उम्र की सीमा से परे: जदयू ने पुराने नेताओं पर जताया भरोसा
पटना। बिहार विधानसभा चुनावों में जदयू ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि उम्र केवल एक संख्या है। पार्टी ने अपनी टिकटों के चयन में अनुभव और साख को प्राथमिकता दी है। 70 वर्ष से ऊपर के कई अनुभवी नेता इस बार भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। इन नेताओं का उद्देश्य न केवल पार्टी के लिए मजबूत प्रतिस्पर्धा करना है, बल्कि युवाओं और नए प्रत्याशियों के लिए भी मार्गदर्शन देना है।
हडिक़यों में अनुभव के प्रतीक: 70 पार के दिग्गज
जदयू के सात प्रमुख प्रत्याशियों की उम्र 70 वर्ष से अधिक है। सुपौल से बिजेंद्र प्रसाद यादव, हरनौत से हरिनारायण सिंह – दोनों की उम्र 79 वर्ष है। इसके अतिरिक्त, जहानाबाद से चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी 73 वर्ष, आलमनगर से नरेंद्र नारायण यादव 74 वर्ष, निर्मली से अनिरुद्ध प्रसाद यादव 76 वर्ष, फुलवारीशरीफ से श्याम रजक 71 वर्ष और बेलदौर से पन्नालाल पटेल 77 वर्ष की उम्र में चुनावी मैदान में हैं।
इन नेताओं की राजनीतिक पृष्ठभूमि काफी मजबूत रही है। ये सभी नेता बिहार की राजनीति में दशकों से सक्रिय रहे हैं और अपने क्षेत्र में जनता के बीच अच्छी पहचान रखते हैं। जदयू ने इन अनुभवी नेताओं के माध्यम से चुनावी रणनीति को और प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया है।
60 से ऊपर के उम्मीदवार भी मैदान में
70 पार के नेताओं के साथ-साथ जदयू ने 60 वर्ष से अधिक आयु के अन्य कई प्रत्याशियों को भी टिकट प्रदान किया है। झाझा से दामोदर रावत 66 वर्ष, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी 63 वर्ष, महाराजगंज से हेमनारायण साह 64 वर्ष और नालंदा से श्रवण कुमार 68 वर्ष के हैं। परसा से छोटेलाल राय भी 60 वर्ष से ऊपर के उम्मीदवार हैं।
इन नेताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि पार्टी अनुभवी नेताओं की परिपक्वता और रणनीतिक सोच को महत्व देती है। इन नेताओं की वजह से पार्टी चुनाव में स्थिरता और अनुभव का लाभ प्राप्त कर रही है।
युवा प्रत्याशियों के साथ राजनीति का नया चेहरा
अनुभवी नेताओं के साथ-साथ जदयू ने युवा प्रत्याशियों को भी मौका दिया है। अधिकांश युवा उम्मीदवार राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। इनमें कुशेश्वस्थान से अतिरेक कुमार, गायघाट से कोमल सिंह, सकरा से आदित्य कुमार, रघुनाथपुर से विकास कुमार सिंह, वारिसनगर से डा. मांजरिक मृणाल, चेरिया बरियारपुर से अभिषेक कुमार, जमालपुर से नचिकेता मंडल और इस्लामपुर से रूहेल रंजन शामिल हैं।
युवा प्रत्याशियों का मैदान में होना पार्टी के लिए नई ऊर्जा और जनसमर्थन का संकेत है। ये उम्मीदवार न केवल राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे, बल्कि नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोण से चुनावी रणनीति को सुदृढ़ करेंगे।
रणनीति का मिश्रण: अनुभव और युवा शक्ति
जदयू ने चुनावी टिकट वितरण में यह सुनिश्चित किया है कि उम्मीदवारों में अनुभव और युवाओं का संतुलन बना रहे। इससे पार्टी को दोहरी ताकत प्राप्त होती है – अनुभवी नेताओं का अनुभव और युवा उम्मीदवारों की नवीनता।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार चुनावों में यह रणनीति जदयू को लाभ पहुँचा सकती है। अनुभवी नेता चुनाव में सघन प्रयास कर सकते हैं, जबकि युवा प्रत्याशी जनता के बीच आधुनिक मुद्दों और तकनीकी माध्यमों से प्रभाव डाल सकते हैं।
बिहार विधानसभा चुनावों में जदयू की यह रणनीति यह संकेत देती है कि उम्र केवल एक संख्या है। पार्टी ने अनुभव और नई ऊर्जा का मिश्रण अपनाकर चुनावी मैदान में कदम रखा है। इस रणनीति से न केवल पार्टी को चुनावी लाभ मिल सकता है, बल्कि युवाओं और पुराने नेताओं के बीच संतुलन भी स्थापित होगा।