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प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना एवं दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का उद्घाटन — भारत की कृषि क्रांति की नई राह

Pradhanmantri Dhan-Dhanya Yojana
Pradhanmantri Dhan-Dhanya Yojana new scheme to boost pulses production nationwide
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नई दिल्ली, 11 अक्टूबर 2025: देश की कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूसा परिसर, नई दिल्ली से दो महत्वपूर्ण योजनाएँ — प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना एवं दलहन आत्मनिर्भरता मिशन — का विधिवत शुभारंभ करेंगे। यह कार्यक्रम कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में आयोजित होगा। इन पहलों का उद्देश्य विशेषकर उन जिलों में उत्पादन एवं उत्पादकता की खामियों को दूर करना है जहाँ कृषि क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।

योजनाओं की पृष्ठभूमि एवं उद्देश्य

भारत, जहाँ दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है, वही विश्व में दालों का एक बड़ा आयातक भी है। इस असंतुलन को दूर करने हेतु सरकार ने दो समन्वित पहलें शुरू की हैं — एक प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना, और दूसरी दलहन आत्मनिर्भरता मिशन। कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार सबसे पहले 100 कम उत्पादकता वाले जिलों की पहचान करेगी। इन जिलों में कृषि की उपज कम होने का कारण सिंचाई अनियमितता, उपयुक्त बीजों का अभाव, डलहन की खेती हेतु बीज एवं उर्वरक आपूर्ति की कमी आदि हैं।

प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना का मूल लक्ष्य है उन जिलों में कृषि उत्पादन को राष्ट्रीय औसत स्तर तक पहुँचाना, जबकि दलहन आत्मनिर्भरता मिशन विशेष रूप से दालें (दलहन फसलों) के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। यदि इन जिलों की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत तक पहुंच जाए, तो न सिर्फ समग्र कृषि उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आमदनी में भी संवाहन होगा।

कम उत्पादकता वाले जिलों में सुधार हेतु रणनीति

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सरकार पहले चरण में उन सौ जिलों की सूची तैयार करेगी जहाँ पैदावार राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। इसके बाद उन जिलों में निम्नलिखित उपाय लागू किए जाएंगे:

  • सिंचाई प्रणाली का आधुनिकीकरण — नदीनालों, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियाँ बढ़ाना

  • उन्नत बीज एवं बीज वितरण — अधिक उपज देने वाले बीजों का समय पर वितरण

  • उर्वरक, रसायन एवं जैविक तत्वों की सुनिश्चित आपूर्ति

  • किसान प्रशिक्षण एवं पृथक सलाहकार प्रणाली — बेहतर कृषि तकनीकों एवं स्थानीय परिस्थितियों अनुकूल खेती

  • सस्ती एवं सुलभ ऋण व्यवस्था — कृषि ऋण की उपलब्धता बढ़ाना, ब्याज सब्सिडी देना

ये समेकित कदम 100 जिलों की कृषि स्थितियों को सुधारने में सहायक होंगे।

दलहन आत्मनिर्भरता मिशन पर विशेष जोर

कृषि मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाना वक्त की मांग है। दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के अंतर्गत ये कदम लिए जाएंगे:

  1. दलहन खेती का विस्तार — अधिक क्षेत्रफल में दलहन की खेती करना

  2. उत्पादकता वृद्धि — बेहतर बीज, पोषण प्रबंधन एवं कीटनियंत्रण

  3. उत्पादन-संस्करण सुविधाएँ — स्थानीय स्तर पर ग्रेडिंग, भंडारण, प्रसंस्करण इकाईयाँ

  4. बाजार और मूल्य समर्थन — कृषि बाजारों तक पहुँच, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करना

  5. अनुसंधान एवं विकास — नई प्रजातियों की खोज और क्षेत्रीय अनुकूल प्रौद्योगिकी

मंत्री के अनुसार, यदि इन योजनाओं को व्यवस्थित ढंग से क्रियान्वित किया जाए, तो भारत न केवल दालों का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर सकता है, बल्कि आयात निर्भरता भी कम कर सकता है।

किसानों पर सकारात्मक प्रभाव एवं चुनौतियाँ

इन पहलों से किसानों को निम्न लाभ मिलने की संभावना है:

  • सिंचाई एवं बीज सुविधाओं में सुधार से उत्पादक क्षमता में वृधि

  • बेहतर मूल्य एवं बाजार संपर्क से आय वृद्धि

  • ऋण एवं सब्सिडी योजनाओं से आर्थिक सुरक्षा

  • स्थान-स्थान पर प्रसंस्करण सुविधाएँ मिलने से बर्बादी कम

लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। उनमें शामिल हैं:

  • स्थानीय स्तर पर उचित दलहन बीज उपलब्धता नहीं होना

  • किसान समुदाय में नई तकनीकों को अपनाने की अनिच्छा

  • पूर्व में सीमित संसाधन एवं अवसंरचना

  • मौसम एवं जलवायु अनिश्चितताएँ

संयुक्त रूप से, ये योजनाएँ भारत की कृषि नीति के दृष्टिकोण में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ सिद्ध होंगी, बशर्ते इनके क्रियान्वयन पर निरंतर निगरानी और समायोजन हो।


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Aakash Srivastava

Writer & Editor at RashtraBharat.com | Political Analyst | Exploring Sports & Business. Patna University Graduate.