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संचार साथी ऐप को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला

Sanchar Saathi App: सरकार ने दी सफाई, मोबाइल में प्री-इंस्टॉल जरूरी नहीं
Sanchar Saathi App: सरकार ने दी सफाई, मोबाइल में प्री-इंस्टॉल जरूरी नहीं
संचार साथी ऐप को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया है कि मोबाइल में इसका प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह स्वैच्छिक है। संचार मंत्री सिंधिया ने विपक्ष के जासूसी के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि यह ऐप डिजिटल सुरक्षा के लिए बनाया गया है। इससे अब तक 26 लाख चोरी के फोन ट्रेस हुए, 2.25 करोड़ फर्जी कनेक्शन बंद किए गए और 22,800 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी रोकी गई। एपल कंपनी ने इस आदेश पर चिंता जताई है और सरकार से चर्चा करना चाहती है।
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संचार साथी ऐप विवाद पर सरकार की सफाई

देश में संचार साथी ऐप को लेकर पिछले कुछ दिनों से जो भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, उस पर सरकार ने आखिरकार अपनी सफाई पेश कर दी है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह से उपयोगकर्ताओं की इच्छा पर निर्भर करता है कि वे इस ऐप को अपने फोन में रखना चाहते हैं या नहीं। विपक्षी दलों द्वारा इस ऐप के जरिए जासूसी और निगरानी के आरोप लगाने के बाद सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है।

संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह ऐप पूरी तरह से स्वैच्छिक है और लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस ऐप का इस्तेमाल करना चाहते हैं, वे इसे सक्रिय कर सकते हैं और जो नहीं चाहते, वे किसी भी समय इसे अपने फोन से हटा सकते हैं। यह बयान उस समय आया जब विपक्ष ने सरकार पर लोगों की निजता में दखल देने का आरोप लगाया था।

संचार मंत्रालय के आदेश पर क्या था विवाद

संचार मंत्रालय ने सोमवार को सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में कहा गया था कि हर नए मोबाइल फोन में बिक्री से पहले संचार साथी ऐप अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल होना चाहिए। कंपनियों को इस निर्देश का पालन अगले 90 दिनों में करना था और 120 दिनों के भीतर मंत्रालय को इसकी रिपोर्ट देनी थी।

इस आदेश के सामने आते ही विपक्षी दलों ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि यह ऐप सरकार को लोगों की निजी बातचीत और गतिविधियों पर नजर रखने का मौका देगा। विपक्ष ने इसे निजता के अधिकार पर हमला बताया और सरकार से इस आदेश को वापस लेने की मांग की।

संचार मंत्री का स्पष्टीकरण और जवाब

विपक्ष के आरोपों को गलत और भ्रामक बताते हुए संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस ऐप के जरिए किसी भी तरह की जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि इस उपयोगी ऐप को सभी नागरिकों तक पहुंचाया जाए ताकि वे साइबर धोखाधड़ी से सुरक्षित रह सकें।

सिंधिया ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस ऐप को अपने फोन से हटाना चाहता है तो वह बिना किसी रोक-टोक के ऐसा कर सकता है। अगर कोई इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो उसे रजिस्टर करने की जरूरत नहीं है। केवल रजिस्ट्रेशन के बाद ही यह ऐप सक्रिय होगा, अन्यथा यह निष्क्रिय रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह ऐप किसी की निजी बातचीत या डेटा तक पहुंच नहीं बनाता है।

संचार मंत्री ने बताया कि देश के हर नागरिक की डिजिटल सुरक्षा सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। संचार साथी ऐप का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति अपनी निजता की रक्षा कर सके और ऑनलाइन ठगी तथा धोखाधड़ी के जाल में न फंसे।

संचार साथी ऐप क्या है और कैसे काम करता है

संचार साथी पोर्टल को सरकार ने वर्ष 2023 में लॉन्च किया था और इसी साल की शुरुआत में इसका मोबाइल ऐप भी जारी किया गया। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को उनके नाम पर जारी किए गए मोबाइल कनेक्शनों की जानकारी देना और साइबर धोखाधड़ी से बचाना है।

इस ऐप की मदद से कोई भी व्यक्ति यह जान सकता है कि उसके नाम पर कितने सिम कार्ड चालू हैं। अगर किसी के नाम पर उसकी जानकारी के बिना कोई सिम कार्ड जारी किया गया है तो वह इस ऐप के जरिए उसे तुरंत बंद करवा सकता है। इस सुविधा के इस्तेमाल से अब तक 50 लाख से अधिक अवैध कनेक्शन बंद किए जा चुके हैं।

इसके अलावा अगर किसी का मोबाइल फोन चोरी हो जाए तो वह इस ऐप पर शिकायत दर्ज कर सकता है और अपने फोन को ब्लॉक करवा सकता है। जैसे ही कोई व्यक्ति उस चोरी के फोन में सिम कार्ड डालता है, तुरंत पुलिस और फोन के असली मालिक को अलर्ट मिल जाता है। इस सुविधा की मदद से अब तक 26 लाख मोबाइल फोन ट्रेस किए जा चुके हैं और इनमें से 7.23 लाख मोबाइल फोन उनके असली मालिकों को लौटाए जा चुके हैं।

