Vaibhav Sooryavanshi: बिहार के लिए यह गर्व और भावुकता का क्षण है, जब राज्य के एक होनहार बेटे वैभव सूर्यवंशी को देश के सर्वोच्च बाल सम्मानों में से एक प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वैभव को यह पुरस्कार प्रदान किया। यह सम्मान केवल एक पदक या प्रमाण पत्र नहीं, बल्कि उस संघर्ष, समर्पण और अनुशासन की पहचान है, जिसने एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर वैभव को राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
वैभव सूर्यवंशी आज सिर्फ एक क्रिकेट खिलाड़ी नहीं, बल्कि उन हजारों बच्चों के लिए प्रेरणा हैं जो छोटे शहरों और गांवों से बड़े सपने लेकर निकलते हैं। उनकी उपलब्धि यह साबित करती है कि प्रतिभा अगर मेहनत और सही मार्गदर्शन के साथ जुड़ जाए, तो कोई भी मंच दूर नहीं रहता।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का महत्व
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, जिसे पीएमआरबीपी कहा जाता है, देश के उन बच्चों को दिया जाता है जिन्होंने कम उम्र में असाधारण योग्यता और उत्कृष्ट उपलब्धियों का परिचय दिया हो। यह पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को सात अलग-अलग श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। इनमें बहादुरी, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल शामिल हैं।
हर पुरस्कार विजेता को एक विशेष पदक, प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पुस्तिका दी जाती है। यह सम्मान बच्चों के आत्मविश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ उन्हें आगे और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। वैभव सूर्यवंशी को यह पुरस्कार खेल श्रेणी में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए मिला है।
राष्ट्रपति भवन में सम्मान, बिहार में खुशी की लहर
जैसे ही राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह की खबर बिहार पहुंची, खेल प्रेमियों और वैभव के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। एक युवा खिलाड़ी का देश के सर्वोच्च मंच पर सम्मानित होना पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है।
वैभव के परिवार, कोच और मित्रों के लिए यह पल भावुक करने वाला था। वर्षों की मेहनत, सुबह-सुबह के अभ्यास सत्र, सीमित संसाधनों में किया गया संघर्ष—सब कुछ इस एक पल में सार्थक होता नजर आया।
विजय हजारे ट्रॉफी से दूरी, लेकिन लक्ष्य और बड़ा
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार ग्रहण करने के कारण वैभव सूर्यवंशी विजय हजारे ट्रॉफी के आगे के मुकाबलों में हिस्सा नहीं ले सके। यह फैसला किसी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता, खासकर तब जब उसने अपने पहले ही मुकाबले में 190 रनों की शानदार पारी खेलकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा हो।
हालांकि, यह स्थिति यह भी दिखाती है कि वैभव केवल मैदान के हीरो नहीं हैं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक और अनुशासित खिलाड़ी भी हैं। राष्ट्रीय सम्मान को प्राथमिकता देना उनके संस्कार और सोच को दर्शाता है।
कोच का भरोसा और भविष्य की योजना
वैभव के बचपन के कोच मनीष ओझा ने स्पष्ट किया कि पुरस्कार समारोह के कारण वह मणिपुर के खिलाफ मैच नहीं खेल सके। कोच के अनुसार, वैभव को समारोह के लिए शुक्रवार सुबह सात बजे रिपोर्ट करना था, इसलिए वे दिल्ली रवाना हो गए थे।
कोच ने यह भी बताया कि संभावना है कि वैभव विजय हजारे ट्रॉफी के शेष मैचों में भी हिस्सा नहीं ले पाएंगे। हालांकि, यह किसी निराशा का कारण नहीं है, क्योंकि अगला लक्ष्य और भी बड़ा है।
इंडिया अंडर-19 और विश्व कप की तैयारी
वैभव सूर्यवंशी से जुड़ी सबसे बड़ी उम्मीद यह है कि वे जल्द ही इंडिया अंडर-19 टीम के अन्य खिलाड़ियों के साथ जुड़कर जिम्बाब्वे रवाना होंगे। टीम अगले साल 15 जनवरी से शुरू होने वाले अंडर-19 विश्व कप की तैयारी में जुटी है।
यह मंच वैभव के लिए खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साबित करने का सुनहरा अवसर होगा। उनके खेल को देखकर यह कहा जा सकता है कि यदि वे इसी लगन और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते रहे, तो आने वाले वर्षों में भारतीय क्रिकेट को एक और मजबूत खिलाड़ी मिल सकता है।
बिहार का यह युवा सितारा आज देश के मंच पर चमक रहा है, और आने वाले समय में उससे उम्मीदें और भी बढ़ेंगी।