पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक विवाद तेज
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक शोर-गुल लगातार बढ़ता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी पर इस महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया को बाधित करने का गंभीर आरोप लगाया है। भाजपा का दावा है कि राज्य में एसआईआर को सुचारु रूप से चलने से रोकने के लिए तृणमूल नेतृत्व और स्थानीय गुंडों द्वारा बूथ स्तर अधिकारियों को डराया-धमकाया जा रहा है। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग के निर्देशों को खुले तौर पर चुनौती देने का प्रयास किया जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस पर गुंडों के इस्तेमाल का आरोप
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान ने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस के गुंडे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को धमकाने में लगे हुए हैं। उनके अनुसार, इन अधिकारियों से कहा जा रहा है कि वे निर्वाचन आयोग के नियमों और निर्देशों का पालन न करें। पासवान के अनुसार यह रवैया केवल संवैधानिक प्रक्रिया का अपमान नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती भी है। उन्होंने कहा कि जो बीएलओ राज्य सरकार के कर्मचारी भी हैं, उन पर दबाव इतना बढ़ा दिया गया है कि उनका मानसिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।
निर्वाचन आयोग की संवैधानिक शक्तियों का संदर्भ
पासवान ने अपने बयान में संविधान के अनुच्छेद 324 और 325 का उल्लेख करते हुए कहा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण करना निर्वाचन आयोग का विशेषाधिकार है। इसका अर्थ यह है कि कोई भी राज्य सरकार या मुख्यमंत्री इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। उन्होंने इसे संवैधानिक नैतिकता का प्रश्न बताते हुए कहा कि यह राष्ट्र की लोकतांत्रिक नींव पर प्रहार के समान है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग को चुनौती देकर तृणमूल कांग्रेस राज्य में असंवैधानिक माहौल बनाने की कोशिश कर रही है।
ममता बनर्जी की आपत्ति और पत्र विवाद
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि एसआईआर प्रक्रिया “अनियोजित और बलपूर्वक” तरीके से की जा रही है। ममता ने दावा किया कि इस प्रक्रिया से नागरिकों और अधिकारियों दोनों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने इसे चिंताजनक और खतरनाक स्थिति बताते हुए तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई की मांग की है। ममता के इस पत्र ने पूरे मामले को राजनीतिक तूल दे दिया और विपक्ष ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने की कोशिश करार दिया।
भाजपा की प्रतिक्रिया: संवैधानिक प्रक्रिया पर संदेह क्यों
ममता की आपत्तियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पासवान ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस चुनावी हार से उबर नहीं पा रही। उन्होंने बिहार चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि “इंडिया गठबंधन” को हार के बाद शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी। पासवान के अनुसार जब एसआईआर एक स्पष्ट और ऐतिहासिक प्रक्रिया है और सर्वोच्च न्यायालय भी इसकी पुष्टि कर चुका है, तो इस पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक सिद्धांतों का अपमान है।
बीएलओ पर दबाव और सुरक्षा प्रश्न
भाजपा ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि पश्चिम बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया में किसी प्रकार की बाधा न आने दी जाए। साथ ही मांग की गई कि आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती भी की जाए। भाजपा का कहना है कि बीएलओ पर दबाव डालकर वास्तविक मतदाताओं के अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है। यह स्थिति प्रशासनिक तंत्र को प्रभावित करने के साथ-साथ निष्पक्ष चुनाव की गारंटी पर भी प्रश्नचिह्न लगा रही है।
बिहार मॉडल की तुलना और शांतिपूर्ण प्रक्रिया
पासवान ने बताया कि बिहार में एसआईआर बिना किसी विवाद और आपत्ति के शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, जबकि पश्चिम बंगाल में इसका विरोध केवल राजनीतिक लाभ के लिए हो रहा है। अन्य राज्यों में भी यह प्रक्रिया बिना किसी बाधा के चल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब वही प्रक्रिया अन्य राज्यों में शांतिपूर्ण ढंग से हो सकती है, तो बंगाल में इसे लेकर विवाद क्यों खड़ा किया जा रहा है।
घुसपैठियों को वोट बैंक बनाने का आरोप
भाजपा ने दावा किया कि जैसे ही पश्चिम बंगाल में एसआईआर की घोषणा हुई, बड़ी संख्या में घुसपैठिये अपने देश लौटने लगे। पासवान ने यह तक कहा कि उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और कोलकाता क्षेत्र में तृणमूल को चुनावों में बढ़त इसलिए मिलती है क्योंकि बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल किए गए हैं। इस प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची की सफाई होने से कथित घुसपैठियों की पहचान आसान होगी, जिससे तृणमूल कांग्रेस की कथित वोट बैंक राजनीति कमजोर हो जाएगी।
निर्वाचन आयोग से अतिरिक्त सुरक्षा बल की मांग
भाजपा ने निर्वाचन आयोग से स्पष्ट मांग की है कि वह राज्यों में संवैधानिक गरिमा को प्रभावित करने वाले किसी भी प्रयास को बर्दाश्त न करे। यदि आवश्यक हो, तो अतिरिक्त बल तैनात किए जाएं और प्रशासनिक तंत्र को और प्रभावी बनाया जाए। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि मतदाता सूची के पुनरीक्षण को बाधित करने की कोशिश की गई, तो यह संविधान और लोकतांत्रिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन होगा।