साइबर सुरक्षा में संचार साथी की भूमिका

सरकार का कहना है कि यह ऐप नकली या डुप्लीकेट आईएमईआई नंबर से होने वाली साइबर सुरक्षा की समस्याओं से निपटने के लिए बेहद जरूरी है। आईएमईआई यानी इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी हर मोबाइल फोन के लिए 14 से 17 अंकों का एक विशेष नंबर होता है। इस नंबर का गलत इस्तेमाल करके अपराधी धोखाधड़ी और स्कैम को अंजाम देते हैं।

संचार साथी ऐप की मदद से मोबाइल फोन हैंडसेट की असलियत की जांच की जा सकती है। अगर कोई फोन नकली आईएमईआई नंबर से चल रहा है तो इस ऐप के जरिए उसे पकड़ा जा सकता है। इस सुविधा के तहत अब तक 6.2 लाख नकली मोबाइल फोन हैंडसेट ब्लॉक किए जा चुके हैं।

संचार मंत्री ने बताया कि अब तक 20 करोड़ से अधिक लोग संचार साथी पोर्टल का इस्तेमाल कर चुके हैं और 1.5 करोड़ से अधिक लोगों ने इसका मोबाइल ऐप डाउनलोड किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म ने साल 2024 में 22,800 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने में मदद की है।

धोखाधड़ी वाले कनेक्शनों पर कार्रवाई

संचार साथी ऐप की मदद से सरकार ने उन मोबाइल कनेक्शनों पर भी शिकंजा कसा है जिनका इस्तेमाल संदिग्ध या धोखाधड़ी वाली गतिविधियों में किया जा रहा था। अब तक 2.25 करोड़ ऐसे मोबाइल कनेक्शन बंद किए जा चुके हैं जो साइबर अपराधों में इस्तेमाल हो रहे थे।

यह कदम उस समय बेहद जरूरी हो गया है जब देश में डिजिटल धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर दिन हजारों लोग ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में संचार साथी ऐप एक सुरक्षा कवच की तरह काम कर रहा है।

एपल कंपनी की चिंता और सरकार से चर्चा

इस पूरे मामले में एक दिलचस्प पहलू यह भी सामने आया है कि मोबाइल फोन निर्माता कंपनी एपल ने इस आदेश को लेकर अपनी चिंता जताई है। सूत्रों के मुताबिक एपल मौजूदा रूप में इस आदेश को लागू नहीं कर पाएगी और वह सरकार के साथ चर्चा करके कोई बीच का रास्ता निकालना चाहती है।

संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने बताया कि संचार साथी ऐप से जुड़े मामलों पर एक कार्यकारी समूह में सभी मोबाइल फोन कंपनियों के साथ चर्चा की गई थी, लेकिन एपल ने इस चर्चा में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि अब एपल ने सरकार से बातचीत की इच्छा जताई है।

एपल की चिंता मुख्य रूप से अपने ऑपरेटिंग सिस्टम की बंद प्रकृति को लेकर है। कंपनी अपने आईओएस सिस्टम में किसी बाहरी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने में कई तकनीकी और नीतिगत समस्याएं देखती है।

विशेषज्ञों की राय और सुझाव

बीएसएनएल के पूर्व सीएमडी और लावा इंटरनेशनल के स्वतंत्र निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने सरकार के इस कदम को सही बताया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल सुरक्षा के लिहाज से यह ऐप बेहद जरूरी है। हालांकि उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को इस ऐप की डेटा एक्सेस और इस्तेमाल की नीति को और स्पष्ट करना चाहिए।

श्रीवास्तव ने कहा कि अगर सरकार यह स्पष्ट करे कि यह ऐप कौन-कौन सी जानकारी एकत्र करता है और उसका इस्तेमाल कैसे होता है, तो लोगों की निजता को लेकर जो चिंता है वह कम होगी। पारदर्शिता से लोगों का भरोसा बढ़ेगा और वे इस ऐप का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाएंगे।

आगे की राह और सरकार की योजना

सरकार ने स्पष्ट किया है कि संचार साथी ऐप को अनिवार्य बनाने का कोई इरादा नहीं है। यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और जो लोग इसका फायदा उठाना चाहते हैं वे इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। सरकार का मकसद केवल लोगों को साइबर धोखाधड़ी से बचाना और उनकी डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

हालांकि सरकार चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस ऐप का इस्तेमाल करें ताकि साइबर अपराध पर नियंत्रण पाया जा सके। इसीलिए फोन में पहले से यह ऐप डालने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध और एपल जैसी कंपनियों की चिंता को देखते हुए सरकार ने इसे अनिवार्य नहीं बनाया है।

आने वाले दिनों में सरकार इस ऐप की सुविधाओं को और बेहतर बनाने और इसे और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने पर काम करेगी। साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस ऐप के फायदों के बारे में बताया जाएगा ताकि वे स्वेच्छा से इसका इस्तेमाल करें और साइबर ठगी से खुद को बचा सकें।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।