महाराष्ट्र को सिकल सेल मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए मिशन मोड पर काम करने का फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने नागपुर में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस दिशा में तत्काल और प्रभावी कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए हैं। मंत्री ने साफ किया कि सिकल सेल रोगियों की संख्या को शून्य तक लाना है और इसके लिए हर स्तर पर गंभीरता से काम करना होगा।
आज नागपुर स्थित स्वास्थ्य सेवा कार्यालय में आयोजित इस बैठक में राज्य भर के स्वास्थ्य अधिकारी, विधायक और जिला स्तर के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में खासतौर पर गडचिरोली, नंदुरबार, पालघर और मेलघाट जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई। इन क्षेत्रों में सिकल सेल रोग की समस्या अधिक गंभीर है और यहां विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
मरीजों की पहचान पर जोर
स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा कि सिकल सेल के मरीजों को शून्य तक लाने के लिए सबसे पहले मरीजों की सही पहचान करना बेहद जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिए कि जांच का काम तेजी से किया जाए और जो भी मरीज मिलें उन्हें तुरंत पहचान पत्र जारी किया जाए। साथ ही उनका पूरा रिकॉर्ड सही तरीके से रखा जाए। मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस काम में किसी भी तरह की देरी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक भी मरीज बिना रजिस्ट्रेशन के नहीं रहना चाहिए।
बैठक में विधायक डॉक्टर मिलिंद नरोटे, रामदास मसराम, केवलराम काले, हरिश्चंद्र भोये, आमश्या पाडवी, राजेश पाडवी और श्रीमती मंजुला गावित शामिल हुए। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉक्टर नितिन अंबाडेकर, सहायक निदेशक सुनीता गोलहाईत और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिला स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारी और जिला सर्जन भी मौजूद थे।

ग्रामीण अस्पतालों में खुद की व्यवस्था
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सभी ग्रामीण अस्पतालों में सिकल सेल की खून की जांच के लिए सरकार की अपनी व्यवस्था खड़ी करने की जरूरत है। उन्होंने साफ किया कि निजी संस्थाओं पर निर्भर रहने की बजाय ग्रामीण अस्पतालों में जरूरी तकनीकी स्टाफ, ब्लड स्टोरेज की सुविधा और दवाओं का भंडार उपलब्ध होना चाहिए। यह बेहद जरूरी है कि हम अपनी क्षमता पर काम करें।
रोकथाम पर भी ध्यान
मंत्री आबिटकर ने कहा कि सिकल सेल के मरीजों की संख्या न बढ़े इसके लिए रोकथाम के कार्यक्रमों को तेज किया जाए। आदिवासी क्षेत्रों में अगर विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं तो उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार रोटेशन के आधार पर दूसरे क्षेत्रों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति अनिवार्य रूप से की जाए। यह व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए ताकि आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर इलाज मिल सके।

जल्द होगी बड़ी भर्ती
राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में खाली पदों की समस्या को देखते हुए मंत्री ने बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही चौदह सौ से पंद्रह सौ पदों पर भर्ती की जाएगी। अगर बाहरी एजेंसी के जरिए भर्ती की जरूरत महसूस हुई तो वह एजेंसी के माध्यम से नहीं बल्कि सीधे ठेके के आधार पर ग्यारह महीने की सेवा अनुबंध पर की जाएगी। इस बारे में योजना बनाने को कहा गया है। अगले हफ्ते इस विषय पर विशेष बैठक होगी और फैसला लिया जाएगा।
बाहरी संस्थाओं पर निर्भरता घटाएं
आबिटकर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में बड़ी संख्या में स्टाफ उपलब्ध है, इसलिए किसी भी सेवा के लिए बाहरी संस्थाओं पर निर्भर रहने की बजाय विभाग अपनी क्षमता का इस्तेमाल करके काम करे। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं को रोजाना पच्चीस और तालुका स्वास्थ्य अधिकारियों को हर दिन दस घरों में जाकर सर्वे करने की जिम्मेदारी दी गई है। अगर इसे सख्ती से लागू किया गया तो सिकल सेल के मरीजों की पहचान तेजी से हो सकेगी।
मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिम्मेदारी से बचने वाले अधिकारियों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी। काम में लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सौ फीसदी संस्थागत प्रसव का लक्ष्य
स्वास्थ्य मंत्री ने निर्देश दिए कि सौ प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो इसके लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाया जाए। महिलाओं को अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए प्रेरित किया जाए। इससे मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
धारणी ग्रामीण अस्पताल और नंदुरबार में दवाओं के भंडार में कमी पाई गई। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने नाराजगी जताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था नागरिकों के लिए काम कर रही होनी चाहिए, वरना नतीजे गंभीर होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य और जिला स्तर पर नियुक्त किए गए सिकल सेल समन्वयकों से अपेक्षित काम नहीं हो रहा है।
विधायकों की मांगें
बैठक में गडचिरोली के विधायक डॉक्टर मिलिंद नरोटे ने मांग की कि सभी ग्रामीण अस्पतालों में सिकल सेल की खून जांच इकाई खड़ी की जाए। इलाज के लिए जरूरी शोध और वैज्ञानिक मूल्यांकन के अनुसार दवाओं का इलाज सुनिश्चित किया जाए। पदोन्नति के बाद नियुक्त हुए और नए भर्ती हुए डॉक्टरों को आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों में प्राथमिकता से उपलब्ध कराया जाए।
विधायक केवलराम काले ने धारणी क्षेत्र में दवाओं की कमी पर दुख व्यक्त किया। विधायक अंधार पाडवी ने कहा कि बाहरी एजेंसी से कर्मचारी लेने की बजाय पहले ठेके के आधार पर नियुक्ति की जाए तो आसानी से स्टाफ मिल सकता है।
मिशन मोड पर काम की अपील
बैठक में सिकल सेल मुक्त महाराष्ट्र बनाने के लिए एकजुट, सख्त और समय पर काम करने पर जोर दिया गया। राज्य भर की सभी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पूरे समन्वय से इस मिशन में शामिल होना चाहिए, ऐसी अपेक्षा स्वास्थ्य मंत्री आबिटकर ने जताई।
इस मौके पर स्वास्थ्य व्यवस्था से जुड़े सभी संबंधित अधिकारी मौजूद थे। यह बैठक महाराष्ट्र में सिकल सेल रोग को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सरकार की मंशा साफ है कि आने वाले समय में राज्य को इस बीमारी से पूरी तरह मुक्त बनाया जाए। इसके लिए हर स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएंगे और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।