जदयू की पहली सूची में सामाजिक न्याय का संतुलित स्वरूप
पटना। जनता दल (यूनाइटेड) ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। यह सूची न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक समीकरणों के लिहाज़ से भी जदयू की रणनीति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। पार्टी ने पिछड़ा और अतिपिछड़ा समाज को विशेष प्राथमिकता देते हुए समावेशी राजनीति का परिचय दिया है।
इस सूची में कुल 57 उम्मीदवारों के नाम शामिल किए गए हैं, जिनमें पिछड़ा समाज से 22 और अतिपिछड़ा वर्ग से 10 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है। इस प्रकार लगभग आधी सीटें समाज के वंचित वर्गों को देकर जदयू ने एक बार फिर अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे को प्रमुखता दी है।
सामाजिक संरचना का सम्यक मिश्रण
जदयू की इस सूची में समाज के प्रत्येक वर्ग का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। पार्टी ने यह ध्यान रखा है कि कोई भी वर्ग उपेक्षित महसूस न करे। सामान्य वर्ग से 13, अनुसूचित जाति से 12, पिछड़ा वर्ग से 22 तथा अतिपिछड़ा वर्ग से 10 प्रत्याशियों को टिकट देकर पार्टी ने अपनी व्यापक सामाजिक नीति को बल दिया है।
यह कदम इस बात का संकेत है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू अपनी परंपरागत ‘समान विकास’ की विचारधारा को चुनावी समीकरण में भी साकार रूप दे रही है।
जातिगत आधार पर प्रत्याशियों का वितरण
यदि जातिगत समीकरणों पर गौर किया जाए तो जदयू ने कुर्मी, कुशवाहा, यादव, धानुक, तेली, मल्लाह, भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण सहित लगभग सभी प्रमुख जातियों को टिकट दिया है।
जातिवार वितरण कुछ इस प्रकार है —
धानुक समाज से चार, तेली समुदाय से दो, मल्लाह समाज से दो, कानू एक, कलवार एक, कुर्मी 10, कुशवाहा नौ, यादव तीन, रविदास पांच, मुसहर-मांझी चार, धोबी एक, पासी एक, पासवान एक, भूमिहार छह, राजपूत पांच तथा दो ब्राह्मण उम्मीदवारों को टिकट मिला है।
इस संरचना से यह स्पष्ट होता है कि जदयू ने जातीय विविधता को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित उम्मीदवार सूची तैयार की है।
राजनीतिक संदेश और रणनीतिक मंशा
इस सूची से पार्टी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह सामाजिक न्याय, समावेश और संतुलन के पथ पर अडिग है। नीतीश कुमार लंबे समय से ‘सात निश्चय योजना’ और ‘समान अवसर की नीति’ के माध्यम से सामाजिक वर्गों को जोड़ने की कोशिश करते आए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सूची आगामी विधानसभा चुनावों में जदयू की सामाजिक आधार को सुदृढ़ करेगी, विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जहां सामाजिक प्रतिनिधित्व निर्णायक भूमिका निभाता है।
प्रथम सूची के प्रत्याशियों का जातीय विवरण
क्र.सं. | निर्वाचन क्षेत्र | प्रत्याशी का नाम | जाति |
---|---|---|---|
1 | आलमनगर | नरेंद्र नारायण यादव | यादव |
2 | बिहारीगंज | निरंजन कुमार मेहता | कुशवाहा |
3 | सिंहेश्वर | रमेश ऋषिदेव | अनुसूचित जाति |
4 | मधेपुरा | कविता साह | पिछड़ा |
5 | सोनबरसा | रत्नेश सदा | अनुसूचित जाति |
6 | महिषी | गुंजेश्वर साह | अति पिछड़ा |
7 | कुशेश्वर स्थान | अतिरेक कुमार | अनुसूचित जाति |
8 | बेनीपुर | विनय कुमार चौधरी | ब्राह्मण |
9 | दरभंगा ग्रामीण | ईश्वर मंडल | धानुक |
10 | बहादुरपुर | मदन सहनी | निषाद |
11 | गायघाट | कोमल सिंह | राजपूत |
12 | मीनापुर | अजय कुशवाहा | कुशवाहा |
13 | सकरा | आदित्य कुमार | अनुसूचित जाति |
