दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण एक बार फिर गंभीर संकट का रूप ले चुका है। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों पर जहरीली धुंध की परत गहराती जा रही है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI कई स्थानों पर 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो साफ तौर पर गंभीर श्रेणी में आता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है और प्रशासन को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ठंडी हवाओं के अभाव और वातावरण में अटके धुएं ने दिल्ली को गैस चैंबर जैसी स्थिति में पहुंचा दिया है।
दिल्ली में प्रदूषण का बढ़ता संकट
प्रदूषण के बढ़ने के कारण
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय धीमी हवाएं और तापमान का तेजी से गिरना प्रमुख कारण हैं। इस मौसम में हवा का बहाव कम हो जाता है, जिससे वातावरण में मौजूद प्रदूषण के कण जमीन के ऊपर ही रुके रहते हैं। नतीजतन हवा जहरीली होती चली जाती है और यह स्थिति लगातार गंभीर रूप ले लेती है।

AQI गंभीर श्रेणी में, कई क्षेत्रों में 450 से ऊपर
CPCB के आंकड़ों के अनुसार, वजीरपुर क्षेत्र में AQI 477 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी से भी ऊपर का अलार्मिंग स्तर है। वहीं पंजाबी बाग, मुंडका, बवाना, जहांगिरपुरी और आनंद विहार में AQI 420 से 450 के बीच दर्ज किया गया। ये सभी आंकड़े हवा में मौजूद जहरीले तत्वों को दर्शाते हैं। 400 से अधिक AQI का मतलब है कि हवा का हर सांस इंसानी शरीर पर सीधे तौर पर हानिकारक प्रभाव डाल रहा है।
एनसीआर में भी हालात खराब
दिल्ली के साथ ही एनसीआर के शहरों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। गाजियाबाद में AQI 422 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में क्रमशः 409 और 420 तक पहुंच गया। स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए प्राथमिक कक्षाओं को हाइब्रिड मोड में चलाने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य बच्चों को जहरीली हवा के संपर्क में आने से बचाना है।

स्वास्थ्य पर खतरे के गहरे बादल
वायु प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर देखा जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, सांस की बीमारी, एलर्जी, अस्थमा और हृदय संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। प्रदूषण के प्रभाव से आंखों में जलन, सिर दर्द और गले में खराश जैसी शिकायतें सामान्य होती जा रही हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि लोग अनावश्यक बाहर निकलने से बचें और फेस मास्क का उपयोग करें।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए GRAP स्टेज 3 लागू
दिल्ली प्रशासन ने GRAP स्टेज 3 लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत निर्माण कार्यों पर रोक, सड़कों पर पानी का छिड़काव, ट्रैफिक नियंत्रण और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर सख्ती की जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण उपायों के तहत यह भी देखा जा रहा है कि क्या उद्योगों में प्रदूषण को नियंत्रित करने वाली तकनीक का पालन किया जा रहा है या नहीं।
सड़कों पर विरोध प्रदर्शन
प्रदूषण की लगातार बढ़ती समस्या के खिलाफ दिल्ली में कई सामाजिक संगठनों, छात्रों और नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि लगातार बढ़ते प्रदूषण पर सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द लंबी अवधि की नीति तैयार करने को कहा है, ताकि हर साल प्रदूषण संकट की पुनरावृत्ति न हो।
सरकार और जनता की जिम्मेदारी
विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण पर नियंत्रण सिर्फ सरकार के प्रयासों से नहीं हो सकता। जनता को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। वाहनों का कम उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का बढ़ता इस्तेमाल, कचरा न जलाना और पेड़ों की संख्या बढ़ाना जैसे कदम प्रदूषण को घटाने में मदद कर सकते हैं। जब तक आम लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं करेंगे, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है।दिल्ली में सड़कों पर जमा धूल और लगातार बढ़ते वाहनों की संख्या वायु प्रदूषण को और अधिक खतरनाक बना रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी की सड़कों पर हर दिन लाखों वाहन चलते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं हवा को विषैला बना देता है। इसी कारण दिल्ली का परिवहन ढांचा वायु गुणवत्ता पर भारी दबाव डाल रहा है। सरकारी एजेंसियों ने कई बार कहा है कि यदि लोग सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ाएं तो प्रदूषण के स्तर में निश्चित रूप से कमी आ सकती है।
भविष्य के लिए चेतावनी
यदि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो स्वास्थ्य संबंधी संकट और गहरा सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, क्योंकि तापमान अभी और नीचे जाएगा। इसलिए समय रहते प्रशासन को कड़े कदम उठाने और जनता को जागरूक करने की जरूरत है।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।