SIR Phase II में 99% मतदान सूची Form वितरित, लेकिन डिजिटलीकरण में पिछड़ाव

SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट
SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट (Photo: IANS)
SIR Phase II में भारतीय चुनाव आयोग ने 98.79% मतदान सूची फॉर्म वितरण रिपोर्ट किया, लेकिन डिजिटलीकरण केवल 15.98% पूरा हुआ। उत्तर प्रदेश और केरल में डिजिटलीकरण बेहद कम है। 5.33 लाख BLOs और 10.41 लाख BLAs सक्रिय हैं। 4 दिसंबर तक यह प्रक्रिया चलेगी।
नवम्बर 19, 2025

SIR Phase II: डिजिटल भारत में एक विरोधाभासी चित्र

नई दिल्ली – भारत के लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए मतदान सूची को अद्यतन रखना एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसी महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने विशेष गहन संशोधन (SIR) के दूसरे चरण की शुरुआत की है। 19 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक की स्थिति के अनुसार, चुनाव आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मतदान सूची संशोधन फॉर्म (EF) का वितरण तो 98.79% तक पहुंच गया है। लेकिन एक चिंताजनक पहलू यह है कि इन फॉर्मों का डिजिटलीकरण केवल 15.98% ही पूरा हुआ है। यह विरोधाभास भारत के डिजिटल क्रांति के सफर में एक महत्वपूर्ण सवाल उठाता है।

विशेष गहन संशोधन की प्रक्रिया

SIR Phase II की शुरुआत 4 नवंबर को हुई थी और यह 4 दिसंबर तक चलेगी। इस एक महीने की अवधि में, भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता विवरणों को अपडेट और सत्यापित किया जाता है। यह एक विशाल प्रयास है जिसमें देश भर में 5.33 लाख से अधिक बूथ स्तरीय अधिकारी (BLOs) और 10.41 लाख बूथ स्तरीय एजेंट (BLAs) शामिल हैं। ये सभी लोग सड़कों पर घूम-घूमकर, घर-घर जाकर, और विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर लोगों से संपर्क करते हैं ताकि सभी योग्य मतदाताओं का सही रिकॉर्ड बना रहे।

राज्य-दर-राज्य प्रगति: असमान चित्र

चुनाव आयोग की विस्तृत रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि विभिन्न राज्यों में प्रगति असमान है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां 15.44 करोड़ से अधिक मतदाता हैं, मतदान सूची फॉर्म का वितरण 99.48% तक पहुंच गया है। लेकिन चिंता की बात यह है कि इसका डिजिटलीकरण मात्र 3.77% ही पूरा हुआ है। यह संख्या देश में सबसे कम है। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में इतनी कम डिजिटलीकरण की दर राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा है।

केरल, जो परंपरागत रूप से प्रशासनिक दक्षता के लिए जाना जाता है, ने 96.83% फॉर्म वितरण की सूचना दी है। लेकिन यहां भी डिजिटलीकरण की दर बेहद कम है – केवल 1.89%। यह एक आश्चर्य की बात है क्योंकि केरल को उच्च साक्षरता दर और बेहतर प्रशासनिक क्षमता के लिए जाना जाता है।

छोटे प्रदेशों की बेहतर कार्यप्रदर्शन

दिलचस्प बात यह है कि छोटे केंद्र शासित प्रदेश और राज्य बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। गोवा और लक्षद्वीप दोनों ने 100% फॉर्म वितरण की उपलब्धि हासिल की है। इसके साथ ही, गोवा में डिजिटलीकरण 48.50% पर पहुंच गया है, जबकि लक्षद्वीप में यह 32.48% है। ये आंकड़े देश में सबसे अधिक हैं। पुडुचेरी भी 27.34% डिजिटलीकरण दर के साथ प्रभावशाली प्रदर्शन कर रहा है।

SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट
SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट (Photo: IANS)

बड़े राज्यों का मिश्रित परिणाम

मध्य प्रदेश और गुजरात ने 99% से अधिक फॉर्म वितरण की रिपोर्ट की है, लेकिन डिजिटलीकरण दरें क्रमशः 22.23% और 20.88% हैं। राजस्थान ने अंता निर्वाचन क्षेत्र को छोड़कर (जहां उपचुनाव के कारण संशोधन को स्थगित किया गया था) 99.16% फॉर्म वितरण दिखाया है और 40.90% डिजिटलीकरण दर प्राप्त की है, जो औसत से अधिक है।

