पूर्वोत्तर भारत के आठों राज्यों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भाषा, संस्कृति और परंपराओं में विविधता होने के बावजूद हमारा देश एक है। नागपुर में दक्षिण मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित चार दिवसीय ‘नॉर्थ ईस्ट ऑक्टेव’ महोत्सव का समापन समारोह केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ।
पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विविधता और महोत्सव
इस महोत्सव में असम, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के सांस्कृतिक समूहों ने भाग लिया। मणिपुर के पारंपरिक पुंग ढोल चोलम नृत्य, मार्शल आर्ट प्रदर्शन और आसाम का सत्त्रिया नृत्य दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण बने। अंतिम चरण में नॉर्थ-ईस्ट रॉक बैंड ने देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति दी, जिसमें ए. आर. रहमान के “वंदे मातरम्” का विशेष संगीतमय उद्घाटन हुआ।

गडकरी ने पूर्वोत्तर में विकास परियोजनाओं की समीक्षा की
नितिन गडकरी ने अपने संबोधन में बताया कि उनके कार्यकाल में असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में कुल 3 लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाएं पूरी हुई हैं। काजीरंगा से नुमालीगढ़ तक एलीवेटेड हाइवे का निर्माण हुआ है, और ब्रह्मपुत्र नदी पर अब कुल 9 पुल बन चुके हैं, जबकि पहले केवल दो पुल थे। इन परियोजनाओं के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों के संपर्क और वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी आई है।
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कार्यक्रम में कलाकारों और शिल्पकारों का सम्मान
समारोह में विभिन्न कलाकारों और शिल्पकारों को भी सम्मानित किया गया। कलाकार तरुण प्रधान और शिल्पकार मुकेश सायकिया को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए नितिन गडकरी के हाथों सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक अलोणी और मोहिता दीक्षित ने किया।

पूर्वोत्तर की एकता और भविष्य की दिशा
गडकरी ने कहा कि ‘भाषाएं अनेक, फिर भी देश एक’ का संदेश केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही नहीं बल्कि सड़क, पुल और हाइवे जैसी विकास परियोजनाओं में भी झलकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों की युवा शक्ति और सांस्कृतिक संपदा देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।
नागरिक और सरकारी सहभागिता
इस महोत्सव में स्थानीय नागरिकों, छात्रों और अधिकारियों की भी अच्छी-खासी भागीदारी रही। विभिन्न राज्य अपने पारंपरिक व्यंजन, हस्तशिल्प और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से देशवासियों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराते रहे।
चार दिवसीय महोत्सव ने स्पष्ट किया कि भारत की विविधता उसकी शक्ति है। पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विविधता और उनके विकासात्मक प्रयास न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि को सशक्त करते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से समाज में भाईचारे, सम्मान और एकता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।