकैप फंड आदि। हर फंड की अपनी जोखिम और रिटर्न की विशेषताएं हैं। एक इक्विटी फंड में शेयर में 100 प्रतिशत निवेश होता है, जबकि एक बैलेंस्ड फंड में शेयर और बॉन्ड दोनों में निवेश होता है।
आपको फंड चुनते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। आपकी उम्र, आपके वित्तीय लक्ष्य, आपकी जोखिम सहनशीलता, निवेश की अवधि आदि सब कुछ मायने रखते हैं। एक 25 साल के युवा के लिए एक आक्रामक इक्विटी फंड सही हो सकता है, लेकिन 60 साल के व्यक्ति के लिए एक रूढ़िवादी डेट फंड ज्यादा उपयुक्त हो सकता है।
फंड का चुनाव करने से पहले उस फंड की फैक्ट शीट को अच्छी तरह से पढ़ें, उसके प्रदर्शन को देखें, फंड मैनेजर की पृष्ठभूमि जानें और तुलनात्मक विश्लेषण करें।
चौथी गलती: यह सोचना कि एसआईपी से हमेशा अच्छा रिटर्न मिलता है
यह शायद सबसे महत्वपूर्ण भ्रांति है जो निवेशकों के मन में होती है। वे सोचते हैं कि अगर वे एसआईपी करते हैं, तो उन्हें हमेशा अच्छा रिटर्न मिलेगा। लेकिन यह पूरी तरह से गलत है। आपका रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार का फंड चुन रहे हैं।
अगर आप एक खराब फंड में निवेश करते हैं, जिसका प्रदर्शन खराब है और जिसका फंड मैनेजर अक्षम है, तो आप अच्छा रिटर्न नहीं पाएंगे। बाजार में ऐसे फंड भी हैं जो वर्षों से निराशाजनक प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए, फंड का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है।
एसआईपी एक विधि है, फंड का प्रकार नहीं। एसआईपी से आपको अच्छा रिटर्न मिलेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस प्रकार के फंड में एसआईपी की है। एक अच्छे फंड में एसआईपी करने से आप ठीक-ठाक रिटर्न पा सकते हैं, लेकिन एक खराब फंड में एसआईपी करने से आपको निराशा ही मिलेगी।
साथ ही, बाजार की परिस्थितियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अगर आप बुल मार्केट (तेजड़ी बाजार) में निवेश करते हैं, तो आप अच्छा रिटर्न पाएंगे। लेकिन अगर आप बीयर मार्केट (मंदड़ी बाजार) में निवेश करते हैं, तो शुरुआत में कम रिटर्न मिल सकता है, लेकिन लंबे समय में अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
सही एसआईपी रणनीति क्या है
एक सही एसआईपी रणनीति बनाने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, अपने वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट करें। आप क्या खरीदना चाहते हैं, कब तक के लिए निवेश करना चाहते हैं, यह सब कुछ तय करें।
दूसरा, अपनी जोखिम सहनशीलता का आकलन करें। आप कितना जोखिम ले सकते हैं, यह समझें। तीसरा, सही फंड का चुनाव करें। अलग-अलग फंडों की तुलना करें और अपने लक्ष्यों के अनुरूप सही फंड चुनें।
चौथा, नियमित रूप से अपने निवेश को ट्रैक करें। साल में कम से कम एक बार अपनी निवेश रणनीति की समीक्षा करें। पांचवां, बाजार के उतार-चढ़ाव से न घबराएं। दीर्घकालीन निवेश में धैर्य ही सफलता की कुंजी है।
म्यूचुअल फंड एसआईपी एक बेहद प्रभावी निवेश विधि है, लेकिन इसकी सफलता आपके निवेश अनुशासन, सही फंड का चुनाव और गलत भ्रांतियों से दूर रहने पर निर्भर करती है। इन चारों गलतियों से बचकर आप एक सफल और लाभदायक निवेश यात्रा का हिस्सा बन सकते हैं। याद रखें, निवेश एक मैराथन है, स्प्रिंट नहीं।
डिस्क्लेमर:
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