महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान | Bihar Election 2025
बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर मतभेद तेज हो गए हैं। कांग्रेस अधिक सीटों की मांग कर रही है जबकि राजद अपने पुराने आंकड़ों के आधार पर सीमित सीटों पर ही सहमत है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने चर्चा शुरू होते ही राजद के समक्ष 70-75 सीटों की मांग रखी, जबकि राजद अधिकतम 50-55 सीटें देने पर तैयार था। इस अंतर को लेकर दोनों पक्षों में अब भी सहमति नहीं बन पाई है।
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कांग्रेस का तर्क और राजद का रुख
कांग्रेस का दावा है कि संगठनात्मक रूप से पार्टी मजबूत हुई है और नेताओं का ग्राउंड नेटवर्क बेहतर है। कांग्रेस का तर्क है कि महागठबंधन में वीआइपी और वाम दलों को बराबर प्रतिनिधित्व मिल रहा है, इसलिए कांग्रेस को भी सम्मानजनक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
वहीं, राजद का रुख स्पष्ट है। उनका कहना है कि भूमि उनका है और संघर्ष उनका है, इसलिए सीटों पर पहला अधिकार भी उनका होना चाहिए। 2015 और 2020 के चुनाव के आंकड़े भी राजद के तर्क को मजबूत करते हैं।
नेतृत्व को लेकर भी मतभेद
महागठबंधन में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर भी सभी दल एकमत नहीं हैं। वीआइपी और वाम दल तेजस्वी यादव का नेतृत्व स्वीकार करते हैं, लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू या प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम गठबंधन की ओर से इस मुद्दे पर नेतृत्व कर सकते हैं। राजद ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक उम्मीदवार माना है और इस पर अडिग है।
भरोसे का संकट और भविष्य की चुनौतियाँ
विश्लेषकों का मानना है कि सीट और नेतृत्व को लेकर जारी विवाद महागठबंधन के विश्वास और समन्वय पर असर डाल सकता है। राजद को भी चिंता है कि यदि कांग्रेस दबाव बढ़ाएगी, तो वाम दल और छोटे सहयोगियों के बीच संतुलन बिगड़ सकता है।
वेब स्टोरी:
उपरी तौर पर गठबंधन सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जब तक सीट बंटवारे और नेतृत्व पर सभी दल सहमत नहीं होंगे, कयास और अटकलें जारी रहेंगी।
इस प्रकार, बिहार महागठबंधन में सीटों की संख्या और मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर असमंजस, चुनावी रणनीति और गठबंधन की स्थिरता पर बड़ा असर डाल सकता है।