विदेश में नौकरी का झांसा देकर बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी
बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के सपनों को ठगों ने फिर एक बार बेरहमी से कुचल दिया है। सोशल मीडिया और विज्ञापनों के ज़रिए विदेश में नौकरी का सपना दिखाकर बिहार और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों युवाओं से करोड़ों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। मुज़फ़्फरपुर ज़िले के अहियापुर थाना क्षेत्र में संचालित एक फर्जी कंपनी ने बेरोजगारों को विदेश भेजने के नाम पर तीन करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की और फिर अचानक कार्यालय में ताला लगाकर फरार हो गई।

मुज़फ़्फरपुर से चला फर्जी नौकरी का खेल
अहियापुर थाना क्षेत्र में स्थित इस कंपनी ने दावा किया था कि वह युवाओं को दुबई, कतर और सऊदी अरब जैसे देशों में कारपेंटर, प्लंबर और इलेक्ट्रिशियन जैसी नौकरियों पर भेजेगी। इसके लिए युवाओं से वीज़ा, पासपोर्ट और मेडिकल जांच के नाम पर मोटी रकम ली गई। कंपनी का कार्यालय शुरू में पूरी तरह पेशेवर तरीके से संचालित होता था — ताकि लोगों को विश्वास हो सके कि यह एक असली रोजगार एजेंसी है।
युवाओं से ₹80,000 से लेकर ₹1 लाख तक की राशि वसूली गई। कंपनी के संचालकों ने फर्जी वीज़ा और एयर टिकट तक तैयार कराकर युवाओं को दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों तक भेजा। लेकिन जब जांच हुई, तो सब कुछ झूठा निकला।
पीड़ितों की व्यथा — “हमारे सपने हवाई अड्डे पर ही टूट गए”
दरभंगा के रहने वाले मोहम्मद साबिर, जो इस ठगी का शिकार हुए, बताते हैं—
“हमारे गांव के कुछ लोगों ने बताया कि मुज़फ़्फरपुर में एक कंपनी विदेश में नौकरी दिला रही है। हमने वहां कॉल किया, फिर मेडिकल चेकअप के नाम पर ₹3000 लिए गए। उसके बाद ₹90,000 वीज़ा और टिकट के लिए जमा कराए। कुछ दिनों बाद एयर टिकट और वीज़ा मिले, लेकिन जब दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे तो अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों नकली हैं।”
साबिर के साथ ऐसे सैकड़ों युवा थे जिनका सपना विदेश में काम कर परिवार की मदद करने का था, लेकिन अब वे भारी कर्ज और मानसिक आघात में हैं।
पुलिस की कार्रवाई — पाँच आरोपियों पर एफआईआर, जांच जारी
जैसे ही कुछ पीड़ितों ने अहियापुर थाना में शिकायत दर्ज कराई, पुलिस हरकत में आई। सिटी एसपी कोटा किरण कुमार और एसडीपीओ टाउन-2 विनीता सिन्हा ने मौके पर जाकर जांच की और कार्यालय से दस्तावेज़ व डिजिटल साक्ष्य ज़ब्त किए।
एसडीपीओ बिनीता सिन्हा ने बताया—
“लोगों को विदेश भेजने और नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की शिकायत मिली है। कई लोगों के आवेदन प्राप्त हुए हैं और बाकी पीड़ितों की पहचान की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पाँच लोगों की भूमिका सामने आई है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। आगे की कार्रवाई जारी है।”
कैसे रचा गया फर्जीवाड़े का पूरा जाल
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सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आकर्षक विज्ञापन दिए गए।
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युवाओं को फोन कॉल और ईमेल से संपर्क कर भरोसा दिलाया गया।
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मेडिकल टेस्ट, पासपोर्ट और वीज़ा प्रोसेसिंग के नाम पर शुल्क वसूला गया।
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असली की तरह दिखने वाले नकली एयर टिकट और वीज़ा दिए गए।
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अंततः कंपनी का दफ्तर बंद कर संचालक फरार हो गए।
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस साइबर सेल की मदद से इन ठगों की गतिविधियों को ट्रैक कर रही है। आशंका है कि इनके अन्य राज्यों में भी ठगी के नेटवर्क फैले हैं।
बेरोजगारों के लिए चेतावनी — नौकरी के सपनों में न फँसें
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए उम्मीदवारों को किसी भी निजी एजेंसी से पैसा देने से पहले उसके लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन और सरकारी मान्यता की जांच करनी चाहिए। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर “eMigrate” पोर्टल के माध्यम से मान्यता प्राप्त एजेंसियों की सूची उपलब्ध है।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर कोई संदिग्ध नौकरी का ऑफर देता है या विदेश भेजने की बात करता है, तो तुरंत पुलिस या श्रम विभाग से संपर्क करें।
समापन — बेरोजगारी के बीच बढ़ती ठगी चिंता का विषय
देश में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या का फायदा उठाकर इस तरह के फर्जीवाड़े लगातार बढ़ रहे हैं। मुज़फ़्फरपुर का यह मामला न केवल एक आपराधिक घटना है बल्कि यह बेरोजगारी और विश्वास के संकट की भी गवाही देता है। अब देखना होगा कि पुलिस कब तक इन ठगों को पकड़कर पीड़ितों को न्याय दिला पाती है।