Ramdas Soren Biography : झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन 14 दिन अस्पताल में जीवन और मृत्यु से संघर्ष करते हुए 15 अगस्त 2025 को जिंदगी की जंग हार गये. रात के करीब पौने 11 बजे इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता रामदास सोरेन जमीन से जुड़े सरल, सहज और सामाजिक व्यक्ति थे. 1980 में झामुमो से जुड़े थे. 45 साल के राजनीतिक जीवन में ग्राम प्रधान से कैबिनेट मंत्री तक का सफर तय किया. उनका राजनीतिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा.
प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार मोहम्मद परवेज लिखते हैं कि रामदास सोरेन की राजनेता से कहीं ज्यादा समाजसेवी और आंदोलनकारी के रूप में पहचान थी. झारखंड आंदोलन के दौरान शिबू सोरेन, चंपाई सोरेन, सुनील महतो, सुधीर महतो, अर्जुन मुंडा के साथ उन्होंने काफी संघर्ष किया. उनके नाम का बॉडी वारंट तक निकाला गया था.
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रामदास सोरेन 30 अगस्त 2024 को पहली बार झारखंड के जल संसाधन व उच्च शिक्षा तकनीकी मंत्री बने थे. ढाई माह तक मंत्री रहे. वर्ष 2024 में झारखंड विधानसभा चुनाव में घाटशिला से तीसरी बार विधायक बने. इस बार उन्हें कैबिनेट में स्कूली शिक्षा मंत्रालय की जिम्मवारी दी गयी.
उनके निधन से घाटशिला विधानसभा क्षेत्र की बड़ी आबादी मर्माहत है. रामदास सोरेन झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन के बेहद करीबी थे. सभी ने मिलकर अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन किया था. चंपाई सोरेन और हेमंत सोरेन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
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हालांकि, वर्ष 2005 में एक ऐसा भी वक्त आया, जब झामुमो ने टिकट नहीं दिया, तो रामदास सोरेन जिला अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ गये थे. हालांकि, चुनाव में उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन 35,000 वोट लाकर उन्होंने साबित कर दिया कि क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता कितनी है.
रामदास सोरेन की जीवन गाथा : एक नजर में
- नाम : रामदास सोरेन
- उम्र : 62 वर्ष
- पत्नी : सूरजमनी सोरेन (56 वर्ष)
- पुत्र : सोमेन सोरेन, रबिन सोरेन और रूपेश सोरेन
- पुत्री : रेणुका सोरेन
- विधायक बने : घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2009, 2019 और 2024 में निर्वाचित हुए
झामुमो में रामदास को मिले महत्वपूर्ण पद
- 1980 से झारखंड मुक्ति मोर्चा में हैं.
- वे गुड़ाबांधा पंचायत अध्यक्ष और बाद में सचिव बने.
- जमशेदपुर प्रखंड कमेटी सचिव, अनुमंडल कमेटी के सचिव, एकीकृत सिंहभूम जिला में झामुमो के सचिव रहे.
- 90 के दशक में जिला का विभाजन हुआ, तब पूर्वी सिंहभूम के सचिव बने
- 10 साल से झामुमो के पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष थे.
- पार्टी के जिलाध्यक्ष का टर्म ढाई साल का होता है, वे 4 बार अध्यक्ष बने.