VB–G Ram G Bill: लोकसभा ने आज शुक्रवार को विकसित भारत–जी राम जी विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक के साथ ही मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी ग्रामीण रोजगार योजना में नाम परिवर्तन और कुछ अहम प्रावधानों में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे सदन में पेश करते हुए जिस आत्मविश्वास के साथ सरकार का पक्ष रखा, उससे साफ है कि सरकार इस बदलाव को केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि एक वैचारिक कदम के रूप में देख रही है। वहीं विपक्ष ने इसे गरीबों की योजना से छेड़छाड़ करार देते हुए तीखा विरोध दर्ज कराया।
विकसित भारत–जी राम जी विधेयक का उद्देश्य
सरकार के अनुसार यह विधेयक मनरेगा सहित कई योजनाओं में सुधार लाने की दिशा में उठाया गया कदम है। मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा कि मनरेगा जैसी योजना, जो कभी गरीबों के लिए संजीवनी मानी जाती थी, समय के साथ भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई। फर्जी जॉब कार्ड, बिना काम भुगतान और बिचौलियों की भूमिका ने इस योजना की आत्मा को कमजोर किया।
सरकार का तर्क है कि नाम परिवर्तन और नए प्रावधानों से योजना की पहचान को नए सिरे से स्थापित किया जाएगा और पारदर्शिता बढ़ेगी। डिजिटल निगरानी, जवाबदेही और स्थानीय स्तर पर सख्त नियंत्रण जैसे उपायों से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
मनरेगा के नाम बदलने पर बहस
मनरेगा का नाम बदलना इस विधेयक का सबसे विवादास्पद पहलू बनकर उभरा। विपक्ष का कहना है कि नाम बदलने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती। उनके अनुसार सरकार प्रतीकों और नामों पर ज्यादा ध्यान दे रही है, जबकि ग्रामीण मजदूर आज भी समय पर मजदूरी और पर्याप्त काम के लिए संघर्ष कर रहा है।
वहीं सरकार का मानना है कि नया नाम केवल प्रतीक नहीं, बल्कि सोच में बदलाव का संकेत है। विकसित भारत की परिकल्पना के साथ योजना को जोड़कर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि ग्रामीण रोजगार केवल राहत नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का माध्यम बने।
लोकसभा में हंगामा और विपक्ष का विरोध
विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा का माहौल काफी गरम रहा। मतदान के समय कई विपक्षी सांसदों ने कागज के टुकड़े फेंके और नारेबाजी की। उनका आरोप था कि सरकार बिना व्यापक चर्चा के जल्दबाजी में इस बिल को पारित करा रही है। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
सरकार का बचाव और सख्त रुख
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार गरीबों के हितों से कोई समझौता नहीं कर रही। उन्होंने जोर देकर कहा कि बदलाव का विरोध वही लोग कर रहे हैं, जिन्हें पुराने ढांचे में पनप रहे भ्रष्टाचार से लाभ मिलता था।
सरकार का दावा है कि नए प्रावधानों से वास्तविक मजदूर को सीधा लाभ मिलेगा और बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी।
ग्रामीण भारत पर संभावित असर
इस विधेयक का असर केवल संसद तक सीमित नहीं रहेगा। असली परीक्षा गांवों में होगी, जहां मनरेगा आज भी करोड़ों परिवारों की आजीविका का आधार है। यदि सरकार के दावे जमीन पर उतरते हैं और भुगतान में पारदर्शिता आती है, तो यह बदलाव सकारात्मक साबित हो सकता है।
लेकिन यदि नाम बदलने के साथ-साथ काम के अवसर और मजदूरी की समस्याएं बनी रहती हैं, तो विपक्ष की आशंकाएं भी सही साबित हो सकती हैं।