डिजिटलीकरण में पिछड़ाव: एक गंभीर मुद्दा

समग्र परिदृश्य को देखें तो डिजिटलीकरण में पिछड़ाव चिंता का विषय है। जब फॉर्म वितरण लगभग पूरा हो गया है, लेकिन उनका डिजिटलीकरण केवल 15.98% ही हुआ है, तो यह एक बड़ी समस्या का संकेत देता है। डिजिटलीकरण का मतलब है कि कागजी फॉर्मों से डेटा को कंप्यूटर में दर्ज किया जाता है, ताकि मतदान सूची को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जा सके और भविष्य में आसानी से अपडेट किया जा सके।

डिजिटलीकरण में देरी के संभावित कारण

डिजिटलीकरण की धीमी गति के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला, तकनीकी कर्मचारियों की कमी। BLOs और BLAs को डेटा दर्ज करने के लिए प्रशिक्षित होना चाहिए, जो एक समय-साध्य प्रक्रिया है। दूसरा, जमीन पर संसाधनों की कमी हो सकती है – जैसे कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्शन, या विद्युत आपूर्ति। तीसरा, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी ढांचे की कमी भी एक बाधा हो सकती है।

मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की भूमिका

चुनाव आयोग ने मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से अतिरिक्त BLAs नियुक्त करने के लिए आग्रह किया है। इसका मतलब यह है कि राजनीतिक दल SIR Phase II प्रक्रिया में सहायता कर सकते हैं। जब राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं को BLA के रूप में नियुक्त करते हैं, तो ये लोग क्षेत्रीय स्तर पर बेहतर काम कर सकते हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि ये एजेंट निष्पक्ष तरीके से काम करें और सभी योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करें।

आने वाले सप्ताहों में गहन प्रयास

चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि आने वाले हफ्तों में डिजिटलीकरण प्रक्रिया को तेज किया जाएगा। इसका मतलब है कि अगले 15 दिनों में, डिजिटलीकरण दर को बेहतरी से 50-60% तक लाने का लक्ष्य हो सकता है। यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, लेकिन यदि पर्याप्त संसाधन और कर्मचारियां नियुक्त की जाएं, तो यह संभव है।

अपडेटेड मतदान सूची का महत्व

एक अपडेटेड और डिजिटलीकृत मतदान सूची का महत्व अतुलनीय है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी योग्य नागरिक को मतदान के अधिकार से वंचित न किया जाए, और साथ ही किसी अपात्र व्यक्ति को भी वोट देने का अवसर न दिया जाए। यह लोकतंत्र की पवित्रता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

डिजिटलीकरण के माध्यम से, चुनाव आयोग यह भी सुनिश्चित कर सकता है कि मतदान सूची को आसानी से साझा किया जा सके, विश्लेषण किया जा सके, और भविष्य में तेजी से अपडेट किया जा सके। यह भारत की डिजिटल क्रांति को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण है।

SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट
SIR Phase II: विशेष गहन संशोधन के दूसरे चरण में मतदाता सूची के 98.79% फॉर्म वितरित, परंतु डिजिटलीकरण में गंभीर पिछड़ाव, राष्ट्रीय चुनाव आयोग की रिपोर्ट (Photo: IANS)

निष्कर्ष: तेजी आवश्यक है

SIR Phase II में फॉर्म वितरण का 99% तक पहुंचना निस्संदेह एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन डिजिटलीकरण में पिछड़ाव एक गंभीर चिंता है। चुनाव आयोग को अगले दो हफ्तों में डिजिटलीकरण को तेजी से पूरा करना चाहिए। केवल तभी SIR Phase II को सफल माना जा सकता है, जब न केवल फॉर्म वितरित हों, बल्कि सभी डेटा को सुरक्षित रूप से डिजिटल प्रारूप में संरक्षित किया जाए। भारतीय लोकतंत्र की शक्ति इसी पर निर्भर करती है।


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Aryan Ambastha

Writer & Thinker | Finance & Emerging Tech Enthusiast | Politics & News Analyst | Content Creator. Nalanda University Graduate with a passion for exploring the intersections of technology, finance, Politics and society. | Email: aryan.ambastha@rashtrabharat.com