मदन प्रसाद का श्राप और उसकी सटीकता
मदन प्रसाद ने चुनाव से पहले राजद के भीतर चल रही गुटबाजी और अनुचित निर्णयों के चलते पार्टी की हार का संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी को केवल 25 सीटें ही मिलेंगी। टिकट कटने के बाद मदन प्रसाद पटना स्थित लालू यादव के घर के बाहर फूट-फूट कर रो पड़े थे और जमीन पर बैठकर उन्होंने अपने श्राप की घोषणा की थी।
उनके इन शब्दों की सत्यता तब सामने आई जब चुनाव परिणाम घोषित हुए। राजद को अपनी अपेक्षित सफलता नहीं मिली और पार्टी को महज 25 सीटें ही मिलीं। इस घटनाक्रम ने साबित कर दिया कि पार्टी नेतृत्व में निर्णय लेने की प्रक्रिया में गंभीर असंतुलन है और कुछ लोग पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव और पार्टी नेतृत्व पर सवाल
मदन प्रसाद ने कहा, “तेजस्वी यादव बहुत घमंडी हैं और जनता से नहीं मिलते। पार्टी में कुछ लोग अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए निर्णय ले रहे हैं, जिससे पार्टी कमजोर हुई है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि जब तक ये लोग पार्टी से बाहर नहीं किए जाएंगे, राजद को पुनः मजबूती नहीं मिलेगी।
उन्होंने अपने भाषण में यह भी जोड़ा कि 2020 में लालू यादव ने उन्हें रांची बुलाकर तेली समुदाय की जनसंख्या का सर्वेक्षण कराया था और बताया था कि मधुबन क्षेत्र से चुनाव जीतना संभव है। मदन प्रसाद ने दशकों तक पार्टी के लिए कार्य किया है और गरीबों के हक के लिए संघर्ष किया है।
#WATCH | पटना: राजद नेता मदन शाह ने कहा, “…वे सरकार नहीं बनाएगा, तेजस्वी बहुत घमंडी है, लोगों से मिलते नहीं…वे टिकट बांट रहे हैं…संजय यादव ये सब कर रहे हैं…मैं यहाँ मरने आया हूँ। लालू यादव मेरे गुरु हैं…उन्होंने कहा था कि वे मुझे टिकट देंगे…उन्होंने भाजपा के एजेंट… https://t.co/IluQNbdbYZ pic.twitter.com/I6c9DtnKHY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 19, 2025
पार्टी में गुटबाजी का असर
राजद की हार का मुख्य कारण पार्टी में गुटबाजी और अनुचित टिकट वितरण माना जा रहा है। टिकट कटने के बाद मदन प्रसाद ने कहा था, “राजद केवल 25 सीटों तक सीमित हो जाएगी। कुछ लोग पार्टी को बर्बाद कर रहे हैं और अगर इन पर लगाम नहीं लगी, तो पार्टी का भविष्य उज्जवल नहीं होगा।”
उनकी यह भविष्यवाणी चुनाव परिणामों के साथ सही साबित हुई। बिहार की जनता ने भी पार्टी के भीतर झगड़े और नेतृत्व में असंगति को देखा और उसके आधार पर वोट दिया।
भविष्य की राह
मदन प्रसाद के अनुसार, पार्टी को पुनः मजबूती देने के लिए गुटबाजी से मुक्त होना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “भगवान जो करते हैं, वही हमारे लिए अच्छा होता है। हमें अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सही दिशा में मार्गदर्शन देना होगा।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राजद अपने भीतर के संघर्ष और गुटबाजी को नियंत्रित नहीं करता है, तो आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।
मदन प्रसाद का यह श्राप केवल एक भावुक बयान नहीं था, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने इसे वास्तविकता में बदल दिया। उनकी चेतावनी और पार्टी में गुटबाजी पर उठाए गए सवाल यह संकेत देते हैं कि राजद को अपने नेतृत्व और निर्णय प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अब तेजस्वी यादव और राजद नेतृत्व को अंदरूनी समीक्षाओं और सुधारों की दिशा में कदम उठाना अनिवार्य है, ताकि भविष्य में पार्टी पुनः मजबूत स्थिति में आ सके।