तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताक़ी ने 11 अक्टूबर, 2025 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षा केंद्र दरुल उलूम देवबंद का दौरा किया। यह दौरा किसी वरिष्ठ तालिबान अधिकारी द्वारा भारत में किया गया पहला दौरा है, जिसने अफगानिस्तान और दरुल उलूम देवबंद के ऐतिहासिक संबंधों को उजागर किया।
देवबंद में स्वागत और सांस्कृतिक प्रतीक
मुत्ताक़ी का स्वागत देवबंद के विद्वानों और छात्रों ने हर्षोल्लास के साथ किया। चार दिन के दौरे के दौरान उन्होंने विभिन्न धार्मिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग लिया और स्थानीय संस्कृति के प्रति सम्मान व्यक्त किया। यह दौरा भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक और धार्मिक संपर्कों को उजागर करने वाला प्रतीक माना जा रहा है।
दिल्ली में द्विपक्षीय चर्चा
दौरे के दौरान मुत्ताक़ी ने दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार, चाबहार बंदरगाह के विकास, मानवीय सहायता और आतंकवाद विरोधी रणनीतियों पर चर्चा की। मुत्ताक़ी ने आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्र का उपयोग पड़ोसी देशों के खिलाफ नहीं होने देगा।
Afghan FM Muttaqi at Darul Uloom Deoband, in a historic first pic.twitter.com/qAZ8g4fUIB
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 11, 2025
महिलाओं और पत्रकारिता पर विवाद
मुत्ताक़ी के देवबंद दौरे के दौरान महिला पत्रकारों को सीधे उनके सामने न आने और पर्दे के पीछे रहने का निर्देश दिया गया। इस निर्णय ने ऑनलाइन चर्चा को जन्म दिया। एक ओर इसे सांस्कृतिक और धार्मिक नियमों के पालन के रूप में देखा गया, वहीं दूसरी ओर महिला पत्रकारों की उपस्थिति को प्रतिबंधित करने को आलोचना का विषय बनाया गया।
इतिहास और शिक्षा केंद्र का महत्व
दरुल उलूम देवबंद का नाम अफगान-अनुशासनिक संबंधों में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। यह संस्थान इस्लामी शिक्षा और धार्मिक विचारों का केंद्र माना जाता है। तालिबान अधिकारी का दौरा इस ऐतिहासिक संबंध की पुष्टि करता है और क्षेत्रीय सांस्कृतिक कनेक्शन को मजबूती देता है।
आलोचना और सामाजिक प्रतिक्रिया
दौरे के दौरान उत्पन्न विवाद ने सामाजिक और राजनीतिक बहस को तेज किया। कुछ ने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक समझौते के रूप में देखा, जबकि कई लोग इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से विवादास्पद मान रहे हैं। ऑनलाइन मंचों पर इस दौरे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं।
भविष्य की संभावनाएँ और कूटनीति
तालिबान विदेश मंत्री का यह दौरा भारत-अफगानिस्तान संबंधों में संभावित व्यापार, निवेश और सहयोग के नए रास्ते खोल सकता है। इसके अलावा, यह यात्रा आतंकवाद विरोधी सहयोग और मानवीय सहायता के मामलों में भी द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ावा दे सकती है।
दौरे के निष्कर्ष और चर्चा यह स्पष्ट करते हैं कि धार्मिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक क्षेत्र में भारत और अफगानिस्तान के बीच संवाद और सहयोग को एक नई दिशा मिल रही है, हालांकि सामाजिक और लैंगिक मुद्दों पर बहस जारी रहेगी।