14 | कांटी | अजीत कुमार | भूमिहार |
15 | कुचायकोट | अमरेंद्र कुमार पांडेय | ब्राह्मण |
16 | भोरे | सुनील कुमार | अनुसूचित जाति |
17 | हथुआ | रामसेवक सिंह | कुशवाहा |
18 | बरौली | मंजीत सिंह | राजपूत |
19 | जीरादेई | भीष्म कुशवाहा | कुशवाहा |
20 | रघुनाथपुर | विकास कुमार सिंह | राजपूत |
21 | बड़हरिया | इंद्रदेव पटेल | कुर्मी |
22 | महाराजगंज | हेमनारायण साह | बनिया |
23 | एकमा | धूमल सिंह | भूमिहार |
24 | मांझी | रणधीर सिंह | राजपूत |
25 | परसा | छोटे लाल राय | यादव |
26 | वैशाली | सिद्धार्थ पटेल | कुर्मी |
27 | राजपाकर | महेंद्र राम | अनुसूचित जाति |
28 | महनार | उमेश सिंह कुशवाहा | कुशवाहा |
29 | कल्याणपुर | महेश्वर हजारी | अनुसूचित जाति |
30 | वारिसनगर | डॉ. मांजरिक मृणाल | कुर्मी |
31 | समस्तीपुर | अश्वमेध देवी | कुशवाहा |
32 | मोरवा | विद्यासागर निषाद | निषाद |
33 | सरायरंजन | विजय कुमार चौधरी | भूमिहार |
34 | विभूतिपुर | रवीना कुशवाहा | कुशवाहा |
35 | हसनपुर | राजकुमार राय | यादव |
36 | चेरियापुर | अभिषेक कुमार | कुशवाहा |
37 | मटिहानी | राजकुमार सिंह | भूमिहार |
38 | अलौली | रामचंद्र सदा | अनुसूचित जाति |
39 | खगड़िया | बबलू मंडल | धानुक |
40 | बेलदौर | पन्ना लाल पटेल | कुर्मी |
41 | जमालपुर | नचिकेता मंडल | धानुक |
42 | सूर्यगढ़ा | रामानंद मंडल | धानुक |
43 | शेखपुरा | रणधीर कुमार सोनी | कुर्मी |
44 | बरबीघा | डा. कुमार पुष्पंजय | भूमिहार |
45 | अस्थावां | जितेंद्र कुमार | कुर्मी |
46 | राजगीर | कौशल किशोर | अनुसूचित जाति |
47 | इस्लामपुर | रूहेल रंजन | कुर्मी |
48 | हिलसा | कृष्ण मुरारी शरण | कुर्मी |
49 | नालंदा | श्रवण कुमार | कुर्मी |
50 | हरनौत | हरिनारायण सिंह | कुर्मी |
51 | मोकामा | अनंत सिंह | भूमिहार |
52 | फुलवारी शरीफ | श्याम रजक | धोबी |
53 | संदेश | राधाचरण साह | बनिया |
54 | जगदीशपुर | भगवान सिंह कुशवाहा | कुशवाहा |
55 | डुमरांव | राहुल सिंह | राजपूत |
56 | मसौढ़ी | अरुण मांझी | अनुसूचित जाति |
57 | राजपुर | संतोष कुमार निराला | अनुसूचित जाति |
विपक्ष के लिए चुनौती
जदयू की यह संतुलित सूची विपक्षी दलों के लिए एक नई चुनौती बन सकती है। विशेषकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए, क्योंकि दोनों ही दल जातिगत समीकरणों पर निर्भर रहते हैं। जदयू की यह चाल कई पारंपरिक वोटबैंक को प्रभावित कर सकती है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि जदयू ने यह सूची जारी करके न केवल अपने समर्थकों को उत्साहित किया है बल्कि विपक्षी खेमे को रणनीतिक पुनर्विचार के लिए मजबूर भी किया है।
महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
सूत्रों के अनुसार, जदयू ने इस सूची में महिला और युवा प्रत्याशियों को भी प्राथमिकता दी है। पार्टी का मानना है कि नई पीढ़ी और महिला नेतृत्व समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि जदयू पारंपरिक राजनीति के साथ-साथ नयी ऊर्जा को भी साथ लेकर चलना चाहती है।
सामाजिक समरसता की दिशा में एक और कदम
जदयू की पहली सूची यह स्पष्ट करती है कि पार्टी ने सामाजिक समरसता को प्राथमिकता दी है। यह सूची केवल चुनावी गणित का परिणाम नहीं, बल्कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से प्रेरित एक समर्पित प्रयास है।
इस निर्णय के माध्यम से जदयू ने यह संदेश दिया है कि बिहार की राजनीति अब केवल जातिगत संघर्षों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सामाजिक संतुलन और समावेश के नए अध्याय की ओर अग्रसर होगी।