कोलकाता में आज एक बड़ा धार्मिक और सामाजिक मुद्दा लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे। ऑल बंगाल इमाम-मुअज्जिन एसोसिएशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित इस विशाल जुलूस और सभा में वक्फ संपत्ति की सुरक्षा, मदरसा, मस्जिद, ईदगाह और कब्रिस्तान की हिफाजत की मांग की गई। यह जुलूस रामलीला मैदान से शुरू होकर धर्मतला तक पहुंचा और कोलकाता कॉर्पोरेशन के सामने एक सभा का आयोजन कर समाप्त हुआ।
इस आंदोलन का मकसद सिर्फ धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए गए हैं। संगठन ने केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे वक्फ संशोधन बिल का विरोध किया है और इसे तुरंत रद्द करने की मांग की है। साथ ही, इमाम और मुअज्जिनों के भत्ते में बढ़ोतरी की भी जोरदार मांग की गई है।
आंदोलन की शुरुआत और मार्ग
सुबह के समय रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए। इनमें इमाम, मुअज्जिन, धार्मिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक शामिल थे। जुलूस में शामिल लोगों ने अपनी मांगों को लेकर तख्तियां और बैनर लेकर नारेबाजी की। यह जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा और धर्मतला पहुंचकर कोलकाता कॉर्पोरेशन के सामने एक बड़ी सभा में बदल गया।
सभा में संगठन के प्रमुख नेताओं ने अपनी बात रखी और सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में और भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
प्रमुख मांगें
वक्फ संपत्ति की सुरक्षा
वक्फ संपत्ति मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्ति है जो मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों और अन्य धार्मिक कामों के लिए इस्तेमाल होती है। संगठन का कहना है कि इन संपत्तियों पर अतिक्रमण हो रहा है और सरकारी खतियान में कई धार्मिक संपत्तियां गलत तरीके से दर्ज हो गई हैं। इन्हें सही करने और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
वक्फ संशोधन बिल को रद्द करने की मांग
केंद्र सरकार द्वारा लाया जा रहा वक्फ संशोधन बिल इस आंदोलन का मुख्य मुद्दा है। संगठन का कहना है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाएगा और समुदाय के अधिकारों को कमजोर करेगा। इसलिए इस बिल को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।
वक्फ बाई-यूजर कानून को खत्म करने की मांग
वक्फ बाई-यूजर कानून के तहत कोई भी व्यक्ति किसी संपत्ति को लंबे समय तक इस्तेमाल करने के बाद उसे वक्फ संपत्ति घोषित करवा सकता है। संगठन का मानना है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है और इससे असली वक्फ संपत्तियों को नुकसान पहुंच रहा है। इसलिए इस कानून को रद्द करने की मांग की गई है।
उमीद पोर्टल को बंद करने की मांग
हाल ही में सरकार ने वक्फ संपत्तियों की जानकारी और प्रबंधन के लिए उमीद पोर्टल लॉन्च किया है। लेकिन संगठन का कहना है कि यह पोर्टल पारदर्शी नहीं है और इसमें कई तकनीकी खामियां हैं। इसे बंद करके एक बेहतर व्यवस्था लाने की मांग की गई है।
इमाम और मुअज्जिन भत्ते में बढ़ोतरी
इमाम और मुअज्जिन मस्जिदों और धार्मिक स्थानों पर सेवा देते हैं। संगठन का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला इमाम भत्ता बहुत कम है और महंगाई के इस दौर में यह पर्याप्त नहीं है। इसलिए इस भत्ते में पर्याप्त बढ़ोतरी की मांग की गई है।
सामाजिक और राजनीतिक महत्व
यह आंदोलन सिर्फ एक धार्मिक मुद्दा नहीं है बल्कि इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम समुदाय की बड़ी आबादी है और वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुद्दे पर किसी भी सरकार के लिए संवेदनशील होना जरूरी है। संगठन ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह केंद्र सरकार पर दबाव बनाए और इन मांगों को पूरा करवाए।
राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ दलों ने संगठन के समर्थन में बयान जारी किए हैं जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश की है। लेकिन संगठन का कहना है कि यह आंदोलन पूरी तरह से धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा के लिए है और इसका किसी राजनीतिक दल से कोई लेना-देना नहीं है।
आगे की रणनीति
सभा को संबोधित करते हुए संगठन के नेताओं ने कहा कि अगर अगले कुछ हफ्तों में इन मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे और बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे बंगाल में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली तक मार्च किया जाएगा।
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा और किसी भी तरह की हिंसा या अव्यवस्था का वे समर्थन नहीं करते। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपील की कि वे अनुशासन बनाए रखें और कानून का सम्मान करें।
जनता की प्रतिक्रिया
जुलूस में शामिल लोगों ने कहा कि वक्फ संपत्तियां समुदाय की धरोहर हैं और इनकी सुरक्षा बेहद जरूरी है। एक प्रतिभागी ने कहा कि मदरसों और मस्जिदों की जमीनें धीरे-धीरे कब्जे में जा रही हैं और सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही। एक अन्य ने कहा कि इमाम और मुअज्जिनों को मिलने वाला भत्ता इतना कम है कि उससे परिवार चलाना मुश्किल है।
कोलकाता में आज का यह आंदोलन एक महत्वपूर्ण घटना है जो वक्फ संपत्तियों और धार्मिक अधिकारों के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है और क्या संगठन को अपनी बात मनवाने में सफलता मिलती है।