नागपुर में फॉरेंसिक सिविल इंजीनियरिंग सम्मेलन का शुभारंभ
नागपुर, 10 अक्टूबर 2025।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज नागपुर में ‘फॉरेंसिक सिविल इंजीनियरिंग’ पर आधारित दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने निर्माण क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, अभियंताओं और शोधकर्ताओं से आह्वान किया कि वे गुणवत्ता से कोई समझौता न करें, साथ ही पर्यावरण संतुलन और सतत विकास को केंद्र में रखते हुए नई तकनीकों का समावेश करें।
गडकरी ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में बुनियादी ढांचे का विस्तार अनिवार्य है, परंतु यह विकास प्रकृति के अनुकूल और आर्थिक दृष्टि से व्यवहार्य होना चाहिए।

सतत और पर्यावरण अनुकूल तकनीक की आवश्यकता पर बल
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आज निर्माण क्षेत्र में ऐसी अनेक तकनीकें उपलब्ध हैं जो लागत को घटाने के साथ-साथ प्रदूषण को भी न्यूनतम कर सकती हैं। उन्होंने कहा,“हमारा उद्देश्य केवल निर्माण करना नहीं, बल्कि ऐसा निर्माण करना है जो दीर्घकालिक, पर्यावरण हितैषी और जनकल्याणकारी हो।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वणी–वरोरा–जाम क्षेत्र में बांस से निर्मित क्रैश बैरियर और मनसर में बायो-बिटुमिन से बनी एक किलोमीटर लंबी सड़क इसका सशक्त उदाहरण हैं। ये प्रयोग दर्शाते हैं कि देश में पारंपरिक तरीकों के स्थान पर सतत तकनीक अपनाकर उल्लेखनीय परिवर्तन लाया जा सकता है।
‘प्री-कास्ट तकनीक’ से होगा निर्माण में क्रांतिकारी बदलाव
गडकरी ने कहा कि निर्माण कार्यों की गति और गुणवत्ता में सुधार हेतु ‘प्री-कास्ट’ तकनीक अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो रही है। इस तकनीक से सड़कें और भवन दोनों ही बहुत कम समय में तैयार किए जा सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक जिले में एक ‘प्री-कास्ट रोड फैक्ट्री’ स्थापित की जानी चाहिए, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बढ़ेगा और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता व गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।

स्टील फाइबर और वैकल्पिक सामग्री का उपयोग
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि स्टील फाइबर के उपयोग से पुल निर्माण में दो पिलरों के बीच की दूरी कम की जा सकती है, जिससे लागत में कमी आती है और संरचना अधिक सुदृढ़ बनती है। उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है जब सीमेंट, रेत और स्टील जैसी पारंपरिक सामग्रियों के विकल्पों पर गंभीरता से कार्य किया जाए।
उन्होंने कहा कि यदि भारत अपने निर्माण क्षेत्र में स्थानीय और जैविक सामग्री को बढ़ावा दे, तो यह न केवल लागत को कम करेगा बल्कि आयात पर निर्भरता भी घटेगी।
‘इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स’ से सम्मानित हुए गडकरी
इस अवसर पर ‘इंस्टिट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स’ की ओर से नितिन गडकरी को फेलोशिप सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में उनके दूरदर्शी नेतृत्व और सतत विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए दिया गया।
सम्मेलन में देशभर से आए इंजीनियर, सलाहकार, शोधकर्ता और छात्र उपस्थित रहे। इस दो दिवसीय सम्मेलन में फॉरेंसिक इंजीनियरिंग, निर्माण सुरक्षा, सड़क संरचना गुणवत्ता परीक्षण और सतत निर्माण नीति जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
भारत को वैश्विक मानक का निर्माण केंद्र बनाने की दिशा में प्रयास
गडकरी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत अब केवल विकासशील राष्ट्र नहीं, बल्कि एक “निर्माण नवाचार केंद्र” के रूप में उभर सकता है। उन्होंने कहा,“यदि हम तकनीकी नवाचारों को अपनाते हुए गुणवत्ता और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखें, तो भारत वैश्विक निर्माण क्षेत्र में अग्रणी बन सकता है।”
सम्मेलन से उम्मीदें और भविष्य की रूपरेखा
यह सम्मेलन न केवल तकनीकी संवाद का माध्यम है, बल्कि यह भारत की निर्माण नीति में एक नए युग की शुरुआत भी है। फॉरेंसिक सिविल इंजीनियरिंग की अवधारणा निर्माण में त्रुटि विश्लेषण और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजनों से युवा अभियंताओं को नवीन तकनीक की जानकारी मिलेगी, जिससे देश में सुरक्षित, टिकाऊ और पर्यावरण-संतुलित बुनियादी ढांचे का निर्माण संभव हो सकेगा।
नागपुर में आयोजित इस सम्मेलन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि सतत विकास और नवाचार आधारित निर्माण तकनीक ही आने वाले भारत की असली पहचान बनेगी।