नई दिल्ली। आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद से केंद्रीय कर्मचारियों के बीच अपनी सैलरी और पेंशन में होने वाली बढ़ोतरी को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है। इस बीच एक बड़ा सवाल यह भी उठा था कि क्या सरकार महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिलाने जा रही है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार ने लोकसभा में अपना पक्ष रखते हुए साफ कर दिया है कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन वित्त मंत्रालय की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया कि मौजूदा महंगाई भत्ते या महंगाई राहत को मूल वेतन में मिलाने का कोई भी प्रस्ताव इस समय सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री ने लोकसभा में दी।
सांसद ने उठाए थे अहम सवाल
लोकसभा सदस्य आनंद भदौरिया ने वित्त मंत्री से दो महत्वपूर्ण सवाल पूछे थे। पहला सवाल यह था कि क्या सरकार ने हाल ही में आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन के लिए कोई अधिसूचना जारी की है और अगर हां, तो उसका पूरा विवरण क्या है। दूसरा सवाल यह था कि क्या सरकार बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए तत्काल राहत के रूप में मौजूदा महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को बेसिक सैलरी में मर्ज करने पर विचार कर रही है।
इन सवालों के जवाब में वित्त राज्य मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि मौजूदा महंगाई भत्ते को मूल वेतन के साथ मिलाने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन नहीं है। यह बयान केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
महंगाई भत्ते की समीक्षा कैसे होती है
सरकार की तरफ से यह भी बताया गया कि जीवन यापन की लागत को समायोजित करने और मूल वेतन तथा पेंशन को महंगाई के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए महंगाई भत्ते और महंगाई राहत की दरों को समय-समय पर संशोधित किया जाता है। यह संशोधन हर छह महीने में लेबर ब्यूरो द्वारा जारी किए जाने वाले अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर किया जाता है।
इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की क्रय शक्ति महंगाई के कारण कम न हो। महंगाई भत्ता एक प्रकार से कर्मचारियों को बढ़ती कीमतों से सुरक्षा प्रदान करने का एक जरिया है।
वेतन आयोग की परंपरा
भारत में आमतौर पर हर दस साल में एक वेतन आयोग का गठन किया जाता है जो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी के पूरे ढांचे को बदलता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। अब आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उम्मीद है कि उनकी सैलरी और पेंशन में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
कर्मचारियों की उम्मीदें
आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद से ही केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगें रखना शुरू कर दी हैं। कर्मचारी संगठन न केवल सैलरी में बढ़ोतरी चाहते हैं बल्कि फिटमेंट फैक्टर, न्यूनतम वेतन, पेंशन और अन्य भत्तों में भी सुधार की मांग कर रहे हैं।
कई कर्मचारी संगठनों ने यह मांग भी की थी कि महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिला दिया जाए ताकि उनकी कुल सैलरी में बढ़ोतरी हो सके। हालांकि, सरकार ने अब साफ कर दिया है कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है।
महंगाई भत्ते को मर्ज करने के फायदे और नुकसान
अगर महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिला दिया जाता तो इसके कुछ फायदे हो सकते थे। इससे कर्मचारियों की बेसिक सैलरी बढ़ जाती और उनकी भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और अन्य लाभ भी बढ़ जाते क्योंकि ये सभी मूल वेतन पर आधारित होते हैं। लेकिन इसके नुकसान भी हैं। महंगाई भत्ते को मर्ज करने के बाद फिर से शून्य से शुरुआत होती है जिससे तात्कालिक रूप से कर्मचारियों के हाथ में आने वाली राशि कम हो सकती है।
पिछले वेतन आयोगों में क्या हुआ था
अगर पिछले वेतन आयोगों की बात करें तो छठे वेतन आयोग में 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिलाया गया था। लेकिन सातवें वेतन आयोग में ऐसा नहीं किया गया। सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था और कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई थी।
अब आठवें वेतन आयोग में कर्मचारी संगठन 3.68 या इससे अधिक फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं ताकि उनकी सैलरी में उचित बढ़ोतरी हो सके।
सरकार की सोच
सरकार का मानना है कि महंगाई भत्ते को नियमित रूप से संशोधित करने की मौजूदा व्यवस्था कर्मचारियों के हित में बेहतर है। हर छह महीने में महंगाई के हिसाब से महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी होती रहती है जिससे कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहती है।
अगर महंगाई भत्ते को मूल वेतन में मिला दिया जाता है तो फिर से शून्य से शुरुआत करनी पड़ती है और कई साल तक कर्मचारियों को पहले जैसा लाभ नहीं मिल पाता। इसलिए सरकार ने फिलहाल इस विकल्प को टाल दिया है।
आगे क्या होगा
आठवें वेतन आयोग का काम अभी शुरू ही हुआ है। आयोग विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगा और कर्मचारी संगठनों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से सुझाव लेगा। इसके बाद ही आयोग अपनी सिफारिशें देगा। आम तौर पर वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट देने में डेढ़ से दो साल का समय लगता है।
केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उम्मीद है कि आठवां वेतन आयोग उनकी चिंताओं को समझेगा और उचित सिफारिशें करेगा जो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाएंगी। फिलहाल महंगाई भत्ते को मर्ज करने की योजना न होने से कर्मचारियों को नियमित छह महीने की बढ़ोतरी का लाभ मिलता रहेगा।