ओला संस्थापक और वरिष्ठ अधिकारी पर मामला दर्ज
नई दिल्ली। भारतीय राइड-हेल्पिंग कंपनी ओला के संस्थापक और सीईओ भाविश अग्रवाल एक गंभीर कानूनी मामले में फंस गए हैं। बेंगलुरु पुलिस ने अग्रवाल और ओला के वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है। यह घटना तब सामने आई जब कंपनी के एक कर्मचारी अरविंद ने कथित रूप से आत्महत्या की।
पुलिस के अनुसार, अरविंद ने अपने 28 पृष्ठों के नोट में कार्यस्थल पर उत्पीड़न का आरोप लगाया। मृतक के परिवार ने इसके अलावा कंपनी में वित्तीय गड़बड़ियों का भी हवाला दिया।
एफआईआर में दर्ज नाम और धाराएँ
एफआईआर में भाविश अग्रवाल, सुब्रत कुमार दास, और हेड, व्हीकल होमोलोगेशन्स एंड रेगुलेशन सहित अन्य अधिकारियों के नाम दर्ज किए गए हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 के तहत यह केस दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता अरविंद के भाई अश्विन कन्नन हैं, जिन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को रिपोर्ट किया।
क्या लगाए गए हैं आरोप
कंप्लेंट के अनुसार, कंपनी ने अरविंद की सैलरी और इंटेंसिव पेमेंट रोक दी थी। यह घटना 28 सितंबर को हुई, जब अरविंद ने कथित तौर पर अपने घर पर जहर लेकर जीवन समाप्त कर लिया। उन्हें तुरंत एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
अरविंद ने अपने नोट में स्पष्ट रूप से लिखा कि एचआर विभाग ने उनके बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने में शिथिलता बरती और कार्यस्थल पर लगातार उत्पीड़न किया गया।
परिवार की शिकायत और वित्तीय गड़बड़ी का आरोप
परिवार ने बताया कि अरविंद ने अपने डेथ नोट में न केवल मानसिक तनाव बल्कि 17.46 लाख रुपये की फाइनेंशियल गड़बड़ी का भी जिक्र किया। यह रकम कथित रूप से उनके सैलरी और इंटेंसिव पेमेंट में अनियमितताओं से संबंधित है।
कार्यस्थल उत्पीड़न का मामला
अरविंद के नोट में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा वर्कप्लेस हैरेसमेंट का आरोप लगाया गया। उन्होंने उल्लेख किया कि HR विभाग उनके सवालों का स्पष्ट उत्तर नहीं दे रहा था और लगातार उन्हें मानसिक तनाव में रखा गया।
शेयर बाजार पर प्रभाव
इस मामले के प्रकाश में आने के तुरंत बाद सोमवार को ओला के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई। बीएसई पर कंपनी का शेयर लगभग 4 प्रतिशत गिरकर 54.98 रुपये पर आ गया। विशेषज्ञों के अनुसार इस गिरावट का सीधा असर कंपनी की छवि और निवेशकों के भरोसे पर पड़ा है।
कानूनी प्रक्रिया और आगे की जांच
पुलिस ने मामला दर्ज कर अग्रवाल और सुब्रत कुमार दास सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। अधिकारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि मामले में कानूनी प्रक्रिया का पालन पूरी तरह हो।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मामले का कंपनी की वित्तीय स्थिति, शेयर मूल्य और कर्मचारियों की मानसिक सुरक्षा पर लंबी अवधि में प्रभाव पड़ सकता है।
ओला जैसी प्रतिष्ठित कंपनी में इस प्रकार के मामले का सामने आना न केवल कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय है बल्कि निवेशकों और समाज के लिए भी चेतावनी है। आत्महत्या के आरोप और कार्यस्थल उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर कंपनियों को त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई करनी आवश्यक है।