नागपुर की राजनीति में एक नया मोड़ आया है जब दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 33 को लेकर पीपल्स रिपब्लिकन पार्टी ने अपनी दावेदारी मजबूती से रखी है। यह वार्ड न केवल राजनीतिक रूप से संवेदनशील है बल्कि सामाजिक संतुलन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष जयदीप कवाड़े ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुंबई में मुलाकात कर इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की है।
सामाजिक समीकरण का केंद्र बना वार्ड 33
दक्षिण-पश्चिम नागपुर का वार्ड क्रमांक 33 अपनी खास पहचान रखता है। यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है और वे चुनाव के नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि इस वार्ड में आरक्षित श्रेणी ‘ए’ की सीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों की नजर बनी रहती है। पीरिपा का मानना है कि सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए इस सीट पर उनका नैतिक और राजनीतिक अधिकार बनता है।
वार्ड 33 की भौगोलिक स्थिति भी इसे खास बनाती है। यह क्षेत्र शहरी और अर्ध-शहरी आबादी का मिश्रण है जहां विकास की जरूरतें विविध हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी यहां के मतदाताओं की प्रमुख चिंता रही है।
मुख्यमंत्री से सकारात्मक बातचीत
पीरिपा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष और महाराष्ट्र लघुउद्योग विकास महामंडल के उपाध्यक्ष जयदीप कवाड़े ने मुंबई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से विस्तृत बातचीत की। इस मुलाकात में उन्होंने वार्ड 33 की आरक्षित सीट पर पीरिपा के दावे को मजबूती से रखा। कवाड़े के अनुसार मुख्यमंत्री ने इस मांग को सकारात्मक दृष्टि से देखने का आश्वासन दिया है।
यह बैठक महायुति के भीतर सीट बंटवारे की चल रही प्रक्रिया के दौरान हुई। गठबंधन में शामिल विभिन्न दल अपनी-अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं। पीरिपा का तर्क है कि सामाजिक न्याय के एजेंडे को मजबूत करने के लिए उन्हें यह अवसर मिलना चाहिए।
पीयूष पाटील की उम्मीदवारी का प्रस्ताव
पीरिपा ने इस सीट के लिए पीयूष पाटील को अपना उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा है। पीयूष पाटील एक उच्चशिक्षित युवा नेता हैं जो पिछले 25 वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। वे राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार भी रहे हैं। आंबेडकरी विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और जमीनी कार्यों ने उन्हें इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय चेहरा बनाया है।
पीयूष पाटील का काम केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहा है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई पहल की हैं जिससे वंचित समुदाय के युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिला है। रोजगार के अवसर बढ़ाने, स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ कराने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए उनके प्रयास सराहनीय रहे हैं।
जमीनी कार्यों का रिकॉर्ड
पीयूष पाटील ने वार्ड 33 और आसपास के क्षेत्रों में कई सामाजिक कार्यक्रम चलाए हैं। शिक्षा के प्रति जागरूकता, युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देना, महिला सशक्तिकरण की पहल और स्वास्थ्य शिविर आयोजित करना उनके नियमित कार्यों में शामिल रहा है। यही कारण है कि स्थानीय लोगों में उनकी स्वीकार्यता काफी अधिक है।
आंबेडकरी आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका ने उन्हें युवाओं के बीच एक प्रेरणास्रोत बना दिया है। वे विचारधारा और व्यवहार दोनों स्तरों पर सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।
मुख्यमंत्री का मतदारसंघ होने का महत्व
वार्ड 33 की विशेषता यह भी है कि यह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मतदारसंघ का हिस्सा है। इस कारण इस क्षेत्र में होने वाले चुनाव में सामाजिक संतुलन और वैचारिक संदेश का विशेष महत्व है। यह केवल स्थानीय राजनीति का मामला नहीं बल्कि राज्यस्तरीय राजनीति में भी इसकी गूंज सुनाई देती है।
जयदीप कवाड़े का कहना है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में सामाजिक न्याय की राजनीति को मजबूती देना गठबंधन के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा। इससे वंचित समुदाय में महायुति के प्रति विश्वास बढ़ेगा।
2017 का कड़ा मुकाबला
2017 के नगर निगम चुनाव में वार्ड 33 में कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। मतों का अंतर बेहद कम रहा और हर पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इस बार भी चुनाव आसान नहीं होने वाला। ऐसे में एक मजबूत और स्वीकार्य उम्मीदवार की जरूरत है जो जमीन से जुड़ा हो और मतदाताओं की आकांक्षाओं को समझता हो।
महायुति के लिए दूरदर्शी निर्णय
जयदीप कवाड़े का मानना है कि पीरिपा को यह सीट देना महायुति के लिए राजनीतिक रूप से लाभदायक और दूरदर्शी निर्णय होगा। इससे न केवल सामाजिक संतुलन बनेगा बल्कि आंबेडकरी विचारधारा के मतदाताओं में भी गठबंधन की स्वीकार्यता बढ़ेगी। यह कदम महायुति की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बनेगा।
विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए यह फैसला समझदारी भरा होगा। नागपुर की राजनीति में सामाजिक न्याय की राजनीति हमेशा से मजबूत रही है और इसे नजरअंदाज करना किसी भी गठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
आगे की राह
अभी सीट बंटवारे की प्रक्रिया जारी है और अंतिम फैसला महायुति के शीर्ष नेतृत्व को करना है। मुख्यमंत्री का सकारात्मक रुख पीरिपा के लिए उम्मीद की किरण है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और स्पष्टता आएगी। स्थानीय कार्यकर्ता और मतदाता इस फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
वार्ड 33 का यह चुनाव केवल एक स्थानीय चुनाव नहीं बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में सामाजिक न्याय की दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो सकता है।