राजनीति में राजपूत समीकरण की नई बिसात
बिहार की राजनीति में राजपूत समुदाय की भूमिका हमेशा से निर्णायक रही है। विशेष रूप से सारण प्रमंडल के तीन जिले — छपरा, सिवान और गोपालगंज — लंबे समय से राजपूत नेताओं का गढ़ माने जाते रहे हैं। अब 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर इस समाज के भरोसे अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कोशिश में जुटे हैं। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) की रणनीति इस बार स्पष्ट है — पारंपरिक वोट बैंक को साधो और सामाजिक संतुलन बनाए रखो।
छपरा: बनियापुर और माझी सीटों पर दांव की तैयारी
छपरा जिले में माझी और बनियापुर विधानसभा सीटें हमेशा से राजपूत उम्मीदवारों के प्रभाव में रही हैं।
माझी विधानसभा सीट का समीकरण
माझी सीट पर जदयू के वरिष्ठ नेता गौतम सिंह का दबदबा रहा है। वे मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन 2015 में पार्टी बदलने से समीकरण बिगड़ गया। 2020 के चुनाव में इस सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी के सत्येंद्र यादव ने जीत दर्ज की। अब खबर है कि जदयू इस सीट से प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह को टिकट दे सकती है। वहीं भाजपा से राणा प्रताप सिंह अपनी दावेदारी पुख्ता कर चुके हैं।
इस सीट पर मुकाबला सीधे दो राजपूत नेताओं के बीच होने की संभावना है, जिससे यह सीट राजनीतिक रूप से बेहद रोचक हो जाएगी।
बनियापुर सीट की स्थिति
बनियापुर में भी जदयू किसी मजबूत राजपूत उम्मीदवार को उतारने की योजना बना रही है। पिछले चुनाव में समीकरण उलट गए थे, लेकिन पार्टी का मानना है कि 2025 में इस सीट को फिर से जीतने के लिए स्थानीय राजपूत चेहरे को प्राथमिकता देनी होगी।
सिवान: रघुनाथपुर से कविता सिंह या नया चेहरा?
2020 के विधानसभा चुनाव में सिवान में जदयू का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। हालांकि, 2019 में लोकसभा चुनाव में कविता सिंह को टिकट देकर जदयू ने शानदार वापसी की थी। उनके पति अजय कुमार सिंह नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे, लेकिन हाल के दिनों में दोनों के बीच राजनीतिक दूरी बढ़ी है।
अब चर्चा है कि जदयू 2025 में रघुनाथपुर विधानसभा सीट से किसी नए राजपूत चेहरे को मैदान में उतार सकती है। बताया जा रहा है कि पार्टी विकास कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है।
रघुनाथपुर राजपूत बहुल क्षेत्र है और यहां से जदयू किसी नए, सशक्त और युवा चेहरे के जरिए अपने पुराने वोट बैंक को पुनर्जीवित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
गोपालगंज: बैकुंठपुर में प्रतिष्ठा की लड़ाई
गोपालगंज की बैकुंठपुर विधानसभा सीट पर जदयू और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। इस सीट पर कभी मनजीत सिंह का दबदबा था, लेकिन 2015 और 2020 में भाजपा के मिथिलेश तिवारी ने जीत दर्ज की। 2020 में मनजीत सिंह निर्दलीय लड़े और राजद के उम्मीदवार प्रेम शंकर यादव को इसका फायदा मिला।
अब 2025 में यह सीट दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। भाजपा मिथिलेश तिवारी को दोबारा मौका दे सकती है, जबकि जदयू मनजीत सिंह को फिर से टिकट देने की सोच रही है।
नीतीश कुमार और राजपूत समाज का पुराना रिश्ता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति हमेशा सामाजिक संतुलन और जातीय समीकरणों पर आधारित रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने कई पुराने चेहरों को बदल दिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी फिर से राजपूत समाज के भरोसे लौटने की कोशिश कर रही है।
जदयू यदि माझी, बनियापुर, रघुनाथपुर और बैकुंठपुर जैसी सीटों पर राजपूत उम्मीदवार उतारती है, तो यह न केवल संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा बल्कि इससे पार्टी को अपने पुराने वोटबैंक को पुनः मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
राजनीतिक संदेश और संभावनाएँ
जदयू का यह कदम साफ संदेश देता है कि पार्टी 2025 में जातीय संतुलन के साथ राजनीतिक पुनर्निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना चाहती है।
राजपूत समुदाय, जो परंपरागत रूप से भाजपा का समर्थन करता रहा है, अब जदयू की सक्रिय रणनीति के केंद्र में है। नीतीश कुमार इस दांव के जरिए न केवल राजपूत समाज को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि एक बार फिर सारण प्रमंडल में अपने पुराने प्रभाव को पुनः स्थापित करना चाहते हैं।