गढ़चिरौली में नक्सलवाद को लगा बड़ा झटका, ईनामी नक्सली भूपति ने 60 साथियों संग किया आत्मसमर्पण
गढ़चिरौली, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली ज़िले में एक ऐतिहासिक घटना सामने आई है। लंबे समय से पुलिस के लिए सिरदर्द बने ईनामी नक्सली भूपति उर्फ भूपति यादव ने अपने 60 साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। इस आत्मसमर्पण से न केवल गढ़चिरौली बल्कि सम्पूर्ण महाराष्ट्र में नक्सल आंदोलन की जड़ें हिल गई हैं।
पुलिस के अथक प्रयासों का परिणाम
गढ़चिरौली पुलिस ने पिछले कई वर्षों से नक्सलवाद के विरुद्ध एक सुनियोजित अभियान चलाया हुआ था। विशेष पुलिस महानिरीक्षक (IG) अंकित गोयल के नेतृत्व में सुरक्षा बलों ने लगातार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दबाव बनाए रखा। इसी के परिणामस्वरूप भूपति ने हथियार डालने का निर्णय लिया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, भूपति पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था। वह माओवादी संगठन के दक्षिण गढ़चिरौली डिवीजन कमेटी का शीर्ष सदस्य था और कई हिंसक घटनाओं में उसकी संलिप्तता पाई गई थी।
भूपति का अपराध इतिहास और प्रभाव क्षेत्र
भूपति का नाम महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमाओं पर फैले नक्सल नेटवर्क में प्रमुख रूप से जाना जाता था। उसके नेतृत्व में कई हमले हुए जिनमें पुलिस बलों को नुकसान पहुँचा था।
वह पिछले दो दशकों से जंगलों में सक्रिय था और युवाओं को नक्सली संगठन में शामिल होने के लिए प्रेरित करता था।
पुलिस ने बताया कि भूपति और उसके गिरोह ने वर्षों तक नक्सल विचारधारा के नाम पर भय और आतंक का वातावरण तैयार किया था। लेकिन हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव और विकास योजनाओं की पहुँच ने उनके संगठन को कमजोर कर दिया।
विकास की नई राह की ओर कदम
गढ़चिरौली प्रशासन ने आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत सहायता देने की घोषणा की है। इन सभी को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए आवास, रोजगार और सुरक्षा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि,
“यह केवल आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। इन लोगों ने बंदूक छोड़कर अब कलम और खेती की राह अपनाने का निर्णय लिया है।”
जनता और पुलिस के बीच विश्वास का प्रतीक
इस आत्मसमर्पण से गढ़चिरौली में शांति का माहौल और मजबूत हुआ है। स्थानीय लोगों ने भी पुलिस के प्रयासों की सराहना की है।
एक ग्रामीण ने कहा,
“पहले हम हर समय भय में जीते थे, अब गाँव में स्कूल, सड़क और अस्पताल बनने लगे हैं। नक्सली भी समझ रहे हैं कि हिंसा से कुछ नहीं मिलेगा।”
पुलिस विभाग ने बताया कि आत्मसमर्पण के बाद सभी नक्सलियों को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है और उनका पुनर्वास प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने इस आत्मसमर्पण को “नक्सलवाद के विरुद्ध निर्णायक सफलता” बताया। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल बंदूक की लड़ाई जीतना नहीं, बल्कि विचार की लड़ाई जीतना है।
उन्होंने घोषणा की कि आने वाले महीनों में नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास परियोजनाओं को और गति दी जाएगी, ताकि युवाओं को हिंसा के मार्ग पर जाने से रोका जा सके।
निष्कर्ष: नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी जीत
गढ़चिरौली में भूपति और उसके 60 साथियों का आत्मसमर्पण केवल एक समाचार नहीं, बल्कि एक आशा की किरण है। यह घटना साबित करती है कि जब समाज, प्रशासन और सुरक्षा बल मिलकर काम करें तो वर्षों पुरानी हिंसा भी समाप्त की जा सकती है।
गढ़चिरौली की यह सफलता आने वाले समय में अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
“अब जंगलों में गोलियों की नहीं, विकास की गूँज सुनाई देगी।”