अमेरिका का 40% पारगमन शुल्क: भारत और आसियान देशों की कंपनियों के लिए नई चुनौती
नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा 31 जुलाई 2025 को घोषित 40% पारगमन शुल्क (trans-shipment tariff) से भारत और आसियान देशों की कंपनियों के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, इस शुल्क का विशेष असर मशीनरी, बिजली उपकरण और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर पड़ने की संभावना है। यह शुल्क उन वस्तुओं पर लागू होगा जो तीसरे देशों के माध्यम से अमेरिका भेजी जाती हैं, जिससे आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) में जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
पारगमन शुल्क की परिभाषा और उद्देश्य
पारगमन शुल्क वह शुल्क है जो उन वस्तुओं पर लगाया जाता है जो एक देश से दूसरे देश के माध्यम से तीसरे देश में भेजी जाती हैं। अमेरिका ने यह कदम उन वस्तुओं की पहचान करने के लिए उठाया है जो चीन से होकर अन्य देशों के माध्यम से अमेरिका भेजी जाती हैं, ताकि मौजूदा शुल्कों से बचा जा सके। मूडीज के अनुसार, इस कदम से आसियान देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जोखिम उत्पन्न हो सकता है, जिससे एशिया-प्रशांत आपूर्ति श्रृंखला को नुकसान हो सकता है।
भारतीय कंपनियों पर प्रभाव
यदि अमेरिका इस परिभाषा को संकीर्ण रूप से अपनाता है और केवल चीन से आयातित, हल्के रूप से प्रसंस्कृत या दोबारा लेबल लगाकर भेजी गई वस्तुओं को ही शामिल करता है, तो क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर सीमित रहेगा। हालांकि, यदि अमेरिका पारगमन की व्यापक व्याख्या अपनाता है और उन वस्तुओं को भी शामिल करता है जिनमें चीनी सामग्री का कोई भी महत्वपूर्ण अंश है, तो इससे एशिया-प्रशांत आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर आर्थिक नुकसान हो सकता है। मूडीज के अनुसार, तीसरे देशों के रास्ते आने वाले उत्पाद अधिकतर ‘मध्यवर्ती कच्चे माल’ के रूप में होते हैं, जो विभिन्न उद्योगों में उपयोग होते हैं।
आपूर्ति श्रृंखला में जटिलताएँ
पारगमन शुल्क के कारण कंपनियों को अपने आपूर्ति श्रृंखलाओं की पुनरावलोकन करने की आवश्यकता होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके उत्पादों में चीनी सामग्री का कोई महत्वपूर्ण अंश न हो, ताकि अमेरिकी शुल्क से बचा जा सके। इसके लिए कंपनियों को कड़ी प्रमाणन प्रक्रियाओं और अतिरिक्त दस्तावेज़ीकरण की आवश्यकता होगी, जिससे उनकी संचालन लागत में वृद्धि हो सकती है।
संभावित समाधान और रणनीतियाँ
कंपनियों को इस नई स्थिति से निपटने के लिए निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनानी चाहिए:
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सप्लायर नेटवर्क का पुनर्निर्माण: कंपनियों को अपने सप्लायर नेटवर्क की पुनरावलोकन करनी चाहिए और उन सप्लायरों से सामग्री प्राप्त करनी चाहिए जो अमेरिकी मानकों के अनुरूप हों।
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उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार: कंपनियों को अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में सुधार करनी चाहिए ताकि उत्पादों में चीनी सामग्री का अनुपात कम किया जा सके।
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कानूनी और वित्तीय सलाह: कंपनियों को कानूनी और वित्तीय सलाहकारों से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए ताकि वे अमेरिकी शुल्कों से बचने के लिए उचित कदम उठा सकें।
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नए बाजारों की पहचान: कंपनियों को नए और उभरते हुए बाजारों की पहचान करनी चाहिए ताकि वे अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम कर सकें।
अमेरिका का 40% पारगमन शुल्क भारत और आसियान देशों की कंपनियों के लिए एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है। हालांकि, यदि कंपनियाँ उपरोक्त रणनीतियों को अपनाती हैं, तो वे इस चुनौती का सामना कर सकती हैं और अपने व्यापार को सुरक्षित रख सकती हैं। समय रहते उचित कदम उठाने से कंपनियाँ इस स्थिति से उबर सकती हैं और भविष्य में अमेरिकी शुल्कों से बच सकती हैं।