लालू यादव की सक्रियता से सियासी तापमान बढ़ा
राजनीतिक गलियारों में लंबे समय से यह सवाल उठ रहा था कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आखिर कब सक्रिय होंगे। लेकिन जैसे ही वे दिल्ली से पटना लौटे, पूरे राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मच गई। एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही लालू प्रसाद यादव का जोश और ऊर्जा देखकर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह की लहर दौड़ गई।
टिकट वितरण में दिखा लालू का पुराना अंदाज़
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पटना पहुंचते ही विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों को गति दे दी। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने एक के बाद एक कई उम्मीदवारों को पार्टी का चुनाव चिन्ह (सिंबल) सौंपा। इनमें संदेश विधानसभा से दीपू यादव, परबत विधानसभा से डॉ. संजीव, और बेगूसराय जिले की मटिहानी सीट से बोगो सिंह को राजद का टिकट देने की पुष्टि हुई है।
लालू यादव का यह अंदाज़ पुराने दिनों की याद दिला रहा है जब वे खुद प्रत्याशियों का चयन करते थे और पार्टी की रणनीति अपने ही अंदाज़ में तय करते थे। अब जबकि वे फिर से पूरी तरह सक्रिय दिख रहे हैं, राजनीतिक विशेषज्ञ इसे “लालू यादव की मैदान में वापसी” के तौर पर देख रहे हैं।
सीट बंटवारे पर ‘इंडिया गठबंधन’ में सहमति
सूत्रों के मुताबिक, राजद और उसके सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। ‘इंडिया गठबंधन’ के नेता इस पर अंतिम मुहर लगाने के लिए पटना में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, यह प्रेस कॉन्फ्रेंस मंगलवार दोपहर 2 बजे हो सकती है, जिसमें सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा के साथ पहली संयुक्त उम्मीदवार सूची जारी की जाएगी।
लालू यादव की वापसी से कार्यकर्ताओं में जोश
लालू प्रसाद यादव की सक्रियता ने पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी है। लंबे समय से बीमार चल रहे लालू यादव अब पहले की तरह सियासी मीटिंग्स कर रहे हैं, नेताओं से मुलाकातें कर रहे हैं और प्रत्याशियों के नामों पर खुद चर्चा कर रहे हैं।
राजद के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि लालू यादव अब प्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार चयन और प्रचार की रणनीति तय कर रहे हैं। इससे पार्टी में एक नई एकजुटता देखने को मिल रही है।
तेजस्वी यादव के साथ तालमेल पर जोर
हालांकि, यह भी साफ है कि लालू यादव अब अपने बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ पूरी समन्वय में काम कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि लालू और तेजस्वी मिलकर उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा कर रहे हैं ताकि संगठनात्मक और जातीय संतुलन दोनों को साधा जा सके।
राजद की रणनीति इस बार “युवा और अनुभव” के संतुलन पर केंद्रित है, जिसमें लालू का अनुभव और तेजस्वी की ऊर्जा दोनों ही प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
विपक्षी खेमे में हलचल
लालू प्रसाद यादव की सक्रियता ने विपक्षी दलों में भी हलचल मचा दी है। जदयू और भाजपा दोनों ही अब राजद की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखे हुए हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि लालू यादव की मैदान में वापसी से बिहार की राजनीति एक बार फिर “पुराने बनाम नए नेतृत्व” की दिलचस्प जंग की ओर बढ़ रही है।
लालू के पुराने तेवर, नई रणनीति
दिल्ली से लौटने के बाद लालू यादव ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि अब हर सीट पर “संगठित लड़ाई” लड़नी होगी। उन्होंने कहा है कि इस बार का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि “सामाजिक न्याय की पुनर्स्थापना” का चुनाव होगा।
उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि लालू यादव अपनी पारंपरिक सामाजिक न्याय की राजनीति को एक बार फिर केंद्र में लाने की कोशिश कर रहे हैं, पर इस बार आधुनिक रणनीति और गठबंधन राजनीति के सहारे।
निष्कर्ष
लालू प्रसाद यादव का पटना लौटते ही एक्टिव होना बिहार की राजनीति के लिए बड़ा संकेत है। उनके इस सक्रिय अंदाज़ ने न केवल राजद कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा दी है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए भी चुनौती खड़ी कर दी है। अब सबकी नजरें ‘इंडिया गठबंधन’ की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस और लालू-तेजस्वी की अगली रणनीति पर टिकी हैं।