रायपुर। प्रदेश राजनीति एक बार फिर गहन विवादों और तीखे आरोपों के घेरे में आ गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री दीपक बैज ने पत्रकारों से वार्ता में पार्टी की तीव्र आपत्ति और संगठित कार्रवाई की रूपरेखा रखी। उनके आरोपों की श्रेणी में तीन बड़े मुद्दे उभरे — दलित और विपक्ष के वरिष्ठ नेता के प्रति जानलेवा धमकी, राज्य में अवैध शराब व्यापार और बिजली दरों के विरोध में व्यापक आंदोलन की घोषणा। साथ ही उन्होंने निःशक्तजन घोटाले की सीबीआई जांच में व्यापक दायरा तय करने की भी मांग दोहराई।
सबसे संवेदनशील आरोप वह है जिसमें केरल की एक भाजपा प्रवक्ता द्वारा लोकसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को सीने में गोली मारने की धमकी दिए जाने का जिक्र किया गया है। दीपक बैज ने इसे बेहद गंभीर कृत्य करार दिया और कहा कि यह भाजपा के असहिष्णु और कट्टर चरित्र का द्योतक है। उन्होंने यह भी कहा कि धमकीदेह वक्तव्य की निंदा में भाजपा नेतृत्व की चुप्पी दर्शाती है कि पार्टी इस प्रवक्ता के समर्थन में खड़ी है। कांग्रेस ने तत्काल कार्रवाई देते हुए धमकी देने वाले के खिलाफ प्रदेश के सभी जिलों में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्णय लिया है।
अवैध शराब के प्रसार को लेकर भी कांग्रेस के आरोप तीखे हैं। दीपक बैज ने कहा कि जब से राज्य में वर्तमान सरकार आई है, अवैध और मिलावटी शराब की सप्लाई बढ़ी है और राजनांदगांव, मुंगेली, तेलीबांधा व अन्य जिलों में तस्करी तथा मिलावटी शराब के मामले बढ़े हैं। उनके अनुसार रेलवे सेवा का उपयोग तस्करी हेतु किया जा रहा था, कुछ स्थानीय विद्यालयों को डंपिंग स्थल बना दिया गया और पड़ोसी राज्यों से बड़े पैमाने पर शराब लाई जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या बिना सत्ता संरक्षण के यह संपूर्ण नेटवर्क संभव है और दोषी पर कौन-सा राजनीतिक संरक्षण है।
बिजली के बढ़ते बिलों के विरोध में कांग्रेस ने अगले चरण का आंदोलन घोषित कर दिया है। 3 और 4 अक्टूबर को प्रदेश भर के छोटे-बड़े बिजली दफ्तरों में ताला बंदी कर विरोध दर्ज कराया जाएगा। दीपक बैज ने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस बंदी में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। उनका कहना है कि बिजली दरों में असंगत वृद्धि आमजन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है और सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
साथ ही, दीपक बैज ने निःशक्तजन घोटाले के संदर्भ में उच्चतम स्तर तक जवाबदेही की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा सीबीआई जांच की अनुशंसा के बाद कांग्रेस का यह अनुरोध है कि केवल अमले तक सीमित रहकर जांच न हो, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री सहित संपूर्ण शासन चिन्हों को जांच के दायरे में लाया जाए। उनका तर्क है कि इतनी व्यापक अभिशप्ति बिना संरक्षण के असंभव दिखती है।
इन आरोपों और घोषणाओं ने राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। सत्तापक्ष की प्रतिक्रिया, जांच एजेंसियों की सक्रियता तथा प्रशासनिक कदम इस विवाद की दिशा तय करेंगे। विपक्षी दावे यदि प्रमाणित हुए तो शासन-व्यवस्था और जवाबदेही के सवाल उठेंगे; वहीं यदि अनुशासनहीन वक्तव्य और गलथान आरोपों के रूप में सामने आए तो राजनीतिक वातावरण और अधिक कटु हो सकता है।
अंततः, यह दौर छत्तीसगढ़ की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में निर्णायक हो सकता है—जहाँ विधिक प्रक्रियाओं, निष्पक्ष जांच और जनहित के अनुरूप शासन की पारदर्शिता ही भविष्य के समीकरण निर्धारित करेगी।
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