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अभिनव बिंद्रा ने मेसी की भारत यात्रा पर जताई चिंता, कहा करोड़ों रुपये खेल विकास पर खर्च होने चाहिए थे

Messi in Delhi: ओलंपिक चैंपियन ने उठाए सवाल, खेल विकास पर क्यों नहीं हुआ खर्च
Messi in Delhi: ओलंपिक चैंपियन ने उठाए सवाल, खेल विकास पर क्यों नहीं हुआ खर्च (Image Source: X/@CityzenBharat)
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने लियोनल मेसी के भारत दौरे पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मेसी के साथ तस्वीरों और नजदीकी के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए जबकि यही पैसा भारत में खेल के बुनियादी विकास पर लगाया जा सकता था। बिंद्रा ने सवाल उठाया कि क्या हम खेल संस्कृति बना रहे हैं या सिर्फ दूर से सितारों का जश्न मना रहे हैं।
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ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा ने अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर लियोनल मेसी के हाल ही में हुए भारत दौरे को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। भारतीय निशानेबाज ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखकर कहा कि मेसी के भारत दौरे का जिस तरीके से आयोजन हुआ, उससे वह असहज महसूस कर रहे हैं।

बिंद्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि लाखों-करोड़ों रुपये सिर्फ मेसी के साथ तस्वीरें खिंचवाने और कुछ पलों की नजदीकी पाने में खर्च किए गए। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इसी पैसे का एक छोटा हिस्सा भी भारत में खेलों के बुनियादी विकास पर लगाया जाता तो कितना बेहतर होता।

मेसी के भारत दौरे में क्या हुआ

मेसी का भारत दौरा शुरू, पहले दिन जब वह कोलकाता पहुंचे तो प्रशासनिक गड़बड़ी के कारण प्रशंसकों को उनकी झलक तक नहीं मिल पाई। लोग घंटों इंतजार करते रहे लेकिन ठीक से दर्शन नहीं हो पाए। इससे भीड़ में काफी गुस्सा देखा गया।

हालांकि हैदराबाद और मुंबई में आयोजित कार्यक्रम ठीक तरीके से हुए। लेकिन इन कार्यक्रमों में राजनेता, फिल्मी हस्तियां और उद्योगपति मेसी के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए उमड़ पड़े। हर कोई बस एक फोटो चाहता था जो सोशल मीडिया पर दिखाई जा सके।

अभिनव बिंद्रा की चिंता

बिंद्रा ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि मेसी उन दुर्लभ खिलाड़ियों में से हैं जिनकी कहानी सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है। बचपन में शारीरिक परेशानियों से लड़ते हुए एक ऐसे फुटबॉलर बनने तक का उनका सफर जिसने उत्कृष्टता की नई परिभाषा लिखी, यह दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रेरित करता है।

एक खिलाड़ी के रूप में जीवन जीने वाले व्यक्ति के तौर पर बिंद्रा ने कहा कि वह मेसी के लिए गहरा सम्मान और प्रशंसा रखते हैं। मेसी लगन, विनम्रता और महानता की निरंतर खोज का प्रतीक हैं।

लेकिन उन्होंने आगे लिखा कि जब मेसी की भारत यात्रा सामने आई तो कई हिस्से अव्यवस्थित लगे और इससे वह असहज हो गए। इसने उन्हें रुककर सोचने पर मजबूर किया कि आखिर हम क्या हासिल करना चाह रहे थे।

खेल की अर्थव्यवस्था को समझते हैं

बिंद्रा ने स्पष्ट किया कि वह खेल की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह समझते हैं। उन्हें व्यावसायिक वास्तविकताओं, वैश्विक ब्रांडिंग और प्रतिष्ठित खिलाड़ियों के आकर्षण की जानकारी है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह से मेसी को दोष नहीं दे रहे। मेसी ने अपने हर अवसर को खुद कमाया है और महानता के लिए प्रशंसा स्वाभाविक है।

लेकिन प्रशंसा को आत्मचिंतन की ओर भी ले जाना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हम एक समाज के रूप में खेल की संस्कृति बना रहे हैं या फिर सिर्फ दूर से व्यक्तियों का जश्न मना रहे हैं।

करोड़ों की बर्बादी पर सवाल

बिंद्रा ने कहा कि लाखों-करोड़ों रुपये मेसी जैसे महान खिलाड़ी के साथ कुछ पलों की नजदीकी, तस्वीरों और क्षणिक पहुंच के लिए खर्च किए गए। उन्होंने माना कि यह लोगों का खुद का पैसा है जो उन्होंने ईमानदारी से कमाया है और उन्हें अधिकार है कि वे इसे जैसे चाहें खर्च करें।

फिर भी उन्होंने कहा कि वह एक गहरी उदासी महसूस कर रहे हैं। वह सोचते हैं कि अगर इस ऊर्जा और निवेश का एक छोटा हिस्सा भी हमारे देश में खेल की नींव की ओर लगाया जाता तो क्या संभव हो सकता था।

खेल के विकास की जरूरत

बिंद्रा ने कहा कि भारत को ऐसे खेल के मैदानों की जरूरत है जहां बच्चे बिना किसी रोक-टोक के दौड़ सकें। हमें ऐसे प्रशिक्षकों की जरूरत है जो युवा प्रतिभाओं को सही दिशा दे सकें।

उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हम चाहते हैं कि भारत खेलों में आगे बढ़े तो हमें जमीनी स्तर पर काम करना होगा। सिर्फ विदेशी खिलाड़ियों के साथ तस्वीरें खिंचवाने से कुछ नहीं होगा।

समाज को क्या सोचना चाहिए

बिंद्रा का यह बयान एक आईना है हमारे समाज के लिए। हम किसी भी विदेशी सितारे को देखकर इतने रोमांचित हो जाते हैं कि पैसे की परवाह नहीं करते। लेकिन अपने देश के खिलाड़ियों को सुविधाएं देने की बात आती है तो हम पीछे हट जाते हैं।

हमें यह समझना होगा कि अगर हम चाहते हैं कि भारत से भी मेसी जैसे खिलाड़ी निकलें तो हमें छोटे शहरों और गांवों तक खेल की सुविधाएं पहुंचानी होंगी। बच्चों को खेलने के लिए मैदान, अच्छे प्रशिक्षक और सही मार्गदर्शन देना होगा।

अभिनव बिंद्रा की यह चिंता सही है और हर भारतीय को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। मेसी जैसे खिलाड़ियों की प्रशंसा करना गलत नहीं है लेकिन अपने देश में खेल के विकास को नजरअंदाज करना भी सही नहीं है। अगर हम चाहते हैं कि आने वाले समय में भारत खेलों की महाशक्ति बने तो हमें आज से ही जमीनी स्तर पर काम शुरू करना होगा।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।