काशीबुग्गा में कार्तिक एकादशी पर मचा हाहाकार
आंध्र प्रदेश के काशीबुग्गा में स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शनिवार को कार्तिक एकादशी के अवसर पर एक बड़ा हादसा हो गया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच भगदड़ मच गई, जिससे 9 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 8 महिलाएं और एक बच्चा शामिल हैं। यह हादसा तब हुआ जब श्रद्धालु मंदिर की पहली मंजिल की ओर जा रहे थे और अचानक रेलिंग टूटने से अफरा-तफरी फैल गई।
रेलिंग टूटते ही मचा भगदड़ का माहौल
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर की पहली मंजिल तक जाने के लिए संकरी सीढ़ियाँ थीं। भीड़ बढ़ने के कारण लोहे की रेलिंग टूट गई और कई लोग नीचे गिर गए। इससे लोगों में दहशत फैल गई और भगदड़ की स्थिति बन गई। घटना में 5 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
स्थानीय पुलिस के मुताबिक, मंदिर में इस तरह का बड़ा आयोजन बिना प्रशासनिक अनुमति और सुरक्षा इंतजाम के किया गया था।
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने जताया दुख
इस दुखद घटना पर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि यह हादसा “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक” है। उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और प्रशासन को तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।
सीएम नायडू ने कहा —
“आयोजकों ने न तो पुलिस को सूचित किया और न ही स्थानीय अधिकारियों से अनुमति ली। अगर समन्वय होता तो यह हादसा टाला जा सकता था। अब इस लापरवाही की जांच होगी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
निजी आयोजन बना त्रासदी का कारण
मंदिर का निर्माण एक निजी व्यक्ति द्वारा कराया गया था, और इस दिन कार्तिक एकादशी के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन किया गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, लेकिन भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतज़ाम नहीं थे। सुरक्षा प्रबंधन की कमी और रेलिंग के कमजोर ढांचे ने मिलकर यह हादसा घटित किया।
सरकार ने स्पष्ट किया कि निजी धार्मिक आयोजनों में भी सुरक्षा और प्रशासनिक अनुमति अनिवार्य है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
सरकार ने जांच टीम गठित की
राज्य सरकार ने घटना की उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि आयोजन समिति ने भीड़ के अनुमान को कम करके आंका था और पुलिस को पहले से सूचित नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए एक सख्त निगरानी तंत्र बनाया जाएगा।
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब यह ज्ञात था कि कार्तिक एकादशी पर हजारों श्रद्धालु आते हैं, तब पुलिस और प्रशासन की उपस्थिति क्यों नहीं थी? कई नेताओं ने मांग की है कि मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को उचित इलाज मुहैया कराया जाए।
श्रद्धालुओं में शोक और आक्रोश
घटना के बाद इलाके में शोक और नाराज़गी दोनों माहौल में हैं। श्रद्धालुओं ने प्रशासन से मांग की है कि मंदिर में सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जाए और सीढ़ियों के ढांचे को मजबूत किया जाए। कई परिवारों ने कहा कि “अगर समय रहते प्रबंधन किया गया होता, तो इतनी जानें नहीं जातीं।”
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की यह त्रासदी केवल एक हादसा नहीं, बल्कि प्रबंधन की लापरवाही और समन्वय की कमी का परिणाम है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तत्पर प्रतिक्रिया और कार्रवाई के वादे के बावजूद अब लोगों की निगाहें इस बात पर हैं कि दोषियों को कब तक जवाबदेह ठहराया जाएगा।
यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि आस्था के साथ-साथ सुरक्षा भी उतनी ही ज़रूरी है — क्योंकि भीड़ में व्यवस्था का एक छोटा-सा अभाव, बड़े हादसे का कारण बन सकता है।