Pappu Yadav Urges Major Seat Share for Congress in Bihar Election 2025; comments on NDA, Prashant Kishor
पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने आज पूर्णिया में प्रेस वार्ता कर बिहार की राजनीति और आने वाले Bihar Election 2025 को लेकर अपनी सोच साझा की। पप्पू यादव ने महागठबंधन के सीट बंटवारे पर साफ शब्दों में अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यदि राजद महागठबंधन में नेतृत्व की बात कर रही है तो उन्हें बड़ा दिल दिखाना चाहिए और 100 सीटों से कम लेना चाहिए। बाकी सीटों का बंटवारा कांग्रेस, माले और वीआईपी में किया जाना चाहिए।
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उन्होंने खास तौर पर कांग्रेस को बड़ा प्लेटफार्म देने पर जोर दिया। उनका कहना था कि कांग्रेस बिहार में एक बड़ी पार्टी है और सीमांचल क्षेत्र में कांग्रेस को अधिक से अधिक सीट मिलनी चाहिए। पप्पू यादव ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस के बिना “इंडिया गठबंधन” का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मतभेद बढ़ सकते हैं और राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं।
प्रेस वार्ता में पप्पू यादव ने Prashant Kishor पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि वह “ना तो तीन में हैं, ना तेरह में” और उनकी क्या बात की जाए। उनका कहना था कि Prashant Kishor दूसरे दल के नेताओं की प्रतीक्षा में हैं कि उन्हें टिकट मिल सके। यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है और इस पर विभिन्न पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है।
एनडीए पर भी पप्पू यादव ने हमला किया। उन्होंने कहा कि एनडीए के भीतर आपसी फुट है। भाजपा न तो चिराग पासवान को तवज्जो दे रही है और न ही जदयू को। इसके अलावा उन्होंने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि आयोग भाजपा को पिछले दरवाजे से सत्ता तक पहुंचाना चाहती है। पप्पू यादव का यह बयान बिहार में चुनावी हलचल और मीडिया की सुर्खियों में तेजी से शामिल हो गया है।
वेब स्टोरी:
विश्लेषकों का कहना है कि पप्पू यादव की यह रणनीति महागठबंधन को एकजुट करने और कांग्रेस के महत्व को बढ़ाने की ओर संकेत करती है। साथ ही, यह बयान बिहार की राजनीति में आगामी चुनावों में गठबंधन की संभावनाओं और सीट बंटवारे के समीकरण को प्रभावित कर सकता है।
Bihar Election 2025 के दृष्टिकोण से पप्पू यादव का यह बयान यह स्पष्ट करता है कि महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधन में आंतरिक संघर्ष और रणनीतिक खेल जारी हैं। सीमांचल जैसे संवेदनशील इलाकों में कांग्रेस की भूमिका और सीट वितरण की रणनीति चुनाव की दिशा तय कर सकती है।