बिहार की राजनीति में फिर गरजे प्रशांत किशोर
गोपालगंज के मांझा प्रखंड के बरौली बाजार में आयोजित जन सुराज यात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने एक बार फिर राज्य की सियासत में हलचल मचा दी। तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि “अब तेजस्वी यादव बिहार को ‘सोने की लंका’ बनाने की बातें कर रहे हैं, जबकि उनके कार्यकाल में रोजगार के नाम पर सिर्फ खोखले वादे किए गए।”
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार की शाम रोड शो के दौरान प्रेस वार्ता में कहा कि पिछले 78 वर्षों में बिहार में केवल 26 लाख लोगों को ही सरकारी नौकरियां मिली हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “तेजस्वी यादव की सरकार ने 18 सालों में कोई ठोस रोजगार नहीं दिया, फिर भी अब घर-घर नौकरी देने के सपने दिखाकर जनता को भ्रमित किया जा रहा है।”
‘अब जनता झांसे में नहीं आने वाली’ — प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता ने अब यह समझ लिया है कि केवल वादों से विकास नहीं होता। उन्होंने कहा, “लोग अब झांसे में नहीं आएंगे। वे अब यह तय करेंगे कि बिहार को किस दिशा में ले जाना है।” उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी जनता की आकांक्षाओं पर आधारित एक नई व्यवस्था लेकर आ रही है, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही होगी।
उनका कहना था कि “बिहार के लोग बार-बार एक ही गलती कर रहे हैं — कभी एनडीए, कभी राजद, लेकिन नतीजा वही ठहराव। अब वक्त है बदलाव का।”
‘प्रवासी मजदूरों का दर्द सरकार नहीं समझ पाई’
त्योहारों के मौसम में बिहार लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की परेशानियों का मुद्दा भी प्रशांत किशोर ने उठाया। उन्होंने कहा कि “हर साल लाखों बिहारी अपने घर लौटते हैं, लेकिन राज्य की व्यवस्था इतनी कमजोर है कि ट्रेनें तक रोक दी जाती हैं। यह सोचने वाली बात है कि बिहार के लोग अपने ही प्रदेश में अपमान का सामना क्यों करें?”
किशोर ने कहा कि अगर लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए सजग नहीं होंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को भी गुजरात, महाराष्ट्र या दिल्ली जाकर मजदूरी करनी पड़ेगी। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे जाति या दल के नाम पर नहीं, बल्कि विकास और रोजगार के नाम पर वोट करें।
‘एनडीए और जंगलराज दोनों से मुक्ति जरूरी’
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता अब दो छोरों के बीच फंसी हुई है — एक तरफ एनडीए की नीतियाँ हैं, तो दूसरी ओर ‘जंगलराज’ की वापसी का डर। उन्होंने कहा कि “जन सुराज न तो किसी गठबंधन का हिस्सा है, न ही पुराने सियासी ढांचे का। हमारा मकसद है बिहार को ईमानदार, शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना।”
उन्होंने कहा कि जन सुराज का विज़न सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि शासन की नई संस्कृति बनाना है, जहां हर व्यक्ति को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का अधिकार मिले।
‘बिहार को भ्रम नहीं, दिशा चाहिए’
अपने संबोधन के अंत में प्रशांत किशोर ने कहा कि “बिहार को सोने की लंका नहीं, एक सशक्त और आत्मनिर्भर राज्य बनाना होगा।” उन्होंने जनता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों के भविष्य के लिए सही निर्णय लें और बदलाव की आवाज़ बनें।