नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक में रेपो रेट को लगातार दूसरी बार 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। गवर्नर संजय मालहोत्रा ने कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से तटस्थ (Neutral) रुख अपनाया है, ताकि महंगाई नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बना रहे।
GDP अनुमान बढ़ा, महंगाई दर घटी
RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ का अनुमान 6.8% कर दिया है, जबकि इससे पहले यह अनुमान 6.5% था।
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Q2 में GDP ग्रोथ अब 7% रहने का अनुमान है (पहले 6.7%),
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Q3 के लिए अनुमान 6.4% (पहले 6.6%),
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Q4 के लिए 6.2% (पहले 6.3%)।
वहीं, खुदरा महंगाई (CPI Inflation) का अनुमान घटाकर 2.6% कर दिया गया है, जो पहले 3.1% था। यह आंकड़ा बताता है कि RBI को आने वाले समय में कीमतों पर दबाव कम होने की उम्मीद है।
क्या कहा विशेषज्ञों ने?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती पर RBI के विश्वास को दर्शाता है।
डॉ. वी. के. विजयकुमार, चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट, Geojit Investments Limited, ने कहा:
“GDP अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% करना और CPI महंगाई का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% करना बताता है कि RBI अर्थव्यवस्था को लेकर आशावादी है। गवर्नर की टिप्पणियों से लगता है कि आगे एक और रेट कट संभव है, लेकिन यह आने वाले डेटा और आर्थिक परिदृश्य पर निर्भर करेगा।”
कर्जदारों के लिए क्या मायने?
Easiloan के संस्थापक और सीईओ प्रमोद Kathuria के अनुसार:
“जब महंगाई 2.6% और GDP ग्रोथ 6.8% रहने का अनुमान है, तो यह स्थिरता कर्ज लेने वालों के लिए राहत लेकर आएगी। खासकर होम लोन लेने वालों के लिए ब्याज दर स्थिर रहने से भविष्य की वित्तीय योजना बनाना आसान होगा। साथ ही RBI का यह कदम बिना महंगाई को बढ़ाए लगातार क्रेडिट फ्लो सुनिश्चित करेगा।”
तटस्थ रुख का संकेत
MPC का “Neutral stance” यह दिखाता है कि RBI अब विकास दर और महंगाई दोनों को संतुलित तरीके से देख रहा है। यह रुख एक ओर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, तो दूसरी ओर यह भी सुनिश्चित करता है कि महंगाई नियंत्रण से बाहर न जाए।
अर्थव्यवस्था पर असर
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बॉरोअर्स (Borrowers) : ब्याज दर स्थिर रहने से होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की EMI में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।
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इंवेस्टर्स (Investors) : शेयर बाजार और बॉन्ड मार्केट में स्थिरता बनी रहेगी क्योंकि ब्याज दरों का पूर्वानुमान स्पष्ट है।
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सरकार और उद्योग जगत : जीएसटी दर तर्कसंगतीकरण (GST Rationalisation) से खपत और विकास पर असर पड़ सकता है, लेकिन RBI के अनुमान बतलाते हैं कि समग्र अर्थव्यवस्था मजबूती की ओर है।
नतीजा
RBI का यह निर्णय बताता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भी मजबूत बनी हुई है। बढ़ती GDP और घटती महंगाई आम जनता के लिए राहत और निवेशकों के लिए भरोसे का संकेत है। हालांकि, आने वाले तिमाहियों में वैश्विक बाजार, कच्चे तेल की कीमतें और मानसून जैसे कारक तय करेंगे कि यह स्थिरता कितनी लंबी चलती है।
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