जदयू ने फिर महिला नेतृत्व पर जताया भरोसा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट पर एक बार फिर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने इस सीट पर महिला नेतृत्व पर भरोसा जारी रखते हुए इस बार सोनम सरदार को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने निवर्तमान विधायक वीणा भारती की जगह ली है, जिससे स्पष्ट है कि पार्टी अपनी “महिला सशक्तिकरण” की परंपरा को आगे बढ़ाना चाहती है।
त्रिवेणीगंज सीट पर जदयू की यह रणनीति नई नहीं है। 2010 से लेकर अब तक पार्टी लगातार इस सीट से महिला उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारती रही है। इस बार भी उसी कड़ी को आगे बढ़ाया गया है। हालांकि, इस निर्णय ने कई राजनीतिक संकेत भी दिए हैं — खासकर महागठबंधन और जन सुराज पार्टी की रणनीति को लेकर।
जन सुराज ने प्रदीप राम पर जताया भरोसा
जन सुराज पार्टी ने त्रिवेणीगंज से प्रदीप राम को अपना उम्मीदवार घोषित कर पहले ही चुनावी शंखनाद कर दिया है। प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली यह पार्टी इस क्षेत्र में नई ऊर्जा के साथ उतर रही है। प्रदीप राम का स्थानीय जनसंपर्क और संगठनात्मक पकड़ उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाती है।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जन सुराज इस बार त्रिवेणीगंज जैसे ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि “स्थानीय चेहरों” पर भरोसा जनता के बीच अधिक प्रभाव छोड़ सकता है।
महागठबंधन में अब भी संशय बरकरार
दूसरी ओर, महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वाम) में त्रिवेणीगंज सीट को लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। सूत्रों के अनुसार, राजद नेतृत्व उम्मीदवार चयन को लेकर गहन मंथन में है। इस सीट पर संभावित दावेदारों की लंबी सूची होने के कारण फैसला टलता जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजद फिलहाल सामाजिक समीकरणों और स्थानीय प्रभावशाली वर्गों की नाराज़गी को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चुनने में सावधानी बरत रहा है।
यह भी चर्चा है कि महागठबंधन इस सीट पर “नए चेहरे” को मौका दे सकता है, ताकि जनता के बीच परिवर्तन का संदेश भेजा जा सके।
महिला प्रतिनिधित्व पर जदयू का जोर
जदयू ने लगातार तीन चुनावों से इस सीट पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। 2010 में गुंजन देवी, 2015 और 2020 में वीणा भारती को मौका दिया गया था। वीणा भारती ने 2020 में इस सीट से जीत दर्ज की थी, लेकिन इस बार पार्टी ने बदलाव करते हुए सोनम सरदार पर दांव लगाया है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि महिला सशक्तिकरण जदयू की नीति का अभिन्न हिस्सा रहेगा। सोनम सरदार को टिकट देना इसी दिशा में एक और कदम माना जा रहा है।
राजनीतिक दृष्टि से यह निर्णय पार्टी के “विकास और महिला भागीदारी” के एजेंडे को मजबूती देने वाला है।
जनता के फैसले पर टिकी निगाहें
अब जबकि त्रिवेणीगंज में तीन प्रमुख विकल्प सामने हैं — जदयू की सोनम सरदार, जन सुराज के प्रदीप राम और संभावित राजद प्रत्याशी — तो जनता के निर्णय पर सबकी नजरें टिकी हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान महिला नेतृत्व, स्थानीय विकास, सड़क और शिक्षा जैसे मुद्दे मुख्य रूप से चर्चा में रहेंगे।
जदयू का संगठनात्मक ढांचा यहां मजबूत माना जाता है, लेकिन जन सुराज की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
वोटरों के बीच यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि क्या जनता एक बार फिर जदयू की महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताएगी या किसी नए चेहरे को अवसर देगी।
राजनीति के जानकार मानते हैं कि त्रिवेणीगंज का चुनाव इस बार सिर्फ “उम्मीदवार” नहीं बल्कि “रणनीति” का भी मुकाबला होगा।
निष्कर्ष
जदयू का यह कदम दर्शाता है कि पार्टी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व को लेकर अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। वहीं, महागठबंधन की देरी और जन सुराज की तत्परता इस सीट को चुनावी दृष्टि से अत्यंत रोचक बना देती है।
अब देखना यह है कि जनता किस पर विश्वास जताती है — परंपरा पर या परिवर्तन पर।