विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025: नई पीढ़ी को नवाचार का पाठ
भारत के शिक्षा तंत्र में पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है, जिसे केवल प्रतियोगिता नहीं बल्कि “राष्ट्र निर्माण का महाअभियान” कहा जा सकता है। शिक्षा मंत्रालय, नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन एवं AICTE के संयुक्त प्रयास से शुरू किया गया Viksit Bharat Buildathon 2025 देशभर के विद्यार्थियों में नवोन्मेष (Innovation), आत्मनिर्भरता और स्वदेशी सोच को प्रोत्साहित करने वाला अब तक का सबसे बड़ा छात्र आंदोलन बन चुका है।
23 सितंबर 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा लॉन्च किए गए इस कार्यक्रम में देश के 1.5 लाख से अधिक विद्यालयों के लगभग 1 करोड़ विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं। लक्ष्य स्पष्ट है — “विकसित भारत @2047” के स्वप्न को बच्चों की कल्पनाशक्ति और तकनीकी कौशल के माध्यम से मूर्त रूप देना।
चार स्तंभों पर आधारित है यह नवाचार यात्रा
इस बिल्डाथॉन का विषय-वस्तु केवल सामान्य विज्ञान या तकनीक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ा गया है। विद्यार्थियों को चार प्रमुख विषयों पर नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है —
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आत्मनिर्भर भारत – स्वदेशी तकनीकी समाधान विकसित करना
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स्वदेशी – पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक रूप देना
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वोकल फॉर लोकल – स्थानीय उद्योगों और उत्पादों को बढ़ावा देना
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समृद्धि – सतत विकास आधारित समाधान प्रस्तुत करना
इन विषयों का उद्देश्य केवल “नवाचार” नहीं बल्कि “भारतीयता से जुड़ी रचनात्मक सोच” को विकसित करना है।
कैसे होगा बिल्डाथॉन में चयन?
विद्यार्थियों को 5 से 7 सदस्यों की टीम बनाकर vbb.mic.gov.in पर निःशुल्क पंजीकरण करना है। सभी प्रविष्टियों का मूल्यांकन राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा नवीनता, व्यवहार्यता और सामाजिक प्रभाव के आधार पर किया जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी प्रतिभागियों को शिक्षा मंत्रालय द्वारा डिजिटल प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा।
लाइव बिल्डाथॉन बनेगा विश्व रिकॉर्ड
13 अक्टूबर 2025 को एक साथ 1 करोड़ विद्यार्थियों द्वारा एक ही समय पर लाइव नवाचार गतिविधि की जाएगी। अनुमान है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा सामूहिक नवाचार आयोजन होगा, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने की भी तैयारी की जा रही है।
चुनौतियाँ भी कम नहीं
जहाँ यह आयोजन उम्मीद की किरण जगाता है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल संसाधनों की कमी, प्रशिक्षित मेंटर्स की उपलब्धता और मार्गदर्शन की समस्या जैसी चुनौतियाँ भी सामने हैं। यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर CSR एवं उद्योग साझेदारी को और सशक्त करें, तो यह अभियान एक स्थायी इनोवेशन इकोसिस्टम बन सकता है।
भविष्य के भारत की बुनियाद
यदि इस बिल्डाथॉन से निकले विचारों को इन्क्यूबेशन, पेटेंटिंग और स्टार्टअप मॉडल्स से जोड़ा जाए तो यह केवल प्रतियोगिता नहीं रहेगी, बल्कि भारत को वैश्विक इनोवेशन हब बनाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगी। यह पहल यह संदेश भी देती है कि भारत अब उपभोक्ता नहीं, बल्कि रचनाकार राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।